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Delhi Crime: वर्क फ्रॉम होम के नाम पर दिया झांसा, यूट्यूब से जुड़ा काम देने के नाम पर ठगे लाखों रुपये

वर्क फ्रॉम होम करने और यूट्यूब वीडियो को लाइक और उस पर कमेंट करने पर पैसे देने का झांसा देकर ठगी करने वाले एक साइबर ठग को गिरफ्तार कर उत्तरी जिला के साइबर सेल थाना पुलिस ने साइबर जालसाजों के मोड्यूल का का भंडाफोड़ किया है। इस मोड्यूल द्वारा अब तक 48 से अधिक लोगों से करोड़ों रुपये ठगी करने का पता चला है। पुलिस जांच कर रही है।

By Jagran NewsEdited By: Jeet KumarUpdated: Tue, 17 Oct 2023 04:00 AM (IST)
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वर्क फ्रॉम होम के नाम पर दिया झांसा, यूट्यूब से जुड़ा काम देने के नाम पर ठगे लाखों रुपये

 जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। घर से काम करने, यूट्यूब वीडियो को लाइक और उस पर कमेंट करने पर पैसे देने का झांसा देकर ठगी करने वाले एक साइबर ठग को गिरफ्तार कर उत्तरी जिला के साइबर सेल थाना पुलिस ने साइबर जालसाजों के मोड्यूल का का भंडाफोड़ किया है।

गिरोह के एक अन्य सदस्य से पूछताछ करने के बाद उसे नोटिस जारी कर पाबंद किया गया है। इनके बैंक खातों की जांच करने पर एक दिन में हुए दो करोड़ लेनदेन का पता चला है। इसके बैंक खाते में जमा दो लाख से ज्यादा रुपये का फ्रीज करा दिए गए हैं।

करोड़ों रुपये ठगी करने का पता चला

इस मोड्यूल द्वारा अब तक 48 से अधिक लोगों से करोड़ों रुपये ठगी करने का पता चला है। डीसीपी उत्तरी जिला मनोज कुमार मीणा के मुताबिक गिरफ्तार किए गए आरोपित का नाम संदीप दलाल है। वह सेक्टर-34, रोहतक, हरियाणा का रहने वाला है। इसके साथी सागरपुर निवासी चंचल सिंह से पूछताछ के बाद उसे पाबंद कर दिया गया है। इनके पास से एक मोबाइल बरामद किया गया है जिसे बैंक खाते का संचालन किया जाता था।

आरोपियों के खाते कराए गए फ्रीज

इनके बैंक खाते में जमा 2,16,000 रुपये फ्रीज करा दिया गया है। गिरोह के तीसरी सदस्य ध्रुव मोर व रैकेट में शामिल अन्य के बारे में पता लगाया जा रहा है। राष्ट्रीय साइबर अपराध पंजीकरण पोर्टल (एनसीआरपी) के माध्यम से सदर बाजार निवासी दीपक कुमार ओला की साइबर धोखाधड़ी के संबंध में शिकायत प्राप्त हुई थी।

शिकायत में आरोप लगाया गया था कि उसके मोबाइल नंबर पर 29 अगस्त को वर्क फ्रॉम होम नौकरी की पेशकश के लिए वाट्स एप संदेश प्राप्त हुआ था। नौकरी के लिए रुचि दिखाने पर उन्हें कुछ यूट्यूब वीडियो लाइक करने और उन पर टिप्पणी करने का टास्क दिया गया।

उन्होंने इन कार्यों को कुछ ही मिनट में पूरा कर लिया। जिसपर उनके खाते में अगले दिन 450 रुपये भेज दिए गए। अगले दिन शिकायतकर्ता को एक अन्य कार्य करने की पेशकश की गई जिसके लिए उसे 800 रुपये जमा करने के लिए कहा गया और उसे टेलीग्राम ग्रुप में जोड़ लिया गया।

साइबर सेल ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी

शिकायतकर्ता ने उक्त राशि जमा कर दी और कुछ यूट्यूब वीडियो पर लाइक और कमेंट करने के बाद उसे 10,400 रुपये प्राप्त हुए। खाते में पैसे आने पर शिकायतकर्ता को एहसास हुआ कि वह साइबर जालसाजों के जाल में फंस गया है, क्योंकि वह वर्क फ्राम होम नौकरी के बहाने 4,25,000 रुपये गंवा चुका था। साइबर सेल ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी।

इंस्पेक्टर पवन तोमर के नेतृत्व में पुलिस टीम ने काल डिटेल रिकार्ड व मनी ट्रेल का पता लगाना शुरू किया। संदिग्ध मोबाइल नंबरों पर लगातार निगरानी रखी गई जिससे कुछ आरोपितों के बारे में पता लग गया। जांच में ठगी में पंजाब नेशनल बैंक का एक खाता शामिल पाया गया। खाता चंचल सिंह द्वारा संचालित किया जा रहा था।

बैंक खातों का विवरण देने को लेकर बात हुई

उससे पूछताछ में पता चला कि उसे वाट्स एप पर यूट्यूब वीडियो पसंद करने का संदेश मिला था। उसने प्रस्ताव स्वीकार कर लिया था क्योंकि उसे पैसों की जरूरत थी। शुरू में उसे 1600 लेकिन बाद में उसे और अधिक कमाने के लिए पैसे जमा करने के लिए कहा गया। उसके पास पैसे नहीं थे इसलिए वह जमा नहीं कर सका। दो-तीन दिनों के बाद उससे फिर से वाट्स एप संपर्क किया गया और बैंक खातों का विवरण प्रदान करने की पेशकश की गई जिसके बदले उसे 25,000 मिलने की बात कही गई। चंचल सिंह ने अपनी पत्नी के बैंक खाते की जानकारी ध्रुव मोर को दी।

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इसके बाद ध्रुव मोर ने उक्त बैंक खाते से जुड़ा सिम कार्ड लेने के लिए एक व्यक्ति को चंचल सिंह के पास भेजा ताकि इस बैंक खाते की गतिविधियों पर पूरा नियंत्रण उसके पास रहे। उस शख्स की पहचान संदीप दलाल के तौर पर हुई। पुलिस टीम ने रोहतक में विभिन्न स्थानों पर छापेमारी कर संदीप दलाल को गिरफ्तार कर लिया। उसने पूछताछ में बताया की वह ध्रुव मोर के लिए काम कर रहा था और बैंक खातों की व्यवस्था करने में कुछ अन्य लोग उसके साथ जुड़े हुए हैं।

बैंक खातों से संबंधित कुछ काम के लिए दुबई गया था

उसने यह भी बताया कि ध्रुव मोर,बैंक खातों से संबंधित कुछ काम के लिए दुबई गया था। वह ध्रुव मोर के निर्देश पर काम करता था। वह अपने मोबाइल फोन में अलग-अलग खाते और सिम कार्ड संचालित करता था और ध्रुव मोर को ओटीपी प्रदान करता था। बैंक खाते एकत्र करने के लिए वे अन्य व्यक्तियों को प्रलोभन देता था और उनके बैंक खाते एकत्र करने के बाद अपने अन्य सहयोगियों के साथ लेनदेन करता था।

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