Flights Affected: दिल्ली एयरपोर्ट पर घने कोहरे का उड़ानों पर असर, 100 फ्लाइट्स ने कई घंटे बाद भरी उड़ान
Delhi Airport Flight Affect सोमवार को घने कोहरे के कारण आईजीआई एयरपोर्ट (IGI Airport Delhi) पर उड़ान सेवा काफी प्रभावित हुई। घने कोहरे में कम दृश्यता के मुकाबले के लिए एयरपोर्ट पर सुबह के समय लो विजिबिलिटी प्रक्रिया लागू कर दिया गया। कैट 3 सुविधा बहाल की गई लेकिन इस सुविधा का बहुत ज्यादा लाभ एयरलाइंस के पायलट नहीं उठा सके।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। सोमवार को घने कोहरे के कारण आईजीआई एयरपोर्ट (IGI Airport Delhi) पर उड़ान सेवा काफी प्रभावित हुई। घने कोहरे में कम दृश्यता के मुकाबले के लिए एयरपोर्ट पर सुबह के समय लो विजिबिलिटी प्रक्रिया लागू कर दिया गया। कैट 3 सुविधा बहाल की गई, लेकिन इस सुविधा का बहुत ज्यादा लाभ एयरलाइंस के पायलट नहीं उठा सके।
कम दृश्यता के कारण करीब डेड़ दर्जन उड़ानों में घंटों के विलंब की स्थिति रही। अलग-अलग जगहों से आ रहीं आठ उड़ानों को डाइवर्ट (Flights Divert) करना पड़ा। इनमें सात जयपुर और एक अहमदाबाद डाइवर्ट किया गया।
फ्लाट्स का शेड्यूल गड़बड़ाया
एक बार उड़ानों की समय सारिणी गड़बड़ाने के बाद उड़ानों में विलंब का सिलसिला पूरे दिन चला। करीब सवा सौ उड़ानों में विलंब की स्थिति रही। इनमें 15 उड़ान अंतरराष्ट्रीय और बाकी घरेलू थीं।
कई घंटों तक फ्लाइट्स में हुई देरी (Delhi Airport Flight Delay)
सुबह कम दृश्यता के कारण पटना, अहमदाबाद, पुणे, जयपुर, मुबई सहित अनेक शहरों को जाने वाली उड़ानों में कई घंटे का विलंब हुआ। पटना जाने वाली उड़ान करीब पांच घंटे, अहमदाबाद की उड़ान आठ घंटे, पुणे की उड़ान छह घंटे, जयपुर की उड़ान पांच घंटे व मुंबई की उड़ान चार घंटे की देरी से रवाना हुई।
पौने दस बजे तक भी रनवे की दृश्यता अधिकतम 175 मीटर ही रही। सुबह पौने दस बजे के बाद से कोहरे का असर जब कम होना शुरू हुआ। तब भी रनवे पर दृश्यता अधिकतम 500 मीटर रहr।
तीनों रनवे पर लो विजिबिलिटी प्रक्रिया का किया गया पालन
कम दृश्यता में भी विमानों का परिचालन सुचारु बना रहे इसके लिए कम दृश्यता के दौरान आईजीआई के तीनों रनवे पर लो विजिबिलिटी प्रक्रिया के तहत विमानों का संचालन किया गया। इस प्रक्रिया के तहत एयरपोर्ट पर कम दृश्यता में उड़ानों के संचालन के लिए विशेष उपाय किए जाते हैं। जब तक इस प्रक्रिया का पालन किया जाता है तब तक न सिर्फ रनवे बल्कि टैक्सी वे पर भी विशेष इंतजाम कर यह सुनिश्चित किया जाता है कि पायलट को सबकुछ साफ साफ नजर आए।
बावजूद यदि पायलट को कोई दिक्कत होती है तो एटीसी से वह मदद ले सकते हैं। इस दौरान न सिर्फ एटीसी (एयर ट्रैफिक कंट्रोल टावर) ही नहीं बल्कि इंर्फोरमेशन टावर सुपरवाइजर, एप्रोच राडार कंट्रोलर, कक्यूनिकेशन टेक्निकल सुपरवाइजर, अग्निशमन केंद्र सभी सतर्क रहते हैं। एयरपोर्ट सूत्रों के अनुसार इस स्थिति की जरूरत तब पड़ती है जब रनवे पर दृश्यता का स्तर न्यूनतम 50 मीटर हो।
कैट 3 तक की स्थिति से निपटने की सुविधा
डायल सूत्रों का कहना है कि कम दृश्यता से निपटने के लिए आईजीआई एयरपोर्ट पर जितने जरूरी संसाधन होने चाहिए, वे सभी मौजूद हैं। किसी भी एयरपोर्ट पर दृश्यता को लेकर बदतर स्थिति को कैटेगरी 3 की संज्ञा दी जाती है। हालांकि कम दृश्यता को लेकर दो और कैटेगरी 1 व 2 हैं, लेकिन वे कैटेगरी 3 के मुकाबले कम खराब हैं।
कैटेगरी 3 में भी कई श्रेणियां हैं। डायल सूत्रों का कहना है कि एयरपोर्ट कैटेगरी 1 से 3 तक की स्थिति से निपटने में सक्षम है। लेकिन समस्या यह है कि कैटेगरी 3 वाली स्थिति में पायलट को भी विशेष दक्ष होना चाहिए। इसके लिए पायलट को विशेष प्रशिक्षण लेना पड़ता है। यह प्रशिक्षण महंगा होता है। इस कारण इसका प्रशिक्षण चुनिंदा पायलट ही ले पाते हैं।
कोहरे की स्थितियां
कोहरे के कारण दृश्यता जब शून्य से 50 मीटर के बीच हो तो उसे बहुत घना, 51 मीटर से और 200 मीटर के बीच हो तो उसे घना, 201मीटर से 500 मीटर के बीच हो तो उसे मध्यम और 500 मीटर से 1000 के बीच हो तो उसे हल्का कोहरा कहते हैं।