दिल्ली में स्कूल खोलने की तैयारी में सरकार, डॉक्टरों ने कहा बच्चों में खतरा कम, जानिए अपडेट
मनीष सिसोदिया ने कहा है कि कोरोना के मामलों में तेजी से गिरावट देखने को मिल रही है और संक्रमण की दर भी कम है। इसलिए हम डीडीएमए की बैठक में यह मांग करेंगे कि कोरोना संबंधित प्रोटोकाल का पालन करते हुए हमें स्कूलों को खोलने की अनुमति दी जाए।
By Prateek KumarEdited By: Updated: Wed, 26 Jan 2022 10:27 PM (IST)
नई दिल्ली [वीके शुक्ला]। कम होती संक्रमण दर के बीच दिल्ली सरकार स्कूलों को खोलने के पक्ष में आ गई है।दिल्ली सरकार ने साफ किया है कि अब बच्चों के स्कूल खोल देने चाहिए। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा है कि दिल्ली में कोरोना के मामलों में तेजी से गिरावट देखने को मिल रही है और संक्रमण की दर भी कम हुई है। इसलिए हम दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) की बैठक में यह मांग करेंगे कि कोरोना संबंधित प्रोटोकाल का पालन करते हुए हमें स्कूलों को खोलने की अनुमति दी जाए।
स्कूल बंद होने से बच्चों की शिक्षा में आया बड़ा गैपसिसोदिया ने कहा कि कोरोना के कारण पिछले दो सालों से स्कूलों के लगातार बंद होने से न केवल बच्चों की शिक्षा में बहुत बड़ा गैप आया है, बल्कि उन पर मानसिक और भावनात्मक रूप से भी नकारात्मक असर पड़ रहा है। बच्चों के लर्निंग गैप को पाटने के लिए स्कूलों का खोलना बेहद जरूरी हो गया है।
1600 से अधिक परेंट्स ने स्कूल खोलने को लेकर दिया ज्ञापन
बता दें कि सेंटर फार पालिसी रिसर्च की प्रेसिडेंट यामिनी अय्यर व पब्लिक पालिसी एंड हेल्थ सिस्टम एक्सपर्ट डा. चंद्रकांत लहरिया की अध्यक्षता में चार सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल ने बुधवार को उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को स्कूलों को खोलने को लेकर आनलाइन माध्यम से 1600 से अधिक अभिभावक द्वारा हस्ताक्षर किया गया ज्ञापन सौंपा।
छोटे बच्चों में कम होता है कोरोना का जोखिम
इस प्रतिनिधि मंडल के सदस्य डा.चन्द्रकांत लहरिया ने बताया कि एम्स, आईसीएमआर, इंडियन एकेडमी आफ पीडियाट्रिक्स, नीति आयोग, यूनिसेफ, डब्लूएचओ सहित विभिन्न संस्थाओं के अनुसार छोटे बच्चों में कोरोना का जोखिम बहुत कम होता है। इसलिए अब यह बेहद जरूरी है कि स्कूलों को दोबारा से खोल दिया जाए।आनलाइन पढ़ाई नहीं ले सकती है आफलाइन की जगह सेंटर फार पालिसी रिसर्च की प्रेसिडेंट यामिनी अय्यर ने कहा कि लंबे समय से स्कूलों से दूर रहने के कारण छोटे बच्चों में काफी बड़ा लर्निंग गैप देखने को मिल रहा है।उपमुख्यमंत्री सिसोदिया ने भी माना कि आनलाइन पढ़ाई कभी भी आफलाइन पढ़ाई की जगह नहीं ले सकती। पिछले दो सालों में स्कूली बच्चों की जिन्दगी घर के किसी कमरे तक ही सीमित रह गई है। उनके स्कूल के खेल का मैदान घर में मोबाइल के अंदर ही सिमट गया है। इस दौरान बच्चों की पढ़ाई का नुकसान तो हुआ ही है, साथ ही उनका मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित हुआ है।
स्कूल खोलना बेहद जरूरी सिसोदिया ने कहा कि कोरोना के दौरान हमारे लिए बच्चों की सुरक्षा पहली प्राथमिकता थी, लेकिन अब जिस प्रकार से विभिन्न रिसर्च के माध्यम से यह निकल कर आ रहा है कि कोरोना छोटे बच्चों के लिए घातक नहीं है। ऐसे में यह बेहद जरूरी हो गया है कि जल्द से जल्द स्कूलों को खोला जाए, क्योंकि अब यह समय परीक्षाओं व उससे संबंधित तैयारियों का भी है। उन्होंने कहा कि कई देशों में और भारत में भी कई राज्यों में अब स्कूलों को खोला जा रहा है। इसके आधार पर हम 27 जनवरी को होने वाली डीडीएमए की बैठक में स्कूलों को खोलने की सिफारिश करेंगे।
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