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फिरोजशाह कोटला: 750 साल से लगे अशोक स्तंभ की होगी मरम्मत, पिरामिड के आकार में बनी है तीन मंजिला इमारत

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने इसे मजबूती देने का फैसला लिया है। इस गोलाकार इमारत के भूतल सहित सभी मंजिलों पर हो चुकी टूटफूट ठीक की जाएगी। आ चुकीं दरारें दूर की जाएंगी। दीवारों पर झड़ चुका प्लास्टर फिर से किया जाएगा।

By Vinay TiwariEdited By: Updated: Sat, 19 Dec 2020 03:00 PM (IST)
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तीसरी मंजिल के ऊपर लगे अशोक स्तंभ को मजबूत किया जाएगा।
वी.के.शुक्ला, नई दिल्ली। फिरोजशाह कोटला में पिरामिड के आकार में बनी जिस तीन मंजिला इमारत के ऊपर करीब साढ़े 7 सौ साल से अशोक स्तंभ लगा हुआ है। इस को मजबूती दी जाएगी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने इसे मजबूती देने का फैसला लिया है। इस गोलाकार इमारत के भूतल सहित सभी मंजिलों पर हो चुकी टूटफूट ठीक की जाएगी। टूट चुकी दरारें दूर की जाएंगी। दीवारों पर झड़ चुका प्लास्टर फिर से किया जाएगा।

एएसआइ इस बात का भी अध्ययन कराएगा कि इमारत कमजोर तो नहीं हो रही है। क्योंकि इसकी तीसरी मंजिल के ऊपर अशोक स्तंभ लगा है। जिसका भी काफी वजन है। इस इमारत की प्रत्येक मंजिल पर चौड़ाई कम होती चली गई है। किले के अंदर जामे मस्जिद के उत्तर में यह इमारत स्थित है। इमारत में मेहराबयुक्त प्रवेश द्वारों सहित कक्ष हैं। यहां जो अशोक स्तंभ है इसे अंबाला के टोपरा से लाया गया था। जिसे फिरोजशाह ने यहां लगवाया था। इस स्तंभ पर अंकित राजाज्ञाओं को सबसे पहले 1837 में जेम्स ¨प्रसेज ने पढ़ा था।

बता दें कि फिरोजशाह तुगलक द्वारा अंबाला और मेरठ से 1351 से 1366 के बीच दिल्ली दो स्तंभ लाए गए थे। इन स्तंभों का महत्व ऐतिहासिक है। संस्कृति और राजनीतिक दृष्टिकोण से भी ये स्तंभ महत्वपूर्ण हैं। इनमें से एक स्तंभ उत्तरी दिल्ली में हिन्दूराव अस्पताल के पास है और दूसरा स्तंभ फिरोजशाह कोटला किले में है। इस स्तंभ पर अशोक के सातों अभिलेख अंकित हैं।

यह स्तंभ किले के अंदर एक गुंबदनुमा तीन मंजिला इमारत के ऊपर लगा हुआ है। दोनों स्तंभ भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन हैं यानी इनके रखरखाव और संरक्षण की जिम्मेदारी इसी पर है। फिरोजशाह कोटला को लेकर जो इतिहास में वर्णित है उसके अनुसार दिल्ली दिल्ली के पांचवें शहर फिरोजाबाद का निर्माण फिरोजशाह तुगलक ने कराया था। जो हौजखास से लेकर उत्तर में पीर गायब तक था। 

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