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Delhi: फर्जी फिल्मों के ट्रेलर दिखाकर की करोड़ों की ठगी... फिल्म इंडस्ट्री में इन्वेस्ट करने का देता था झांसा

फिल्म उद्योग में पैसे निवेश करवा 47 लोगों से 3.5 करोड़ रुपये ठगी करने वाले एक आरोपित को दिल्ली पुलिस की आरार्थिक अपध शाखा ने गिरफ्तार कर लिया है। आरोपित का नाम प्रमोद कुमार नागर है। (सांकेतिक तस्वीर)

By Jagran NewsEdited By: Abhi MalviyaUpdated: Sat, 20 May 2023 04:51 PM (IST)
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आरोपित का नाम प्रमोद कुमार नागर है।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। फिल्म उद्योग में पैसे निवेश करवा 47 लोगों से 3.5 करोड़ रुपये ठगी करने वाले एक आरोपित को दिल्ली पुलिस की आरार्थिक अपध शाखा ने गिरफ्तार कर लिया है। आरोपित का नाम प्रमोद कुमार नागर है।

उसने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर फिल्म उद्योग में निवेश के नाम पर निवेशकों को झांसे में लेने के लिए कुछ फिल्मों से संबंधित योजनाओं का बोगस ट्रेलर लांच किया था। लोगों को विश्वास में लेने के लिए आरोपितों ने मैसर्स स्वैग प्रोडक्शंस प्रा. लिमिटेड नाम से कंपनी खोल रखी थी जो आरबीआइ के साथ गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) के रूप में पंजीकृत नहीं थी।

डीसीपी विक्रम के. पाेरवाल के मुताबिक, प्रमोद कुमार नागर मूलरूप से गाजियाबाद, यूपी का रहने वाला है। आरोपित के खिलाफ 33 पीड़ितों ने पहले सरिता विहार थाने में शिकायत की थी। बाद में यह मामला आर्थिक अपराध शाखा को स्थानांतरित कर दिया गया था।

अच्छे रिटर्न देने का किया था वादा

शिकायत में आरोप लगाया गया था कि मैसर्स स्वैग प्रोडक्शंस प्रा. लिमिटेड ने निवेशकों को उनके निवेश पर अच्छे रिटर्न देने का वादा किया था। शिकायतकर्ताओं को व्यावसायिक योजनाओं में निवेश किए गए पैसों का किस्तों में भुगतान किया गया लेकिन बाद में पैसाें का भुगतान करना रोक दिया गया।

कंपनी ने निवेशकों को लुभाने के लिए फिल्म का फर्जी ट्रेलर लांच किया था। सिरी फोर्ट आडिटोरियम और नेहरू स्टेडियम में फर्जी कार्यक्रम आयोजित करके धन इकट्ठा करने के बाद निवेशकों को धोखा देने की योजना बनाई गई थी। जांच से पता चला कि आरोपितों की कंपनी ऐसी योजनाओं को लांच करने के लिए एनबीएफसी के रूप में आरबीआई के साथ पंजीकृत नहीं है।

प्रारंभिक जांच के बाद वर्ष 2020 में मामला दर्ज कर लिया गया था। इस कंपनी को उदित ओबेराय, सुभाष नागर, प्रमोद नागर व अन्य द्वारा लोगों को धोखा देने और उनकी मेहनत की कमाई गबन करने के इरादे से बनाया गया था। उदित ओबेराय और सुभाष नागर मैसर्स स्वैग प्रोडक्शंस प्रा. लिमिटेड कंपनी के निदेशक थे जबकि प्रमोद नागर व एक अन्य आरोपित पीड़ितों को फर्जी फिल्म निर्माण कंपनी के निदेशक के रूप में पेश कर लुभाने में सक्रिय रूप से शामिल थे।

जांच के दौरान पता चला कि कंपनी आम जनता से धन एकत्र करने के लिए एनबीएफसी के रूप में आरबीआई के साथ पंजीकृत नहीं थी। आरोपितों ने आम जनता को उनके निवेश पर सुनिश्चित रिटर्न के साथ एक पोंजी योजना शुरू की थी, और उन्होंने निवेशकों से वादा किया था कि उनका निवेश लगभग 11 महीनों के भीतर दोगुना हो जाएगा। आरोपितों नेठगने के लिए एक और कंपनी मैसर्स स्वैग प्रोडक्शन एलएलपी भी बनाई, जिसमें प्रमोद नागर और मनोज चौधरी को निदेशक बनाया गया।

उदित ओबेराय व सुभाष नागर व एक अन्य को पुलिस पहले गिरफ्तार कर चुकी है। प्रमोद नागर गिरफ्तारी से बच रहा था। एसीपी घनश्याम, इंस्पेक्टर जसवीर सिंह, एसआइ राहुल व एएसआइ अशोक की टीम ने कासना, ग्रेटर नोएडा से शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया गया।

पूछताछ के लिए उसे 22 मई तक रिमांड पर लिया गया है।

प्रमोद नागर, डा. बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा यूपी से बीसीए में स्नातक है। वह नोएडा में एक संपत्ति सलाहकार के रूप में काम करता था।

जन जागरूकता के लिए संदेश

दिल्ली पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वे चतुर निवेशक बनें और पोंजी स्कीम में कभी निवेश न करें। भारी रिटर्न या कम समय में अपने पैसे को दोगुना करने का झूठा वादा करने वाले जालसाजों की आकर्षक योजनाओं में कभी भी निवेश न करें। 

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