इस बाबा के असर से मुक्त नहीं हो सकी हैं लड़कियां, लगा रखी है यही रट...
लड़कियां बंद कमरे में ही रहना चाहती हैं। वो खुले पार्क में घूमना भी पसंद नहीं कर रही हैं। उनकी सोच कि ऐसा करने पर बाहरी लोगों की नजर पड़ने से बाबा की शिक्षा का उल्लंघन होगा।
नई दिल्ली [जेएनएन]। बृहस्पतिवार को आश्रम से मुक्त कराई गई नाबालिग लड़कियां अब तक बाबा वीरेंद्र देव की आभा से मुक्त नहीं हो सकी हैं। यहां से मुक्त कराई गई 41 लड़कियों को अलीपुर स्थित मिंडा बाल ग्राम होम में रखा गया है। लेकिन यहां लड़कियां एक तरह से अनशन पर हैं और आश्रम के नियम-कायदे से अलग कुछ भी करना उन्हें मंजूर नहीं है।
लड़कियां न तो होम में तैयार खाना खा रही हैं और न ही वहां के दिए कपड़े पहनना ही उन्हें गवारा है। यहां तक वह होम के किसी कर्मचारी, काउंसलर से भी बात करने को तैयार नहीं हैं। यही कारण है कि शनिवार को मिंडा बाल ग्राम होम की कुछ महिलाएं यहां मुक्त कराई गई लड़कियों के कपड़े व अन्य सामान आदि लेने के लिए आश्रम गईं थीं।
समस्या केवल खाने को लेकर नहीं है
मिंडा बाल ग्राम होम की मुख्य काउंसलर मधु ने बताया की लड़कियों ने पहले दिन होम का खाना नहीं खाया। लड़कियों का कहना है कि दूसरे के हाथ का बना खाना अगर खा लिया तो आध्यात्मिक शिक्षा के खिलाफ होगा, इसे अन्न दोष माना जाएगा। इसलिए वह खुद के हाथों से बना खाना ही खाएंगी। ऐसे में उनके लिए खुद का खाना पकाने की व्यवस्था की गई है। लेकिन समस्या केवल खाने को लेकर नहीं है, बल्कि वह आश्रम के खास कपड़ों के अलावा कोई अन्य कपड़े पहनने को भी तैयार नही हैं।
बंद कमरे में ही रहना चाहती हैं लड़कियां
लड़कियां बंद कमरे में ही रहना चाहती हैं। लड़कियां होम के खुले पार्क में घूमना भी पसंद नहीं कर रही हैं। उनकी सोच यह है कि ऐसा करने पर बाहरी लोगों की नजर पड़ने से बाबा की शिक्षा का उल्लंघन होगा। वह आपस में ही बातचीत करती हैं और जब होम की महिला काउंसलर उनसे बात करना चाहती हैं तो मुंह ढ़क कर चुप-चाप बैठ जाती हैं। वह आश्रम के बारे में भी कुछ नहीं बता रही हैं। वह सुबह 3 बजे से 5 बजे तक प्रार्थना करती हैं। प्रार्थना के क्रम में वह आंखे बंद कर मंद मंद मुस्कुराती हैं और खुद से ही बातें करती हैं।
आश्रम में भेज देने की बात
लड़कियां कहती हैं की उनका धार्मिक ग्रंथ आश्रम में ही है। वह ग्रंथ का अध्ययन नहीं कर पा रही हैं। जब उनसे कहा गया की धार्मिक ग्रंथ यहीं उपलब्ध करा दिया जाए तो उन्होंने केवल आश्रम से मिले हुए ग्रंथ पढ़ने की ही बात कही। वह बार-बार खुद को वापस आश्रम में भेज देने की बात कहती हैं।
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