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अच्छी जीवनशैली और खुराक से 80 साल में भी तेज चलेगा दिमाग, दिल्ली के एम्स में चल रहा शोध

बुजुर्ग पौष्टिक खानपान व्यायाम व किस तरह की जीवनशैली अपनाकर 80 साल की उम्र में भी याददाश्त को बेहतर रख सकेंगे। इस पर काम चल रहा है।

By JP YadavEdited By: Updated: Mon, 21 Sep 2020 11:23 AM (IST)
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नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। देश में अल्जाइमर के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। इसके मद्देनजर दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के जेरियाट्रिक विभाग के डॉक्टर एक खास शोध परियोजना पर काम कर रहे हैं। इसके तहत दिल्ली-एनसीआर के कई परिवारों के 200 लोगों की जीवनशैली की कुंडली तैयार की जा रही है। इस शोध के परिणाम के आधार पर एम्स के डॉक्टर यह बताएंगे कि बुजुर्ग पौष्टिक खानपान, व्यायाम व किस तरह की जीवनशैली अपनाकर 80 साल की उम्र में भी याददाश्त को बेहतर रख सकेंगे। साथ ही उनका मस्तिष्क 50 साल के व्यक्ति की तरह काम कर सकेगा। इस शोध का मकसद डिमेंशिया व अल्जाइमर जैसी बीमारियों की रोकथाम करना है।

एम्स के जेरियाट्रिक विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रसून चटर्जी ने कहा कि अल्जाइमर को लोग सामान्य तौर पर भूलने की बीमारी समझते हैं, जबकि कई लोगों में बोलने में परेशानी (आवाज लड़खड़ाना), कठिन काम करने में परेशानी, ध्यान भटकना या व्यावहारिक बदलाव के भी लक्षण हो सकते हैं। 65 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गो में यह बीमारी ज्यादा देखी जाती है। खास तौर पर 80 साल से अधिक उम्र के लोग इससे ज्यादा पीडि़त होते हैं। दुनिया भर में हर तीन सेकेंड में एक व्यक्ति डिमेंशिया से पीडि़त होता है। देश में बुजुर्गों की संख्या बढ़ने से यहां भी यह बीमारी बढ़ रही है। ब्लड प्रेशर, मधुमेह, धूमपान व शराब का सेवन इसका कारण हो सकते हैं। इसके अलावा व्यायाम नहीं करना व पौष्टिक आहार नहीं लेने से भी यह बीमारी हो सकती है।

उन्होंने कहा कि एक शोध किया जा रहा है कि जिसमें यह तय किया जाएगा कि 80 से अधिक उम्र के लोगों के लिए क्या पैमाना हो ताकि उसे 'सुपर एजर' माना जाए। 80 साल की उम्र में भी मस्तिष्क की कार्य क्षमता 50 साल की उम्र वाले लोगों के बराबर हो। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) ने इसके लिए फंड जारी किया है। एक साल से चल रहा यह शोध वर्ष 2022 में पूरा होगा। इसके लिए कई परिवारों के 30 से 50 साल के लोगों व 80 साल के बुजुर्ग सदस्य पर तुलनात्मक अध्ययन किया जा रहा है। एमआरआइ की मदद से उनके मस्तिष्क की बनावट व कार्यक्षमता का आकलन किया जा रहा है।

80 साल की उम्र वाले जिन लोगों के मस्तिष्क की कार्यक्षमता बेहतर पाई जा रही है उनके जीवन की कुंडली तैयार की जा रही है। इसके तहत उनके खानपान, कामकाज, आइक्यू लेवल, शिक्षा, योग, व्यायाम इत्यादि जानकारी जुटाई जा रही है। हाल ही में 90 वर्षीय एक बुजुर्ग की याददाश्त उनके 60 वर्षीय बेटे से बेहतर पाई गई। इस आधार पर एक टूल तैयार किया जाएगा और लोगों को उस तरह की जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा।

जनवरी में एम्स जारी करेगा एक विशेष एप केंद्र सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के साथ मिलकर एम्स में भूलने की समस्या से पीडि़त 132 लोगों पर एक अन्य शोध भी चल रहा है। अध्ययन में देखा गया कि कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण, खान पान में बदलाव व व्यायाम करने वाले लोगों में बीमारी आगे नहीं बढ़ी। इसलिए अब एक सॉफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है। इसे मोबाइल एप के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकेगा। एक जनवरी 2020 तक यह एप उपलब्ध हो जाएगा।

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