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'एक युवा के भविष्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता', लड़की के अपहरण; दुष्कर्म के आरोपी को दिल्ली HC से मिली जमानत

लड़की के अपहरण और दुष्कर्म के आरोप में 2021 से जेल में बंद युवक को दिल्ली हाईकोर्ट ने जमानत दे दी। अदालत ने अपने तर्क में कहा कि डॉक्टरों और मजिस्ट्रेट को दिए गए बयानों से पता चलता है कि वह अपनी मर्जी से युवक के साथ गई थी और उसने उसके साथ कोई जबरदस्ती नहीं की थी। इसलिए भविष्य को देखते हुए उसे कुछ शर्तों पर जमानत दे दी।

By Agency Edited By: Monu Kumar Jha Updated: Wed, 04 Sep 2024 09:20 AM (IST)
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Delhi News: एक लड़की से दुष्कर्म के आरोपी को दिल्ली उच्च न्यायालय ने दी जमानत। फाइल फोटो

 पीटीआई, नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक लड़की से दुष्कर्म के आरोपी युवक को जमानत दे दी है, जिसके साथ उसका "प्रेम संबंध" चल रहा था, जबकि उन लड़कों से जुड़े मामलों में कानून के "दुरुपयोग" पर ध्यान दिया गया, जो लड़कियों से प्रेम संबंध रखते हैं।

अदालत ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप युवा लड़कों को उनके रोमांटिक रिश्ते पर आपत्ति जताने के लिए लड़कियों के परिवार के आदेश पर दायर किए गए मामलों के कारण जेलों में रहना पड़ा। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने एक मामले से निपटने के दौरान ये टिप्पणियां कीं। जिसमें संबंधित समय पर पीड़िता 16 साल की थी और याचिकाकर्ता आरोपी, एक वयस्क, लड़की के अपहरण और दुष्कर्म के आरोपों का सामना कर रहा था।

ऐसे मामलों में कानून का हो रहा गलत इस्तेमाल-अदालत

उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने कहा कि 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों और 20 वर्ष से अधिक उम्र के लड़कों के बीच सहमति से यौन संबंध "कानूनी रूप से अस्पष्ट क्षेत्र" में है क्योंकि नाबालिग लड़की द्वारा दी गई सहमति सरकार की नजर में वैध सहमति नहीं है।

जज ने सुनवाई के दौरान कहा कि यह अदालत लगातार देख रही है कि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (POCSO) के मामले लड़की के परिवार के इशारे पर दर्ज किए जा रहे हैं, जो एक युवा लड़के के साथ उसकी दोस्ती और प्रेम संबंध पर आपत्ति जताते हैं और ऐसे मामलों में कानून का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। जिसके परिणामस्वरूप युवा लड़के, जिन्हें वास्तव में युवा किशोर लड़कियों से प्यार हो गया है, जेलों में सड़ रहे हैं।

अदालत ने कहा कि वह इस सवाल पर गौर नहीं कर रही है कि याचिकाकर्ता ने ये अपराध किए हैं या नहीं, बल्कि उसकी चिंता सिर्फ इस बात पर है कि क्या एक युवा जो करीब तीन साल से जेल में है, उसे इस तथ्य के मद्देनजर जमानत दी जानी चाहिए या नहीं। अभियोजक सहित सभी सार्वजनिक गवाहों से पूछताछ की गई है।

उसके के कठोर अपराधी के रूप में बाहर आने की संभावना-कोर्ट

इस मामले में लड़की के पिता ने नवंबर 2021 में अपनी बेटी के लापता होने की शिकायत दर्ज कराई थी, जो बाद में याचिकाकर्ता के साथ रह रही थी। प्राथमिकी अपहरण, गंभीर प्रवेशन यौन उत्पीड़न के साथ-साथ भारतीय दंड संहिता और POCSO अधिनियम के तहत दुष्कर्म के अपराधों के लिए दर्ज की गई थी।

अदालत ने कहा कि लड़की की जांच करने वाले डॉक्टरों और मजिस्ट्रेट को दिए गए बयानों से पता चलता है कि वह अपनी मर्जी से युवक के साथ गई थी और उसने उसके साथ कोई जबरदस्ती नहीं की थी। इसने नोट किया कि याचिकाकर्ता 19 नवंबर, 2021 से हिरासत में है और सलाह दी कि अगर वह जेल में रहता है तो उसके एक कठोर अपराधी के रूप में बाहर आने की संभावना बहुत अधिक है।

इसमें कोर्ट ने आगे कहा कि इस समय इस अदालत द्वारा एक युवा के भविष्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। इसमें कहा गया है कि उसे आगे हिरासत में रखने से कोई उपयोगी उद्देश्य पूरा नहीं होगा। अदालत ने याचिकाकर्ता को 50,000 रुपये का सुरक्षा बांड और इतनी ही राशि की दो जमानत राशि देने पर जमानत दे दी और उस पर कुछ शर्तें लगाईं।

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