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गिरमिटिया महोत्सव में पूर्वजों के संघर्षो की दास्तान पर लघु फिल्म रिलीज

200 साल पहले भारत से बतौर मजदूर मारीशस फिजी गुयाना त्रिनिदाद एंड टोबैगो सूरीनाम और दक्षिण अफ्रीका गए गिरमिटिया मजदूरों की याद में मनाया गया। यह कार्यक्रम भारत और गिरमिटिया देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करने के उद्देश्य किया जा रहा है।

By Pradeep ChauhanEdited By: Updated: Sun, 12 Dec 2021 07:34 AM (IST)
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इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में गिरमिटिया महोत्सव-2021 का आयोजन।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। गिरमिटिया फाउंडेशन ने शनिवार को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में गिरमिटिया महोत्सव-2021 का आयोजन किया। यह आयोजन 200 साल पहले भारत से बतौर मजदूर मारीशस, फिजी, गुयाना, त्रिनिदाद एंड टोबैगो, सूरीनाम और दक्षिण अफ्रीका गए गिरमिटिया मजदूरों की याद में मनाया गया। यह कार्यक्रम भारत और गिरमिटिया देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करने के उद्देश्य किया जा रहा है।

कार्यक्रम में गिरमिटिया समूह के संघर्ष को दिखाती लघु फिल्म दिखाई गई। साथ ही एक पत्रिका का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम में मारीशस की एसबी हनुमानजी, गिरमिटिया फाउंडेशन के संरक्षक और पूर्व उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी बृजलाल, फिजी के उच्चायुक्त कमलेश शशि प्रकाश और शांतनु मुखर्जी ने शामिल हुए।

फिजी के उच्चायुक्त कमलेश शशि प्रकाश ने गिरमिटिया फाउंडेशन के कार्यो की सराहना करते हुए कहा कि गिरमिटिया को लेकर जिन तथ्यों की जानकारी की जरूरत होगी, हाई कमीशन मुहैया कराएगा। उन्होंने कहा कि यह इतिहास जितना यातना का रहा है उतना ही प्रेरणादायक भी है, जिससे आज की युवा पीढ़ी को सीखना चाहिए कि कैसे अभाव में भी हमारे पूर्वजों ने नया इतिहास रच डाला।

फिजी, मारीशस त्रिनिदाद एंड टोबैगो एवं सूरीनाम जैसे छोटे-छोटे द्वीपों को सिर्फ समृद्ध ही नहीं बनाया, बल्कि अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त भी कराया। गिरमिटिया फाउंडेशन के अध्यक्ष दिलीप गिरी ने बताया कि इस आयोजन का मकसद भारत के लोगों में भी गिरमिटिया इतिहास के बारे में जागरूकता पैदा करना है। कोशिश यह है कि हमारे शिक्षण संस्थानों में भी गिरमिटिया पर अध्ययन कराया जाए, ताकि आने वाली पीढ़ी हमारे पूर्वजों की करुण कथा को जान सके। उनके शौर्य और साहस की जानकारी की बदौलत आज की पीढ़ी खुद के जीवन में भी कर गुजरने की जज्बा पैदा कर सके।

दिलीप गिरी ने बताया कि गिरमिटिया का इतिहास सिर्फ मजबूरी में विस्थापन और पलायन की ही घटना नहीं है, बल्कि यह भारतवंशियों की मेहनत ईमानदारी और समर्पण का सुखद इतिहास भी है, जिससे हम सबको प्रेरणा मिलती है।

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