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Golden Baba Death: जानिए- कौन थे सोने को देवता मानने वाले गोल्डन बाबा, एक श्मशान घाट से रखते थे लगाव

Golden Baba Death पूर्वी दिल्ली के रहने वाले सुधीर कुमार मक्कड़ के गोल्डन बाबा बनने तक का सफर रहस्य और रोमांच से भरा हुआ है।

By JP YadavEdited By: Updated: Thu, 02 Jul 2020 08:52 AM (IST)
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Golden Baba Death: जानिए- कौन थे सोने को देवता मानने वाले गोल्डन बाबा, एक श्मशान घाट से रखते थे लगाव
नई दिल्ली [शुजाउद्दीन]। Golden Baba Death News: दिल्ली और उत्तर प्रदेश के साथ-साथ उतराखंड में गोल्डन बाबा के नाम से मशहूर सुधीर कुमार मकक्ड़ ने दुनिया को अलविदा कह दिया। पूर्वी दिल्ली के रहने वाले सुधीर कुमार मक्कड़ के गोल्डन बाबा बनने तक का सफर रहस्य और रोमांच से भरा हुआ है। उनका लगाव पूर्वी दिल्ली में गीता कॉलोनी स्थित श्मशान घाट से था और इसका जिक्र भी उन्होंने कई बार किया था। यही वजह है कि उनका अंतिम संस्कार गीता कॉलोनी में किया गया। कोरोना की वजह से बहुत कम लोग ही इसमें शामिल हुए।

कभी जुर्म की दुनिया के बेताज बादशाह थे गोल्डन बाबा

संन्यासी बनने से पहले बाबा कपड़ा काराेबारी होने के साथ ही जुर्म की दुनिया के बेताज बादशाह थे। गांधी नगर थाना क्षेत्र के घोषित बदमाश रहे हैं। बाबा के खिलाफ फिरौती, अपहरण, उगाही, जान से मारने की धमकी समेत कई मुदकमें दर्ज रहे।

पूर्वी दिल्ली के गांधी नगर में रहने वाले व बाबा के शिष्य हरीश ने बताया कि 1972 से ही बाबा को सोना पहनना काफी पसंद था। वह सोने को अपना देवता मानते थे। बाबा हर वक्त कई किलो सोना पहने रहते थे, हाथों की सारी अंगलियों में अंगूठी, हाथ में कड़ा और गले में सोने की मोटी चेन पहननते थे। गांधीनगर के अशोक गली में उन्होंने अपना छोटा-सा आश्रम भी बनाया था। इसके अलावा हरिद्वार के कई अखाड़ों से भी उनके नाम जुड़े हैं। कहा जाता है कि वह अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए अध्यात्म की शरण में आए थे।

30 निजी गार्ड करते थे बाबा की सुरक्षा

बाबा अपने रुतबे और दिखावे के लिए भी जाने जाते थे। वह कई किलोग्राम का सोना जेवर के रूप में पहनते थे, यही वजह है कि जल्द ही उन्हें गोल्डन बाबा के नाम से जाना जाने लगा था। वह हर साल कांवड़ लेने जाते थे। सबसे हैरान करने वाली बात तो यह है कि उनकी सुरक्षा में करीब 30 निजी गार्ड लगे हुए थे।

हर साल कांवड़ लाते थे बाबा

गोल्डन बाबा हर साल हरिद्वार से कांवड़ लाते थे। इस दौरान जब वह कांवड लेकर दिल्ली वापस लौटते थे तो वह भोले बाबा की मूर्ति के पास बने शिवाल्य पर जल चढ़ाते थे। पूर्वी दिल्ली में नाम कमाने वाले गोल्डन बाबा फिलहाल साहिबाबाद में अपने परिवार के साथ रह रहे थे। 

करते थे गारमेंट का कारोबार

गोल्डन बाबा कई सालों से हरिद्वार के कई अखाड़ों से जुड़े थे। उनके अनुयायियों की संख्या हजारों में थे। उन पर कई संगीन आरोप लगे, लेकिन अनुयायियों की संख्या में इजाफा होता रहा। बताया जाता है कि कभी वह दिल्ली में गारमेंट्स का कारोबार करते थे। बताया जाता है कि अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए उन्होंने संन्यासी बनने का फैसला लिया था। उनके चाहने वालों को कहना है कि जब से गोल्डन बाबा को इस चोले में देखा, कभी भी किसी गुनाह से वास्ता नहीं पाया। ज्यादातर अनुयायी मानते हैं कि बाबा बेहद साफ दिल के व्यक्ति के थे और हर किसी की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते थे।

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