G-20 Summit: लोकतंत्र की जननी भारत के बारे में जानेंगे विदेशी मेहमान, हजारों वर्ष पुरानी यात्रा से होंगे रूबरू
जी-20 सम्मेलन में भाग लेने वाले राष्ट्राध्यक्ष विश्व में लोकतंत्र की जननी भारत से भी साक्षात्कार करेंगे। इसके लिए प्रगति मैदान में आयोजन स्थल भारत मंडपम (Bharat Mandapam) से सटे हाल नंबर 14 को लोकतंत्र की जननी पवेलियन के रूप में तैयार किया जा रहा है जिसमें हड़प्पा काल से अब तक की देश में समृद्ध लोकतांत्रिक व्यवस्था से राष्ट्राध्यक्षों को अत्याधुनिक तकनीकी के माध्यम से अवगत कराया जाएगा।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। जी-20 सम्मेलन में भाग लेने वाले राष्ट्राध्यक्ष विश्व में लोकतंत्र की जननी ''भारत'' से भी साक्षात्कार करेंगे। इसके लिए प्रगति मैदान में आयोजन स्थल भारत मंडपम (Bharat Mandapam) से सटे हाल नंबर 14 को ''लोकतंत्र की जननी'' पवेलियन के रूप में तैयार किया जा रहा है, जिसमें हड़प्पा काल से अब तक की देश में समृद्ध लोकतांत्रिक व्यवस्था से राष्ट्राध्यक्षों को अत्याधुनिक तकनीकी के माध्यम से अवगत कराया जाएगा।
बताया जाएगा कि लोकतंत्र महज शब्द नहीं, यह इस देश की आत्मा है। किस तरह इस देश ने प्राचीन लोकतांत्रिक परंपराओं को आगे बढ़ाते हुए विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश बना है, जहां सत्ता का हस्तांतरण शांतिपूर्ण तरीके से होता है। विशेष बात कि भारत में लोकतंत्र के जीवंत इतिहास को राष्ट्राध्यक्ष अपनी मातृभाषा में भी जान सकेंगे।
इन भाषाओं में होगा प्रदर्शन
इसके लिए इस प्रदर्शनी में हिंदी व बांग्ला के साथ ही अंग्रेजी, स्पेनिश, तुर्किए, जापानी समेत अन्य भाषाओं में जानकारी लेने की सुविधा होगी। पहली बार देश की प्रदर्शनी में आर्टिफिशिएल इंटेलिजेंस (एआई) एंकर का भी इस्तेमाल होगा। एआइ एंकर विशिष्ट विदेशी मेहमानों से बातचीत में उन्हें यह बताएगी कि इस पवेलियन में उनके लिए क्या-क्या जानकारियां है।
'हड़प्पा की लड़की'
इसी तरह, इस पवेलियन में खास ''हड़प्पा की लड़की'' आधारित घूमती मूर्ति भी आकर्षण के केंद्र में होगी, जिसका परिष्कृत रूप का निर्माण प्रसिद्ध मूर्तिकार राम सूतार द्वारा कराया जा रहा है। ''हड़प्पा की लड़की'' का अनावरण प्रगति मैदान में कुछ माह पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था।
हजारों वर्षों से है लोकतंत्र के साक्ष्य
मामले के एक जानकार के अनुसार, इस प्रदर्शनी के माध्यम से राष्ट्राध्यक्षों को यह बताया जाएगा कि हमारे लिए लोकतंत्र कोई नई चीज नहीं है। हमारे हजारों साल के इतिहास में इसके विद्यमान होने के साक्ष्य मिलते हैं। हड़प्पा (सिंधु घाटी सभ्यता) से लेकर वैदिक काल के श्लोक बताते हैं कि हम गणतंत्र की बात करते ही नहीं थे, बल्कि उसका पालन भी करते थे।
इस प्रदर्शनी को इन्हीं साक्ष्यों के साथ तैयार किया जा रहा है। इसके लिए दस्तावेज इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) ने तैयार किए हैं तो टैगबिन कंपनी तकनीकी पक्ष मुहैया करा रही है। प्रदर्शनी में 26 डिजिटल पैनल के माध्यम से देश में लोकतंत्र के पूरे इतिहास को प्रस्तुत किया जाएगा।
इसमें हड़प्पा, वैदिक, रामायण, महाभारत, शिवाजी व चाणक्य से लेकर अकबर के शासन काल समेत अन्य के समय में मिले लोकतंत्र के साक्ष्य होंगे। भगवान कृष्ण का रणक्षेत्र में अर्जुन को धर्म के पालन का उपदेश हो या रामराज में मंत्रीमंडल के समूह तथा शिवाजी का स्वराज, इन सभी का ध्येय लोगों का कल्याण प्रमुख था। इसमें समय-समय पर चीनी भिक्षु फाह्यान समेत अन्य विदेशी यात्रियों की टिप्पणियों और लेखों का भी दस्तावेज होगा।
''लोकतंत्र की जननी'' वेबसाइट का होगा अनावरण इस प्रदर्शनी में ''लोकतंत्र की जननी'' वेबसाइट का भी अनावरण किया जाएगा ताकि देशभर के लोग एक प्लेटफार्म पर ही भारत में हजारों साल से विद्यमान लोकतांत्रिक व्यवस्था से साक्षात्कार कर सकें।