देश में पहली बार कोरोनावायरस के संक्रमण से ठीक हुए मरीजों में देखे गए साइटोमेगालो के लक्षण, जानिए क्या है ये नई बीमारी
अस्पताल के डाक्टरों का दावा है कि देश में पहली बार कोरोना से ठीक हुए मरीजों में साइटोमेगालो वायरस के संक्रमण के मामले देखे गए हैं। इसका कारण कोरोना की वजह से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होना व कोरोना के दौरान स्टेरायड दवाओं का इस्तेमाल है।
By Vinay Kumar TiwariEdited By: Updated: Wed, 30 Jun 2021 03:20 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। कोरोना से ठीक हुए मरीजों में फंगल संक्रमण के बाद अब साइटोमेगालो वायरस (सीएमवी) के संक्रमण के मामले सामने आए हैं। गंगाराम अस्पताल के डाक्टरों ने इस वायरस के संक्रमण से पीडि़त पांच मरीजों का इलाज किया है। अस्पताल के डाक्टरों का दावा है कि देश में पहली बार कोरोना से ठीक हुए मरीजों में साइटोमेगालो वायरस के संक्रमण के मामले देखे गए हैं। इसका कारण कोरोना की वजह से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होना व कोरोना के दौरान स्टेरायड दवाओं का इस्तेमाल है। पांच में से एक मरीज के रेक्टम से अत्यधिक रक्तस्त्राव होने से मौत हो गई। वहीं तीन मरीज ठीक हो चुके हैं। एक मरीज की सर्जरी की गई है, जो तीन सप्ताह से अब भी अस्पताल में भर्ती है।
अस्पताल के गैस्ट्रोलाजी विभाग के चेयरमैन डा. अनिल अरोड़ा ने कहा कि 30 से 70 वर्ष की उम्र के ये पांच मरीज रेक्टम से मल में रक्तस्त्राव व पेट दर्द की परेशानी से इलाज के लिए पहुंचे। कोरोना से ठीक होने के 10 से 30 दिनों के बीच उनको यह बीमारी शुरू हुई थी। उन्होंने कहा कि साइटोमेगालो वायरस करीब 80 फीसद लोगों की आंत में मौजूद होता है। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता उस वायरस को सक्रिय नहीं होने देती। इसलिए जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है उनमें इसका संक्रमण नहीं होता। रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने पर इसके संक्रमण की आंशका बढ़ जाती है।
यही वजह है कि अंग प्रत्यारोपण, कैंसर व एड्स के कुछ मरीजों में पहले इसका संक्रमण देखा गया है, लेकिन स्वस्थ लोगों में इसका संक्रमण नहीं होता।डा. अरोड़ा ने बताया कि कोरोना से ठीक हो चुके इन मरीजों के खून की जांच करने पर पता चला कि लिम्फोसाइट काउंट काफी कम थी। इसके बाद अस्पताल में उनकी कोलोनोस्कोपी की गई तो आंत में जख्म पाए गए। उन जख्मों से टिश्यू लेकर बायोप्सी व पीसीआर टेस्ट की गई तो जांच में सीएमवी के संक्रमण का पता चला। गैस्ट्रोलाजी विभाग के विशेषज्ञ डा. प्रवीण शर्मा ने कहा कि ऐसे मामलों में बीमारी की जल्दी पहचान कर समय पर एंटीवायरल दवाओं से इलाज कर मरीजों की जान बचाई जा सकती है।
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