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G20 Summit 2023 Delhi: विदेशी मेहमानों की पसंद रहा है हुमायूं का मकबरा, जानिए इस स्मारक की खासियत

हुमायूं का मकबरा विदेशी मेहमानों की पसंद रहा है। पहले भी यहां विदेशी मेहमान आते रहे हैं। 2010 में उस समय के अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ताजमहल न जाकर हुमायूं के मकबरे पर पहुंचकर इसकी तारीफ की थी। यहीं पर दाराशिकोह भी दफन हैं। उसके बारे में भी उन्होंने जानकारी ली थी। लाल पत्थरों से बना 450 साल पुराना यह मकबरा निजामुद्दीन इलाके में 32 एकड़ में बना है।

By V K ShuklaEdited By: Abhi MalviyaUpdated: Sun, 10 Sep 2023 12:32 AM (IST)
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यहीं पर दाराशिकोह भी दफन हैं। फाइल फोटो
नई दिल्ली, वीके शुक्ला। G20 Summit in Delhi: हुमायूं का मकबरा विदेशी मेहमानों की पसंद रहा है। पहले भी यहां विदेशी मेहमान आते रहे हैं। 2010 में उस समय के अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ताजमहल न जाकर हुमायूं के मकबरे पर पहुंचकर इसकी तारीफ की थी। यहीं पर दाराशिकोह भी दफन हैं। उसके बारे में भी उन्होंने जानकारी ली थी।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के दिल्ली मंडल के अधीक्षण पुरातत्वविद प्रवीण सिंह कहते हैं कि विदेशी मेहमानों में 90 प्रतिशत के हुमायूं का मकबरा देखने के प्रस्ताव आ रहे हैं।

क्या है इस स्मारक की खासियत?

लाल पत्थरों से बना 450 साल पुराना यह मकबरा निजामुद्दीन इलाके में 32 एकड़ में बना है। इस स्मारक पर पर्सियन, मध्य एशियाइ और भारतीय कला की छाप है। आगा खां ट्रस्ट की कोशिशों से कई साल चलने के बाद 2013 में इस स्मारका संरक्षण कार्य पूरा हुआ था। इससे पहले नवंबर 2010 में उस समय के अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा इसे देखने पहुंचे थे। इसे देखकर ओबामा ने इसे शानदार कहा था।

वहां से चलने से पहले ओबामा दंपति ने गेस्ट बुक में अपने दस्तखत किए थे और ओबामा ने लिखा था कि साम्राज्यों के बनने और बिखरने के दौर में भी भारतीय सभ्यता बनी रही और दुनिया को एक नई ऊंचाई पर ले जाने में अपना योगदान देती रही, पूरी दुनिया इस बात के लिए भारत की कर्जदार है।

वास्तुकला के नजरिए से बेजोड़ है मकबरा- पुरातत्वविद

ओबामा को इस स्मारक में भ्रमण कराने वाले उस समय के एएसआई के दिल्ली मंडल के अधीक्षण पुरातत्वविद पदमश्री डॉ के के मोहम्मद कहते हैं कि हुमायूं का मकबरा वास्तुकला के नजरिए से बेजोड़ है। साथ ही इसका इतिहास बहुत महत्वपूर्ण है। देश का इकलौता स्मारक है जिसे एक पत्नी ने अपने पति के याद में बनवाया है।

चबूतरे पर बनी यह इमारत बहुत खूबसूरत दिखती है। इसमें बड़े स्तर पर लाल पत्थर लगा है, संगमरमर का कम प्रयोग जरूर हुआ है, मगर जिस तरह से इसे लगाया है वह बेहतरीन तरीका है। वह कहते हैं कि दिल्ली के किसी भी स्मारक से अधिक यहां विदेशी पर्यटक आते हैं। वह कहते हैं कि यहां आने वालों को दाराशिकोह के इतिहास के बारे में भी जानकारी देनी चाहिए।

यहां बता दें कि मुगलों का शयनागार' कहे जाने वाले इस मकबरे के परिसर में 150 से अधिक मुगल परिवार के सदस्य दफ़न हैं। उनमें से एक कब्र दारा शिकोह की भी है। वैसे शाहजहां और औरंगजेब की कब्र यहां नही है।शाहजहां की कब्र आगरा और औरंगजेब की कब्र औरंगाबाद में है।

हुमायूं के मकबरे में दारा शिकोह की कब्र कौन सी है और कहां पर है।इसका पता लगाने के लिए केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने जनवरी 2019 में एक कमेटी बनाई थी। इसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) से संबंधित पूर्व अधिकारी और देश के बड़े पुरातत्वविद् शामिल थे।

अभी इस रिपोर्ट पर फैसला नहीं हुअर है। शाहजहांनामा में इस बात का जिक्र है कि दारा शिकोह को हथकड़ी लगाकर हाथी पर घुमाया गया था। उन्हें अपमानित करने के बाद कत्ल करके हुमायूं के मकबरे में दफन कर दिया गया था।

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कौन थे दारा शिकोह ?

शाहजहां की पत्नी मुमताज महल ने 1615 ई. में दारा शिकोह को जन्म दिया था। वह शाहजहां के ज्येष्ठ पुत्र तथा औरंगजेब के बड़े भाई थे। इसलिए 1633 में दारा को युवराज घोषित किया गया था। इसके बाद 1645 में वह लाहौर और फिर 1649 में गुजरात के शासक बन गए।

1653 में कंधार में हुई पराजय से उनकी प्रतिष्ठा को धक्का पहुंचा। फिर भी शाहजहां उन्हें उत्तराधिकारी के रूप में देख रहे थे, जो दारा के अन्य भाइयों को स्वीकार नहीं था। शाहजहां के बीमार पड़ने पर औरंगजेब ने दारा को काफिर (धर्मद्रोही) घोषित कर दिया। इसके बाद दारा दो बार, पहले आगरा के निकट सामूगढ़ में (जून, 1658) फिर अजमेर के निकट देवराई में (मार्च, 1659), पराजित हुए।अंत में 10 सितंबर 1659 को दिल्ली में औरंगजेब ने दारा की हत्या करवा दी।

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रिपोर्ट इनपुट- वीके शुक्ला

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