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बेबी केयर अस्पताल में हुई थी सात नवजातों की मौत, आग का कारण नहीं था शार्ट-सर्किट; दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को बताया

विवेक विहार के बेबी केयर न्यू बोर्न अस्पताल में 25 मई की रात आग में झुलसकर सात नवजातों की दर्दनाक मौत हो गई थी। अब इस मामले में दिल्ली पुलिस ने कड़कड़डूमा कोर्ट में आरोपपत्र दाखिल किया है। पुलिस ने बताया कि अस्पताल पांच बेड का था नियमों का उल्लंघन कर 12 नवजात को अस्पताल में भर्ती किया गया था।

By SHUZAUDDIN SHUZAUDDIN Edited By: Monu Kumar Jha Updated: Wed, 24 Jul 2024 10:44 PM (IST)
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Delhi Fire News: विवेक विहार स्थित बेबी केयर न्यू बोर्न अस्पताल में लगी थी आग।

जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली। (Vivek Vihar Baby Care Hospital Fire) विवेक विहार के बेबी केयर न्यू बोर्न अस्पताल में 25 मई की रात आग में झुलसकर सात नवजातों की मौत हुई थीं। करीब दो माह बाद भी दिल्ली सरकार का विद्युत व दमकल विभाग यह पता नहीं लगा पाएं है कि आग कैसे लगी थी। विद्युत विभाग ने पुलिस को दी गई अपनी रिपोर्ट में शार्ट सर्किट को आग का कारण नहीं माना है।

पुलिस ने कोर्ट में दाखिल किया आरोपपत्र

पुलिस ने इस मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट में आरोपपत्र दाखिल कर दिया है। विवेक विहार थाना ने अस्पताल संचालक डा. नवीन खीची व अस्पताल के डा. आकाश के खिलाफ गैर इरादतन हत्या, किसी व्यक्ति की जान को नुकसान पहुंचाना, लापरवाही से मौत समेत कई धाराओं में प्राथमिकी की थी। दोनों आरोपित को जमानत नहीं मिली है, वह न्यायिक हिरासत में चल रहे हैं।

अवैध रूप से चल रहा था अस्पताल 

पुलिस ने आरोपत्र में बताया है कि बेबी केयर अस्पताल ( का लाइसेंस मार्च में ही खत्म हो गया था। अवैध रूप से अस्पताल चल रहा था। अस्पताल पांच बेड का था, नियमों का उल्लंघन कर 12 नवजात को अस्पताल में भर्ती किया हुआ था। अस्पताल में न अग्निशमन यंत्र थे और न ही निकास की उचित व्यवस्था थी।

डा. आकाश को बच्चों के इलाज के लिए रखा हुआ था, वह बीएएमएस डॉक्टर है। नियम के अनुसार बीएएसएस डाक्टर बच्चों का इलाज नहीं कर सकते, इसके लिए एमडी डॉक्टर चाहिए होता है। नवजातों में अस्पताल कार्यरत नर्सों को दस वर्ष का अनुभव होना चाहिए, लेकिन इस अस्पताल में कार्यरत नर्सों को इतना अनुभव नहीं था।

दो राहगीरों ने आग की सूचना पुलिस को दी थी। जबकि सीसीटीवी में दिख रहा है कि आकाश को 11 बजे ही आग लगने का पता चल गया था, उसने पुलिस (Delhi Police) को सूचना देने के बजाय अस्पताल के संचालक नवीन से फोन पर बात करता रहा था। समय पर अगर पुलिस को सूचना देता तो बच्चों की जान बच सकती थी।

नियम के अनुसार 20 ऑक्सीजन सिलेंडर ही अस्पताल में रखे जा सकते हैं। हादसे के वक्त सिलेंडर की संख्या 31 थी। अस्पताल की छत पर एक रसोई बनाई हुई थीं, वहां पर एक कर्मचारी चाय व खाना बनाता था।

यह था मामला

25 मई की रात रात 11:30 बजे पुलिस को सूचना मिली थी कि नवजातों के अस्पताल में आग लग गई है। पुलिस, सामाजिक संगठन व स्थानीय लोगों ने मिलकर 12 बच्चों को अस्पताल से रेस्क्यू किया था और दूसरे अस्पताल में भर्ती करवाया था। सात बच्चों की आग के धुएं से झुलसने व दम घुटने से मौत हो गई थी। यह बच्चे अस्पताल में ऑक्सीजन सपोर्ट पर थे।

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