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नए साल से बेहतर होगी दिल्‍लीवासियों की सुरक्षा, खुल रहे 15 नए थाने

पुलिस आयुक्त ने नए थाने खोलने के लिए सभी 14 जिले के डीसीपी से नाम मांगे थे। इसके बाद उन्होंने एक माह पूर्व नए थानों व नए जिले के नाम की सूची तैयार कर उपराज्यपाल को भेज दी थी।

By Edited By: Updated: Tue, 25 Dec 2018 02:42 PM (IST)
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नए साल से बेहतर होगी दिल्‍लीवासियों की सुरक्षा, खुल रहे 15 नए थाने
नई दिल्ली [राकेश कुमार सिंह]। राजधानी में अगले साल मतलब जनवरी में 15 और नए पुलिस थाने बनेंगे। इसके साथ ही बाहरी-उत्तरी नाम से एक नया जिला भी बनेगा। दिल्ली की बढ़ती जनसंख्या और अपराध को देखते हुए कानून व्यवस्था को और चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक ने यह फैसला लिया है। गृह मंत्रालय से सलाह मशविरा करने के बाद इसकी प्रक्रिया दो महीने पहले शुरू कर दी गई थी।

अभी दिल्‍ली में 137 थाने
दिल्ली में थानों की तादात मौजूदा समय में दिल्ली में पुलिस के 14 जिले हैं। इन जिलों में 137 थाने हैं। इसके अलावा मेट्रो पुलिस के 16, रेलवे पुलिस के 7, स्पेशल सेल व साइबर सेल के एक, क्राइम ब्रांच के एक व आर्थिक अपराध शाखा के एक थाने हैं। सभी को मिलाकर दिल्ली पुलिस के कुल 187 थाने हैं।

नए थाने बनने के बाद 202 हो जाएगी संख्‍या
जनवरी में 15 और नए थाने के खुलने से दिल्ली में थानों की संख्या बढ़कर 202 हो जाएगी। बाहरी-उत्तरी नया जिला बनने से पुलिस जिलों की संख्या भी 14 से बढ़कर 15 हो जाएगी।

उपराज्यपाल ने लगाई मुहर
मुख्यालय सूत्रों के मुताबिक पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक ने नए थाने खोलने के लिए सभी 14 जिले के डीसीपी से नाम मांगे थे। इसके बाद उन्होंने एक माह पूर्व नए थानों व नए जिले के नाम की सूची तैयार कर उपराज्यपाल को भेज दी थी। बताया जाता है कि उपराज्यपाल ने भी दिल्ली सरकार के गृह विभाग के पास प्रस्ताव पर अपनी सहमति जताते हुए भेज दिया है। गृह विभाग से इस संबंध में अधिसूचना जारी नहीं की गई है।

2003 में नए थाने बनने की हुई शुरुआत
दिल्ली में पहले अधिकतर थाने किराए के घरों, डीडीए फ्लैट, टैंट, पार्को की जमीन व सरकारी खाली जमीन पर चल रहे थे। जैसे-जैसे दिल्ली की जनसंख्या बढ़ती गई नए थाने का भी विस्तार होता गया। सन् 2003 में तत्कालीन पुलिस आयुक्त अजय राज शर्मा के कार्यकाल में दिल्ली में नए थाने व जिले में अलग-अलग यूनिटें खुलने की शुरुआत हुई। उसके बाद 2005 में तत्कालीन पुलिस आयुक्त डॉ.के.के पॉल के समय नए थानों के लिए आसानी से पुलिस विभाग को अलग से बजट मिलना शुरू हो गया था।

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