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Good News: बदल गया दरियागंज के पुस्तक बाजार का पता, अब यहां जाकर ले पाएंगे किताबें, समय भी जान लें

जो पुस्तकें कहीं और नहीं मिलेगी वह यहां मिल जाएंगी। तकरीबन 500 विक्रेता हैं। इस रविवार को हल्की बारिश के बीच दुकानदार किताबों को बचाने से जूझते दिखे। वहीं गाजियाबाद से प्रतियोगिता परीक्षा की खरीदारी करने आए रोहित खोखर ने कहा कि अभी काफी लोगों को जानकारी नहीं है।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Updated: Mon, 19 Jul 2021 12:58 PM (IST)
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इसका नया पता आसफ अली मार्ग पर नगर निगम का महिला हाट है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। साहित्य प्रेमियों व प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी व स्कूल-कालेजों में पढ़ने वाले छात्रों के लिए राहत की खबर है। दरियागंज का ऐतिहासिक रविवार पुस्तक बाजार फिर से पटरी पर आ गया है। हालांकि, साथ में किताब बेचने वालों के लिए समस्याओं और चिंताओं का बादल भी लाया है। इस बाजार को शाम चार बजे से आठ बजे रात्रि तक ही लगाने की अनुमति है। यह स्थिति तब है जब किताबों के संसार की तलाश में दिल्ली-एनसीआर से लोग दोपहर होते-होते इस बाजार की तलाश में दरियागंज पहुंचने लगते हैं, लेकिन इसका पता बदलने तथा दुकान न खुलने से कई लोगों को निराश लौटना पड़ रहा है।

इसका नया पता आसफ अली मार्ग पर नगर निगम का महिला हाट है, जिसके बारे में अभी कम ही लोगों को जानकारी है। कोरोना दिशानिर्देशों के अनुसार फिलहाल इस बाजार में आवंटित कुल दुकानदारों में से आधे को ही बैठने की अनुमति है। पहले यहां 276 दुकानदारों को जगह आवंटित की गई थी, लेकिन अभी 90 को ही बैठने की अनुमति है। दिक्कत यहीं नहीं है। बारिश व जलभराव से किताबों को बचाने के लिए छत और ग्राहकों की आसान पहुंच की दरकार है। दरियागंज पटरी संडे बुक बाजार वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष कमर सईद कहते हैं कि यहां तक का रास्ता आसान नहीं है। यह बाजार पार्किंग की छत पर है। यहां तक पहुंचने के लिए बनी सीढि़यों की स्थिति ठीक नहीं है। नीचे पानी भरा हुआ है, जिसके कारण खरीदार यहां तक नहीं पहुंच पाते हैं। उनके मुताबिक सबसे बड़ी दिक्कत समय को लेकर है।

चार बजे तक लोगों के खरीदारी कर लौटने का वक्त होता है तब उन्हें दुकान खोलने की अनुमति है। इसके लिए किताब दुकानदारों को कुछ देर पहले ही महिला बाजार में प्रवेश दिया जाता है। वहीं, आठ बजे रात्रि में खाली कर देना होता है। ऐसे में कारोबार के लिए उन लोगों के लिए बमुश्किल तीन घंटे का समय मिलता है। उसके लिए प्रति दुकानदार 185 रुपये तहबजारी के रूप में चुकाने पड़ रहे हैं। एक अन्य दुकानदार रमेश कुमार ने आरोप लगाते हुए कहा कि कोर्ट के आदेश पर जब उन लोगों को महिला बाजार में जगह आवंटित की गई थी तब तय हुआ कि पहले के स्थानों दरियागंज और आसफ अली रोड के फुटपाथ पर किताबों की दुकानें नहीं लगेंगी, लेकिन हो उल्टा रहा है।

वहां पुलिस व नगर निगम की मिलीभगत से किताब की दुकानें लग रही हैं। इस कारण उनकी बिक्री प्रभावित हो रही है। बता दें कि 50 वर्ष से भी अधिक पुराना यह पुस्तक बाजार पूरे उत्तर भारत में प्रसिद्ध है। यह पेपरबैक व सेकेंड हैंड पुस्तकों का समृद्ध संसार है। यहां पुस्तकें काफी कम मूल्य पर मिलती हैं। इसमें राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय लेखकों के साहित्य से लेकर विज्ञान, अर्थ, समाज, धर्म, संगीत व पाक कला की पुस्तकें मिल जाती हैं। इसी तरह प्रतियोगी परीक्षाओं तथा पाठ्यक्रमों की पुस्तकें भी सस्ती दर पर उपलब्ध होती हैं।

इसके बारे में कहा जाता है कि जो पुस्तकें कहीं और नहीं मिलेगी वह यहां मिल जाएंगी। तकरीबन 500 विक्रेता हैं। इस रविवार को हल्की बारिश के बीच दुकानदार किताबों को बचाने से जूझते दिखे। वहीं, गाजियाबाद से प्रतियोगिता परीक्षा की खरीदारी करने आए रोहित खोखर ने कहा कि अभी काफी लोगों को जानकारी नहीं है। दूसरे कोरोना संक्रमण का भय बरकरार है। इसलिए कम खरीदार ही दिखाई पड़ रहे हैं।

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