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गोपाल राय ने Exclusive Interview में कहा- 4 राज्यों में आगामी विधानसभा चुनाव लड़ेगी आम आदमी पार्टी

आम आदमी पार्टी आगामी 2022 में होने वाले चार राज्यों में विधानसभा चुनाव लड़ेगी। ये राज्य उत्तर प्रदेश उत्तराखंड पंजाब और गोवा हैं। सभी जगह पार्टी सक्रिय है सभी राज्यों के स्तर पर संगठन मजबूत किया जा रहा है।

By JP YadavEdited By: Updated: Mon, 28 Dec 2020 09:19 AM (IST)
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उत्तर प्रदेश सरकार अपने स्कूल दिखाने से डर रही है।

नई दिल्ली। दिल्ली में तीसरी बार सत्ता में लौटने के बाद आम आदमी पार्टी की नजर अब चार अन्य राज्यों में सत्ता हासिल करने पर है। AAP का लक्ष्य दिल्ली नगर निगमों में भी सत्तासीन होने का है। ये सभी चुनाव 2022 में होने हैं। आप अभी से इनके लिए चुनाव की तैयारियों में जुट गई है। पार्टी दिल्ली नगर निगम सहित इन सभी राज्यों के लिए प्रभारी नियुक्त कर चुकी है। इन सभी राज्यों में आप का जोर संगठन मजबूत करने पर है। क्या है पार्टी की रणनीति, इस पर दैनिक जागरण के वीके शुक्ला ने आम आदमी पार्टी के दिल्ली प्रदेश संयोजक व कैबिनेट मंत्री गोपाल राय से बात की। प्रस्तुत हैं बातचीत के मुख्य अंश।

दिल्ली में आम आदमी पार्टी तीसरी बार दिल्ली की सत्ता में आ चुकी है। अब पार्टी विस्तार की आगे की रणनीति क्या है?

-आम आदमी पार्टी आगामी 2022 में होने वाले चार राज्यों में विधानसभा चुनाव लड़ेगी। ये राज्य उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और गोवा हैं। सभी जगह पार्टी सक्रिय है, सभी राज्यों के स्तर पर संगठन मजबूत किया जा रहा है। पार्टी के केंद्रीय नेता भी इन राज्यों पर नजर गड़ाए हैं?

चुनाव के लिए अभी डेढ़ साल का समय है। मगर अभी कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश को लेकर आप और भाजपा के बीच टकराव सामने आया?

यह टकराव नहीं है, भाजपा की बेचैनी है। दरअसल पार्टी के मुखिया मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ने की घोषणा क्या कर दी, भाजपा परेशान हो गई है। उत्तर प्रदेश के शिक्षामंत्री सिद्धार्थनाथ सह ने हमें बहस की चुनौती तक दे डाली। मनीष सिसोदिया जी बहस के लिए 22 दिसंबर को लखनऊ पहुंचे तो उत्तर प्रदेश सरकार का कोई मंत्री नहीं आया। मनीष सिसोदिया जी जब उत्तर प्रदेश सरकार का स्कूल देखने गए तो उन्हें पुलिस फोर्स लगाकर रोक लिया गया। उत्तर प्रदेश सरकार अपने स्कूल दिखाने से डर रही है।

आम आदमी पार्टी का अगला टारगेट दिल्ली नगर निगम हैं। निगमों के चुनाव को लेकर आप की रणनीति क्या है?

-बिल्कुल हमारा अगला टारगेट दिल्ली में तीनों नगर निगमों में सत्ता हासिल करना है। इसके लिए पार्टी अभी से चुनाव की तैयारियों में जुट चुकी है। अब जनता भी देख चुकी है कि आम आदमी पार्टी ही दिल्ली में विकास कार्य करा सकती है। तीनों नगर निगमों की बदहाल स्थिति को सुधार सकती है। भाजपा ने तीनों नगर निगमों को बदहाल कर दिया है। भाजपा ने तीनों नगर निगमों को भ्रष्टाचार का अच्छा बना दिया है। इसे हम मुद्दा बना रहे हैं। दिल्ली सरकार कर्मचारियों के वेतन के लिए जो पैसा देती है उसे निगमों में सत्तासीन लोग खा जाते हैं। कर्मचारियों का वेतन तक नहीं दिया जा रहा है।

निगमों में सत्तासीन भाजपा का कहना है कि दिल्ली सरकार 13000 करोड़ नहीं दे रही, इसलिए वे वेतन नहीं दे पा रहे?

बिल्कुल गलत है। दिल्ली सरकार निगमों का बकाया पूरा पैसा दे चुकी है। निगमों का एक भी पैसा दिल्ली सरकारपर बकाया नहीं है। अदालत भी कह चुकी है कि दिल्ली सरकार पर निगमों का कोई बकाया नहीं है। निगमों में सत्तासीन भाजपा के तीनों महापौर जब पहली बार मुख्यमंत्री आवास पर धरना देने पहुंचे तो शहरी विकास मंत्री सत्येंद्र जैन जी वहां गए और महापौरों से कहा कि आप का कौन सा बकायािं है, आप बताइये। मगर महापौर बता नहीं पाए। जिस पर जैन साहेब ने कहा कि कल की बैठक रख लेते हैं आप अपने दस्तावेज लेकर आइए, हम मिलान कर लेते हैं कि कौन सा आपका बकाया है। मगर महापौर बैठक के लिए तैयार नहीं हुए और राजनीति करने लगे।

पिछले कुछ समय से भाजपा आम आदमी पार्टी को लेकर काफी आक्रामक दिख रही है। उग्र प्रदर्शन कर रही है?

- यह उग्र प्रदर्शन नहीं है। यह अराजकता है, यह पुलिस करा रहा है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन पुलिस भाजपा की अराजकता को बढ़ावा दे रही है। सच तो यह है कि दिल्ली में दो कानून चल रहे हैं। हमारे लिए अलग है और भाजपा के लिए अलग है। हम केंद्रीय गृह मंत्री को ज्ञापन देने की बात करते हैं तो हमारे नेता घर से गिरफ्तार कर लिए जाते हैं और भाजपा के नेता मुख्यमंत्री के आवास तक पहुंच जाते हैं। वहां धरना देते हैं। भाजपा के कार्यकर्ता पुलिस की मौजूदगी में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया जी के आवास में घुसकर तोड़फोड़ करते हैं। जल बोर्ड के कार्यालय में तोड़फोड़ की जाती है। आप इसे क्या कहेंगे। दरअसल यह सब भाजपा इसलिए कर रही है कि आम आदमी पार्टी किसानों का साथ दे रही है।

भारतीय जनता पार्टी भी कह रही है कि वह किसानों के साथ है, तीनों कृषि कानून भी किसानों के हित को देखते हुए लाए गए हैं?

भाजपा किसानों के साथ है तो उनकी बात क्यों नहीं मान रही। किसान कह रहे हैं कि कानून वापस ले लो, तो केंद्र वापस ले ले। दूसरी बात केंद्र यह कौन सा हित लेकर आई है जो किसानों को नहीं दिख रहा है। किसान अपना अच्छा बुरा समझता है। उसे कुछ समझाने की जरूरत नहीं है। किसान ठंड में दिल्ली की सीमा पर ठिठुर रहे हैं, 20 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। केंद्र को अपनी जिद छोड़ देनी चाहिए।

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