आखिर क्यों पद और पार्टी से दिया इस्तीफा? दिल्ली के पूर्व मंत्री राजकुमार आनंद ने बताई असली वजह
दिल्ली के पूर्व मंत्री राजकुमार आनंद ने कहा कि दबाव में आप छोड़ने का आरोप गलत है। उन्होंने आप नेताओं के इस दावे को भी खारिज कर दिया कि उन्हें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से नोटिस मिला था। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा मुझे ईडी से कभी कोई नोटिस नहीं मिला। बता दें आप ने ईडी के दबाव में आकर पार्टी छोड़ने का आरोप लगाया था।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा देने और आम आदमी पार्टी छोड़ने की घोषणा के एक दिन बाद, राजकुमार आनंद ने बृहस्पतिवार को कहा कि उन्होंने यह फैसला किसी दबाव में या ईडी के डर से नहीं लिया है बल्कि वह अन्याय बर्दाश्त करने में असमर्थ हैं।
पटेल नगर से विधायक आनंद ने यह कहकर लोगों को अपने अगले कदम के बारे में भी अनुमान लगाने पर मजबूर कर दिया कि राजनीति संभावनाओं का खेल है और कोई नहीं जानता कि भविष्य में क्या होगा।
आनंद ने कहा कि दबाव में आप छोड़ने का आरोप गलत है। उन्होंने आप नेताओं के इस दावे को भी खारिज कर दिया कि उन्हें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से नोटिस मिला था। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा, ''मुझे ईडी से कभी कोई नोटिस नहीं मिला।"
ईडी ने कहा था कि एक रुपये का नहीं हुआ भ्रष्टाचार
उन्होंने कहा कि एजेंसी के अधिकारियों ने आबकारी घोटाले में धन के लेन-देन का पता लगाने के लिए पिछले साल नवंबर में उनके आवास पर छापा जरूर मारा था, लेकिन बाद में ईडी ने अपने बयान में कह दिया था कि इस मामले में एक रुपये का भ्रष्टाचार नहीं हुआ है और मामला बंद कर दिया गया।
आनंद ने कहा कि उन्होंने इस्तीफा दे दिया क्योंकि उन्हें मंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने की अनुमति नहीं दी जा रही थी और उनके समुदाय का काम नहीं किया जा रहा था। यह आरोप लगाते हुए कि दलित नेताओं को कृषि उपज विपणन समितियों जैसी सरकारी एजेंसियों में महत्वपूर्ण पद नहीं दिए जाते, उन्होंने कहा, "मैं इस अन्याय को बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था।"
झूठ की राजनीति नहीं करना चाहता था: राजकुमार
उन्होंने यह भी कहा कि अगर मैं झूठ और मक्कारी की राजनीति पर पर भरोसा करता रहता तो आज भी वहीं पर रहता जहां पर मैं था...। कल सौरभ भारद्वाज ने कहा था, दलित, बेचारा, कमजोर... क्या सभी दलित कमजोर और बेचारे हैं?... मैं दलितों का अपमान बर्दाश्त नहीं करूंगा...।"
आनंद, जिनके पास दिल्ली सरकार में अन्य विभागों के बीच समाज कल्याण और एससी और एसटी मंत्रालय थे, ने जोर देकर यह भी कहा कि न तो वह राजनीति से संन्यास ले रहे हैं और न ही कहीं और जा रहे हैं। खुद को बी आर अंबेडकर का सिपाही बताते हुए उन्होंने कहा, ''मैं उनके नारे - समाज को भुगतान करो'' का पालन करना जारी रखूंगा।
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