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G20 Delhi : विदेश में भारत का डंका, धुर विरोधी देश भी भारतीय कूटनीति के हुए कायल

भारत ने जिस तरह से जी-20 समूह की अध्यक्षता की है उससे इस संगठन के ज्यादातर देश खुश है। यही नहीं भारत के बाद जिन तीन देशों को अगले तीन वर्षों तक अध्यक्षता करनी है यानी ब्राजील दक्षिण अफ्रीका और अमेरिका ने कहा है कि वह भारत के रवैये से काफी कुछ सीख रहे हैं। इन चारों देशों के प्रमुखों की शनिवार को एक विशेष बैठक भी हुई है।

By Jagran NewsEdited By: Paras PandeyUpdated: Sun, 10 Sep 2023 04:41 AM (IST)
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धुर विरोधी देश भी भारतीय कूटनीति के हुए कायल
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। भारत ने जिस तरह से जी-20 समूह की अध्यक्षता की है, उससे इस संगठन के ज्यादातर देश खुश है। यही नहीं, भारत के बाद जिन तीन देशों को अगले तीन वर्षों तक अध्यक्षता करनी है यानी ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और अमेरिका ने कहा है कि वह भारत के रवैये से काफी कुछ सीख रहे हैं। इन चारों देशों के प्रमुखों की शनिवार को एक विशेष बैठक भी हुई है जिसमें दिल्ली घोषणापत्र को किस तरह से लागू किया जाए, इसको लेकर साझा कोशिश करने पर सहमति बनी। यह बैठक भारत के आग्रह पर ही हुई है।

पहले इस तरह के विमर्श की परंपरा नहीं रही है। भारत बैठक के जरिये यह सुनिश्चित करना चाहता है कि विकासशील देशों के हितों, वित्तीय सुधार, भ्रष्टाचार उन्मूलन, आतंकवाद से जुड़ी फंडिंग पर रोक लगाने जैसे मुद्दे पर जो सहमति उसके नेतृत्व में बनी है, उस पर आगे भी अमल हो। उधर, फ्रांस, रूस, जर्मनी जैसे देशों ने साझा घोषणा पत्र को संभव बनाने के लिए भारत के नेतृत्व की प्रशंसा की है। फ्रांस के आधिकारिक सूत्रों ने कहा है कि भारत के पास वह क्षमता है कि वह सभी देशों को एक साथ ला सकता है। भारत जिस तरह से वार्ता करने की स्थिति में है वैसी क्षमता दूसरे देशों के पास नहीं है।

भारत ने सभी पक्षों की बातों को एक साथ लाने की कोशिश की है। यूक्रेन के मुद्दे पर हम यही चाहते हैं कि इसका न्यायसंगत समाधान हो और यह काम संयुक्त राष्ट्र के जरिये हो सकता है। दिल्ली घोषणा पत्र में इस बात का जिक्र है। हमें आगे देखना चाहिए और यूक्रेन के स्थाई समाधान की कोशिश करनी चाहिए। दूसरी तरफ रूस भी इस घोषणा पत्र को अपनी जीत के तौर पर देख रहा है। रूस की प्रमुख वार्ताकार स्वेतलाना लुकाश का कहना है कि नई दिल्ली में बातचीत के जरिए निष्कर्ष पर पहुंचना कठिन था लेकिन यह संभ हो चुका है। ब्रिक्स देशों के सामंजस्य से यह संभव हुआ है। विकासशील देशों के मुद्दों को प्राथमिकता मिलने के मुद्दे को रूस ने ऐतिहासिक बताया है।

विश्व में शांति,सुरक्षा व विवादों के समाधान के लिए यह घोषणा पत्र जारी किया गया है। जाहिर है कि घोषणापत्र में अपना नाम नहीं होने से रूस खुश है। यहीं भारतीय कूटनीति की बड़ी जीत है कि दो विपरीत मत रखने वाले देश फ्रांस और रूस दिल्ली घोषणा पत्र को सही ठहरा रहे हैं। यूक्रेन ने कहा- संयुक्त घोषणा पत्र में गर्व वाली कोई बात नहीं : कीव से रायटर के अनुसार, यूक्रेनी विदेश मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि जी-20 की संयुक्त घोषणा पत्र में गर्व करने जैसा कुछ नहीं है। उसने इसमें रूस का उल्लेख न करने के लिए इसकी आलोचना की। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ओलेग निकोलेंको ने घोषणा के प्रासंगिक भाग का स्क्रीनशाट पोस्ट किया जिसमें कई हिस्सों को लाल रंग से काटकर सही किया गया है। उन्होंने कहा कि यह अकारण रूसी आक्रमण के शिकार यूक्रेन की स्थिति को दर्शाता है। 

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