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Ghazipur Landfill Fire: गाजीपुर लैंडफिल साइट पर कई जगह लगी आग, दमकल की गाड़ियां जुटीं बुझाने में

Ghazipur Landfill Fire आग लगने से आसपास के इलाकों में धुंआ छाया हुआ है धुंए के कारण लोगों को सांस लेना दुर्भर हो गया है रातभर लोग सो नहीं सके हैं। बुजुर्ग और बच्चों की हालत ज्यादा खराब हो रही है।

By JP YadavEdited By: Updated: Wed, 25 Nov 2020 11:11 AM (IST)
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गाजीपुर लैंडफिल साइट पर मंगलवार रात अचानक आग लग गई।
नई दिल्ली [शुजाउद्दीन]। पूर्वी दिल्ली स्थित गाजीपुर लैंडफिल साइट पर मंगलवार रात अचानक आग लग गई। सूचना मिलते ही दमकल की गाड़ियां मौके पर पहुंचीं। इस बीच कूड़े के पहाड़ पर एक जगह आग बुझते ही दूसरी जगह लग रही है। अभी भी कई जगहों पर आग लगी हुई है और दमकल की 10 गाड़ियां आग पर काबू पाने में लगी हुई हैं।

जागरण संवाददाता से मिली जानकारी के मुातबिक, मंगलवार रात को लगी आग धीरे-धीरे कूड़े के पहाड़ पर बढ़ती जा रही है। आग लगने से आसपास के इलाकों में धुंआ छाया हुआ है और धुंए के कारण लोगों को सांस लेना दुर्भर हो गया है। आलम यह है कि आग लगने के चलते पैदा हुए धुंए से रातभर लोग सो नहीं सके हैं।

धुएं से बुजुर्गों और बच्चों की हालत ज्यादा खराब हो रही है। धुंए के कारण लोगों की आंखों में जलन हो रही है। धुंए ने एनएच-9 पर वाहनों की रफ्तार धीमी कर दी है। आग पर कबतक काबू पाया जाएगा इसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता। कूड़े के कारण आग बुझाने में दमकल को काफी समस्या हो रही है। दमकल के अधिकारियों को आशंका है कि कूड़े में गैस का गुबार बनने से आग लगी होगी। फिलहाल आग बुझाने का काम जारी है।

वहीं, पराली का धुआं थमने के बावजूद दिल्ली की हवा में प्रदूषण बरकरार है तो इसके पीछे कई स्थानीय कारक जिम्मेदार हैं। सबसे बड़ा कारक जहां-तहां कूड़े में आग लगाना और ठोस कचरा प्रबंधन का इंतजाम नहीं होना है। दिल्ली सरकार द्वारा जारी ग्रीन दिल्ली एप पर भी सर्वाधिक शिकायतें इन्हीं को लेकर दर्ज हो रही हैं।

दिल्ली के प्रदूषण में पराली का धुआं अस्थायी कारक है। इसके चलते अक्टूबर और नवंबर में ही मुख्यतया हवा दूषित होती है। प्रदूषण के स्थायी कारकों में वाहनों और औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला धुआं और सड़क किनारे व निर्माण स्थलों पर उड़ने वाली धूल है। सर्दियों के दिनों में इससे निपटने के लिए ही ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) लागू किया जाता है।

ग्रेप के नियमानुसार, इस समय कूड़े अथवा पत्तों में आग लगाने पर जुर्माने का प्रावधान है। फिर भी चोरीछिपे एवं रात के अंधेरे में खूब आग लग रही है। वहीं, ठोस कचरा प्रबंधन का पुख्ता इंतजाम न होने से लैंडफिल साइट क्षमता से ज्यादा भर ही चुकी है, डलाव घर भी भरे रहते हैं। इन दोनों कारणों से भी दिल्ली की हवा में धूलकण पीएम 2.5 और पीएम 1 की वृद्धि होती है।

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