अब दिल्ली हो जाएगी कूड़ा-कूड़ा? ये वजह आई सामने, जानें क्या आपका इलाका भी है शामिल
25 जुलाई के बाद दिल्ली के कई इलाकों में कूड़ों का ढेर लग सकता है। इसका कारण कूड़ा उठाने वाली कंपनी का टेंडर खत्म होना है। निगम प्रशासन कंपनी की मान मनोव्वल में जुटा है। एक हजार टन प्रतिदिन इस जोन में कूड़ा निकलता है। पहले दक्षिणी दिल्ली नगर निगम और दक्षिणी दिल्ली स्वच्छ इनिसेटिएव लिमिटेड कूड़ा उठा रही थी। इसका कार्य नंवबर 2023 में खत्म हो गया था
निहाल सिंह, नई दिल्ली। (Delhi Hindi News) एमसीडी के 25 वार्डों में एक बार फिर बड़े संकट के बादल मंडराने लगे हैं आने वाला है। इन वार्डों में 25 जुलाई से कूड़ा न उठे ऐसे हालात बन गए हैं। हालांकि निगम प्रशासन इसके समाधान में जुटा है। पर, समाधान हो पाएगा या नहीं अभी कहना मुश्किल है।
दरअसल, कंपनी की निविदा की समय-सीमा 23 नंवबर 2023 को खत्म हो गई थी। निविदा की शर्तों के अनुसार कूड़ा उठाने के लिए एजेंसी को कार्यविस्तार देने और उसको जारी रखने के एमसीडी के सभी विकल्प पूरे हो चुके थे फिर भी निगम ने किसी तरह से कंपनी के साथ इस इस कार्य को जारी रखने की बात कही।
जिससे कंपनी ने काम करना जारी रखा था लेकिन कूड़ा उठाने वाली कंपनी ने कोर्ट में यह दलील देते हुए रुख कर लिया कि या तो उसके कूड़ा उठाने के दाम बढ़ाए जाए या फिर कार्य विस्तार न किया जाए। हालांकि निगम ने कोर्ट में पक्ष रखकर इससे इनकार कर दिया।
25 जुलाई के बाद से हो सकती है समस्या
अब कूड़ा उठाने वाली कंपनी दक्षिणी दिल्ली स्वच्छ इनिसेटिएव लिमिटेड (डीडीएसआइएल) ने निगम को लिखकर दिया है कि 25 जुलाई से पहले वह अपना कार्य टेकओवर कर लें क्योंकि वह आगे काम नहीं करेगा।
ऐसे में 25 जुलाई के बाद समस्या उत्पन्न हो सकती है। हालांकि निगम के अधिकारियों का कहना है कि वह इस पर समाधान निकलने में जुटे हुए हैं। उन्हें उम्मीद है कि कोई समस्या नहीं होगी।
उल्लेखनीय है कि पूर्वकालिक दक्षिणी दिल्ली नगर निगम दक्षिणी दिल्ली स्वच्छ इनिसेटिएव लिमिटेड (डीडीएसआईएल) नामक कंपनी कूड़ा उठा रही थी। इसका कार्य नंवबर 2023 में खत्म हो गया था। इसके लिए निगम ने नई कंपनी को लगाने के लिए निविदा भी कर रखी है लेकिन स्थायी समिति का गठन न होने की वजह की वजह से नई कंपनी को कार्यादेश नहीं दिए जा सकते हैं।
वर्ष 2022 के मार्च में तत्कालीन स्थायी समिति के अध्यक्ष कर्नल बीके ओबेराय ने इस पर चिंता जाहिर की थी। क्योंकि उस समय निगम ने जब इस एजेंसी के लिए तिथि विस्तार का प्रस्ताव रखा था तो उन्होंने सिर्फ इसके लिए एक माह की मंजूरी दी थी।
बाद में निगम के एकीकरण के बाद नियुक्त हुए विशेष अधिकारी ने इसे आगे का कार्य विस्तार दिया। वैसे तो एमसीडी ने टेंडर खत्म होने के बाद दूसरी एजेंसी को यह काम देने की प्रक्रिया पूरी कर ली है, लेकिन निविदाओं को स्थायी समिति की मंजूरी की आवश्यकता है।
दिल्ली नगर निगम एक्ट के तहत स्थायी समिति के पास ही यह शक्ति हैं कि वह दर व कार्यदायी संस्था तय करें। इसलिए निगम बिना स्थायी समिति की मंजूरी के इस पर आगे कोई कदम नहीं उठा सकता। निगम के पास समस्या यह है कि निगमायुक्त के पास पांच करोड़ तक के कार्य देने की ही शक्ति हैं। अब निगम ने यह कार्य 1200 करोड़ रुपये में 10 वर्ष तक देने के लिए प्रक्रिया पूरी की है।
यानि 120 करोड़ रुपये सालाना इस पर खर्च होंगे। यानि 10 करोड़ रुपये माह का यह काम होगा। अब निगमायुक्त चाहे भी तो इन एजेंसियों को काम नहीं दे सकते क्योंकि उनके पास केवल पांच करोड़ तक के ही कार्य करने की शक्तियां निहित है।
उल्लेखनीय है कि निगम में 12 जोन हैं। इसमें निगम ने अलग-अलग जोन में अलग-अलग एजेंसियों को यह कूड़ा उठाने का कार्य दे रखा है। यह कंपनियां अपने कर्मियों और आटो टिप्पर के माध्यम से कूड़ा घर-घर से उठाने का कार्य करती हैं।
कौन-कौन से वार्ड आने वाली है समस्या
दरियागंज, सिद्धार्थनगर, लाजपत नगर, एंड्रयूज गंज,अमर कालोनी, कोटला मुबारकपुर, संगम विहार सी, संगम विहार बी, तुगलकाबाद एक्सटेंशन, श्रीनिवासपुरी, कालकाजी, गोविंदपुरी, हरकेश नगर, तुगलकाबाद, पुल प्रहलादपुर, बदरपुर, मोलड़बंद, मीठापुर, हरिनगर एक्सटेंशन, जैतपुर, मदनपुर खादर पश्चिम, सरिता विहार, अबुलफजल एंक्लेव, जाकिर नगर।
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