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Delhi Riots: और गहरे होते दिल्ली दंगों के घाव! पुलिस की जांच में 'दोष', सजा से ज्यादा बरी हुए आरोपी

2020 में हुए उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगों के ज्यादातर मामलों में दिल्ली पुलिस की अधकचरी जांच के कारण साक्ष्यों के अभाव व सही गवाह न होने के चलते आरोपित बरी हुए हैं। कई मामलों में आदेश करते हुए खुद कोर्ट ने पुलिस की जांच पर सवाल उठाए। यहां तक कहा कि पुलिस ने आधी-अधूरी जांच कर आरोपपत्र दायर किए गए।

By Ashish GuptaEdited By: Shyamji TiwariUpdated: Thu, 26 Oct 2023 09:07 PM (IST)
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दिल्ली दंगों के मामलों में पुलिस की जांच में 'दोष'

आशीष गुप्ता, पूर्वी दिल्ली। साढ़े तीन साल बीतने के बाद उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगे के घाव भरने के बजाय और गहरे होते जा रहे हैं। अब तक निर्णायक मोड़ पर पहुंचे ज्यादातर मामलों में दिल्ली पुलिस की अधकचरी जांच के कारण साक्ष्यों के अभाव व सही गवाह न होने के चलते आरोपित बरी हुए हैं।

केवल 16 केस में दोष सिद्ध हुए

कम ही मामलों में लोग दोषी पाए गए हैं। यह बात खुद पुलिस के आंकड़े बयां कर रहे हैं। 73 मामलों में लोग बरी व शुरुआती स्तर पर आरोप मुक्त हुए हैं। ये इशारा है कि इन मामलों के पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पाया। केवल 16 केस में ही आरोपियों पर दोष सिद्ध हुआ। कई मामलों में आदेश करते हुए खुद कोर्ट ने पुलिस की जांच पर सवाल उठाए। यहां तक कहा कि पुलिस ने आधी-अधूरी जांच कर आरोपपत्र दायर किए गए।

57 मामलों में लगाई क्लोजर रिपोर्ट

उत्तर पूर्वी जिला पुलिस के मुताबिक, विभिन्न थानों पंजीकृत 57 मामलों को बंद करने के लिए पुलिस ने क्लोजर रिपोर्ट लगाई है। ये वो मामले हैं, जिनमें पुलिस के हाथ कुछ भी नहीं लगा। यानी इन मामलों में पीड़ितों के साथ अन्याय करने वाले कभी सलाखों के पीछे नहीं जा पाएंगे। इनमें से 43 क्लोजर रिपोर्ट को कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है, जबकि 14 रिपोर्ट अभी विचाराधीन हैं।

268 में जांच जारी

पुलिस ने दंगे से जुड़े 758 मामले पंजीकृत किए थे। इनमें से एक स्पेशल सेल, 62 क्राइम ब्रांच और 695 उत्तर पूर्वी दिल्ली के विभिन्न थानों में पंजीकृत हैं। साढ़े तीन वर्ष बीतने के बावजूद इनमें अभी 268 मामलों में जांच पूरी नहीं कर पाई है। दंगे की साजिश रचने के मामले की जांच स्पेशल सेल कर रही है, इसमें दो आरोपित गिरफ्त के बाहर हैं।

केस-एक

एफआइआर : 39/2020, गोकलपुर थाना

24 फरवरी 2020 को चमन पार्क में मिठाई के गोदाम में उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के रोखड़ा गांव निवासी दिलबर नेगी का आधा जला शव बरामद हुआ था। उसके हाथ और पैर भी गायब थे। इस मामले में बुधवार को कड़कड़डूमा कोर्ट ने 12 में से 11 आरोपितों को आरोप मुक्त कर दिया। एक आरोपित मोहम्मद शाहनवाज पर हत्या समेत अन्य आरोप तय किए गए है। आरोप मुक्त किए गए लोगों के खिलाफ कोई ठोस साक्ष्य नहीं थे, न ही इस मामले में दंगाई के रूप में उनकी पहचान कराने संबंधी किसी गवाह के बयान थे।

केस-दो

एफआइआर : 108/2020, दयालपुर थाना

घोंडा के सुभाष विहार निवासी दानिश की करावल नगर रोड पर शेरपुर चौक के पास चंदू नगर ए-97 स्थित कोरियर की दुकान 24 फरवरी 2020 को दंगाइयों ने जला दी थी। इनकी प्राथमिकी में 22 अन्य शिकायतें जोड़ी गई थीं। गत सात जून को इसमें कड़कड़डूमा कोर्ट ने तीन लोगों को बरी कर दिया। कोर्ट ने आदेश में लिखा कि इस मामले में जांच अधिकारी ने ढिलाई बरती है। उसने केवल एक शिकायत पर जांच की, जिसमें आरोपितों पर आरोप साबित करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य नहीं थे। बाकी शिकायतों की जांच के लिए कोर्ट ने निर्देश दिया है।

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केस-तीन

एफआइआर : 71/2020, दयालपुर थाना

ब्रजपुरी में दंगाइयों ने 25 फरवरी 2020 को विक्टोरिया स्कूल के अंदर खड़े वाहन जला दिए थे। स्कूल के अंदर तोड़फोड़ की थी। इसके साथ ही ब्रजपुरी स्थित मोटर वर्कशाप और एक व्यक्ति की कार जलाने की शिकायत भी जोड़ी गई थी। इस मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट ने गत 16 अगस्त को आरोपित न्यू मुस्तफाबाद निवासी अकील अहमद, इरशाद और चांद बाग निवासी रईस खान को आरोप मुक्त किया था। कोर्ट ने आदेश में कहा था कि पुलिस ने रिपोर्ट की गई घटनाओं की पूरी तरह से जांच नहीं की। आरोपपत्र गलत तरीके से दायर किया गया और शुरुआती गलती पर पर्दा डाला गया। इसमें भी कोर्ट ने फिर से जांच करने को कहा है।

केस-चार

एफआइआर-88/2020, न्यू उस्मानपुर थाना

24 फरवरी 2020 को ब्रह्मपुरी इलाके की तीन अलग-अलग गलियों में दंगाइयों ने चार घटनाओं को अंजाम दिया था। इनमें की लोग घायल हुए थे। पुलिस के क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने पर कड़कड़डूमा कोर्ट ने इस मामले में गत 19 सितंबर को सात आरोपितों को आरोप मुक्त कर दिया था। मजिस्ट्रेट कोर्ट को निर्देश दिया था कि नए सिरे से जांच एजेंसी द्वारा प्रस्तुत सामग्री पर गौर कर कानून के प्रविधानों के तहत आदेश पारित करें।

दंगे के मामलों बारीकी से जांच की जा रही है। कई मामलों में दोषी सिद्ध हुए हैं और कई में आरोपितों पर आरोप तय हो चुके हैं। जिन मामलों की जांच में कमियां बताई गई हैं, उनको दूर किया जा रहा है। जिन मामलों में आरोपित छूटे हैं, उनमें साक्ष्य जुटाकर अपील की जा रही है। - रविंद्र सिंह यादव, विशेष आयुक्त क्राइम ब्रांच

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