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मंडियों की संख्या बढ़ने से किसानो को होगा लाभ : अशोक ठाकुर

नेफेड द्वारा भी एक सौ कृषि मंडी तैयार की जा रही है। महाराष्ट्र में एक मंडी का उद्घाटन भी हो गया है।उन्होंने कहा कि कृषि मंडियों की संख्या बढ़ने से किसानों के पास अपनी फसल बेचने के लिए ज्यादा विकल्प उपलब्ध होंगे।

By Prateek KumarEdited By: Updated: Tue, 08 Dec 2020 08:46 AM (IST)
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केंद्र सरकार की कोशिश मंडियों को आधुनिक करने के साथ ही इनकी संख्या बढ़ाने की है।
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (आप) सहित अन्य विरोधी पार्टियां कृषि कानूनों को लेकर किसानों को भड़का रही हैं। मंडियों को खत्म करने का भ्रम फैलाया जा रहा है, जबकि हकीकत यह है कि सरकार इस व्यवस्था को और मजबूत कर रही है। भाजपा नेता और कृषि सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग (नेफेड) के निदेशक अशोक ठाकुर का कहना है कि केंद्र सरकार की कोशिश मंडियों को आधुनिक करने के साथ ही इनकी संख्या बढ़ाने की है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार कृषि क्षेत्र को मजबूत करने के लिए लगातार काम कर रही है।

बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की योजना तैयार की गई है। इसके तहत मंडियों को भी आधुनिक बनाने का काम शुरू किया गया है। किसानों को किसी बहकावे में आने के बजाय तथ्यों की जांच करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत में 42 हजार कृषि मंडियों की जरूरत है। इसके एवज में इस समय मात्र 7700 कृषि मंडी उपलब्ध हैं। इसे ध्यान में रखकर केंद्र सरकार ने 22 हजार छोटे हाट (बाजार) को कृषि मंडी में परिवर्तित करने का फैसला किया है। इस काम के लिए बड़ी धन राशि की जरूरत है। निजी भागीदारी से यह काम आसानी से किया जा सकता है।

नेफेड द्वारा भी एक सौ कृषि मंडी तैयार की जा रही है। महाराष्ट्र में एक मंडी का उद्घाटन भी हो गया है।उन्होंने कहा कि कृषि मंडियों की संख्या बढ़ने से किसानों के पास अपनी फसल बेचने के लिए ज्यादा विकल्प उपलब्ध होंगे। अभी कम विकल्प होने की वजह से उन्हें कम कीमत पर फसल बेचनी पड़ती है। मंडियों की संख्या बढ़ने और किसानों के पास विकल्प ज्यादा होने से मंडी शुल्क में भी कमी आएगी।

इसके साथ ही राज्य सरकारों पर अपनी मंडियों में बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने का भी दबाव बढ़ेगा। खरीदार बढ़ने से प्रतिस्पर्धा बढे़गी और किसानों को उनकी फसल का ज्यादा मूल्य मिलेगा। सहकारी संस्थाएं मजबूत होंगी।उन्होंने कहा कि इस समय मंडियों में सीलन के नाम पर किसानों को फसल का सही मूल्य नहीं मिलता है। कई बार उनकी फसल खरीदने से ही इन्कार कर दिया जाता है। आधुनिक मंडियों में सीलन कम करने वाली मशीन लगेंगी। नेफेड द्वारा तैयार मंडी में भी यह सुविधा दी जा रही है।

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