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29 जुलाई को देश को समर्पित होगा पहला भूमिगत संग्रहालय, हुमायूं से लेकर निजामुद्दीन औलिया तक की मिलेगी जानकारी

देश का पहला भूमिगत संग्रहालय 10000 वर्ग मीटर में बना है। यह अत्याधुनिक सुविधाओं से संपन्न है। संग्रहालय में अलग अलग गैलरी हैं। एक से लेकर 12 नंबर गैलरी में विश्व धरोहर स्मारकों और यमुना नदी से उनके जुड़ाव पर जानकारी दी गई है। मुख्य गैलरी नंबर दो हुमायूं के मकबरे के वास्तुशिल्प महत्व और उसके संरक्षण पर केंद्रित है।

By V K Shukla Edited By: Sonu Suman Updated: Sun, 21 Jul 2024 09:44 PM (IST)
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आगामी 29 जुलाई काे देश का पहला भूमिगत संग्रहालय जनता को समर्पित किया जाएगा।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। आगामी 29 जुलाई काे देश का पहला भूमिगत संग्रहालय जनता को समर्पित किया जाएगा। संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत आगा खां ट्रस्ट फॉर कल्चर (एकेटीसी) के चेयरमैन प्रिंस रहीम आगा खां की उपस्थिति में इसका उद्धाटन करेंगे। इसे एकेटीसी द्वारा हुमायूं के मकबरे में तैयार किया गया है। यहां हुमायूं से लेकर सूफी संत निजामुद्दीन औलिया उनके शिष्य और कवि अमीर खुसरो देहलवी के बारे में जानकारी है। इसके अलावा यहां कवि रहीम के बारे में भी जानकारी है।

यह भूमिगत संग्रहालय 10,000 वर्ग मीटर में बना है। यह अत्याधुनिक सुविधाओं से संपन्न है। संग्रहालय में अलग अलग गैलरी हैं। एक से लेकर 12 नंबर गैलरी में विश्व धरोहर स्मारकों और यमुना नदी से उनके जुड़ाव पर जानकारी दी गई है। मुख्य गैलरी नंबर दो हुमायूं के मकबरे के वास्तुशिल्प महत्व और उसके संरक्षण पर केंद्रित है। जिसमें इसके वास्तुशिल्प मॉडल और वास्तुशिल्प तत्वों की प्रतिकृतियों के निर्माण के बारे में बताया गया है।

स्वर्ण कलश के बारे में जानकारी दी गई

इसमें स्वर्ण कलश के बारे में जानकारी दी गई है। यहां हुमायूं की प्रमुख उपलब्धियों को प्रदर्शित किया गया है। जिसमें ज्योतिष में उनकी गहरी रुचि भी शामिल है। हुमायूं की वास्तुकला और पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश के कुछ हिस्सों सहित भारतीय उपमहाद्वीप में 30000 किमी की उनकी यात्रा पर भी चर्चा की गई है।

गैलरी में दारा शिकोह को स्थान दिया गया

गैलरी नंबर तीन में निजामुद्दीन क्षेत्र से जुड़ी पांच प्रतिष्ठित सांस्कृतिक हस्तियों की प्रदर्शनी है। ये हैं 14वीं सदी के सूफी संत निज़ामुद्दीन औलिया उनके शिष्य और कवि अमीर खुसरो देहलवी के बारे में जानकारी है। इसके अलावा यहां कवि रहीम भी हैं जो अपने दोहे और रामायण के फारसी में अनुवाद के लिए प्रसिद्ध हैं। इसी गैलरी में दारा शिकोह को स्थान दिया गया है।

संग्रहालय की आधारशिला अप्रैल 2015 में रखी गई

इन्होंने उपनिषद का फारसी में अनुवाद किया था। बता दें कि इस संग्रहालय की आधारशिला अप्रैल 2015 में रखी गई थी और 2017 में इसकी इमारत तैयार हुई थी। यह पूरा संग्रहालय भूमिगत है। एकेटीसी द्वारा शहरी नवीनीकरण पहल के हिस्से के रूप में एएसआइ की ओर से संग्रहालय का निर्माण किया गया है।

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