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सौतेली नहीं, अपनी असली मां का नाम मार्कशीट पर लिखवाने का अधिकार; दिल्ली हाईकोर्ट ने बेटी को दिया हक

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक बेटी के मामले में सुनवाई करते हुए अपनी पहचान को जैविक मां से जोड़ने के मौलिक अधिकार को मान्यता दी। अदालत ने सीबीएसई को एक महीने के अंदर 10वीं के प्रमाण पत्र में याचिकाकर्ता और उसकी मां का नाम सही करने का निर्देश दिया। बेटी ने अपनी जैविक मां का नाम आधिकारिक अभिलेखों में दर्ज करवाने की मांग की थी। जानिए पूरा मामला।

By Ritika Mishra Edited By: Geetarjun Updated: Sat, 28 Sep 2024 04:50 PM (IST)
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दिल्ली हाईकोर्ट ने बेटी को दिया हक।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने एक बेटी के मामले में सुनवाई करते हुए, अपनी पहचान को जैविक मां से जोड़ने के मौलिक अधिकार को मान्यता दी। बेटी ने अपनी जैविक मां का नाम आधिकारिक अभिलेखों में दर्ज करवाने की मांग की थी।

न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा की पीठ ने कहा कि जब कठोर व्याख्याओं के दरवाजे बंद हो जाते हैं तो अदालत का विवेक ही उन लोगों के लिए आशा की खिड़कियां खोलता है, जो उपायहीन रह गए हैं। अदालत ने सीबीएसई (CBSE) को एक माह के अंदर 10वीं के प्रमाण पत्र में याचिकाकर्ता और उसकी मां का नाम सही करने का निर्देश दिया।

बेटी अपने मां के नाम से पहचाने जाने की मांग कर रही

अदालत ने कहा कि एक विशिष्ट और व्यक्तिगत परिस्थिति में सीबीएसई नियमों को कठोरता से लागू करने से याचिकाकर्ता न्याय से वंचित हो जाएगी, जो कुछ लोगों को मामूली बात लग सकती है। लेकिन, यह उसके लिए बहुत मायने रखती है, चूंकि वह अपनी जैविक मां के नाम से पहचाने जाने की मांग कर रही थी।

कम उम्र में माता-पिता के फैसलों पर नहीं था नियंत्रण

कोर्ट ने कहा कि बेटी के रूप में उसे यह अधिकार नकारना उसे उस मां के नाम से पहचाने जाने के अधिकार से वंचित करना होगा, जिसने उसे इस दुनिया में लाया। अदालत ने कहा कि इतनी कम उम्र में याचिकाकर्ता का अपने माता-पिता द्वारा लिए गए निर्णयों पर कोई नियंत्रण नहीं था, खासकर जब बेटी के माता-पिता के बीच पारिवारिक कलह हो।

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पिता ने दूसरी पत्नी का नाम दर्ज करवाया

याचिकाकर्ता श्वेता ने अपने 10वीं कक्षा के प्रमाण पत्र और अन्य शैक्षिक अभिलेखों में अपने और अपनी जैविक मां के नाम को सही करवाने के लिए कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता ने कहा कि वह अपने माता-पिता के वैवाहिक कलह के कारण कम उम्र में ही अपनी मां से अलग हो गई थी। उसके पिता ने पुनर्विवाह करने के बाद उसके सीबीएसई अभिलेखों में अपनी दूसरी पत्नी का नाम उसकी मां के रूप में दर्ज कर दिया था।

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