कृषि प्रधान देश में किसानों के हित के लिए सरकारें रही हैं उदासीन, अन्ना का अनशन बड़ी बात
कृषि प्रधान देश के रूप में विश्व भर में भारत की पहचान बनाई गई है, लेकिन किसानों के आर्थिक और सामाजिक हालातों को बेहतर बनाने के लिए सरकारी प्रयासों में हमेशा उदासीनता ही देखी गई।
नई दिल्ली [जेएनएन]। देश की आजादी से लेकर आज तक किसानों के हितों को लेकर कई बार आवाजें उठीं, आंदोलन हुए और सरकार की नीतियों में बदलाव के लिए मांग की गई, लेकिन आज भी हमारे देश में किसान आत्महत्या करने को मजबूर हैं।
सरकारी प्रयासों में हमेशा उदासीनता ही देखी गई
कृषि प्रधान देश के रूप में विश्व भर में भारत की पहचान बनाई गई है, लेकिन किसानों के आर्थिक और सामाजिक हालातों को बेहतर बनाने के लिए सरकारी प्रयासों में हमेशा उदासीनता ही देखी गई। यही वजह है कि आजादी के 70 वर्ष बाद भी एक समाजसेवी किसानों की स्थिति में सुधार की मांग करते हुए अनशन पर बैठा हुआ है, जिन्हें देशभर के किसानों के साथ ही दिल्ली के किसानों का भी समर्थन प्राप्त है।
किसानों के विकास को सर्वोपरि
राजधानी के विभिन्न गांवों के किसान समाजसेवी अन्ना के अनशन और मांगों का स्वागत करते हुए सरकार से अपील कर रहे हैं कि वे किसान हित के लिए मांगों पर गौर करें और उस पर जल्द कार्रवाई करने की दिशा में प्रयास करें। ग्रामीण और शहरीकृत ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़े इन किसानों ने अपनी राय रखते हुए देश के विकास के लिए किसानों के विकास को सर्वोपरि बताया है।
क्या कहते हैं किसान
किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो रहा है
कृषि उपज के लिए वाजिब और सही कीमत नहीं मिलने की वजह से किसानों की आर्थिक हालत हमेशा ही खराब रहती है। ऐसी हालत में ऋण के बोझ तले दबा किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो रहा है, लेकिन सरकारों ने केवल मल्टीनेशनल कंपनियों पर ही ध्यान दिया है। चांद राम, कंझावला।
किसान की समृद्धि में देश की समृद्धि छिपी हुई है
देश आज भी कृषि प्रधान देश ही है, क्योंकि बड़ी संख्या में लोगों का गुजारा खेती से ही होता ही है। किसान की समृद्धि में देश की समृद्धि छिपी हुई है, लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि सरकारें उन्हें बेहतर बनाने में लापरवाह रहती हैं। रामचंदर, चांदपुर कलां।
अनशन पर बैठना बड़ी बात
किसान हित के न जाने कितने आंदोलन हुए और फिर अन्ना हजारे ने इसकी शुरुआत की है। अब देखना है कि उनकी कोशिशों का सरकार पर कितना असर होता है। आज के दौर में अन्ना जैसे समाजसेवी का अनशन पर बैठना बड़ी बात है। अजित सोलंकी, पूंठ कलां।
अन्ना ने किसानों के हित को ध्यान में रखा है
अन्ना ने किसानों के हित को ध्यान में रखा है। वे सभी के आदर्श हैं। कई लोग आंदोलन का फायदा उठाकर अलग राह अपना लेते हैं, जबकि असली बदलाव तभी संभव जब आंदोलन को उसके शीर्ष मंजिल तक पहुंचाने में सफलता मिले। गजे सिंह, चांदपुर।
किसानों की हालत चिंताजनक
मध्य प्रदेश से लेकर बिहार, उड़ीसा, उप्र और बंगाल तक किसानों की हालत चिंताजनक है। उन्हें घर-परिवार चलाने में भी मुश्किल आ रही है। सरकार को चाहिए कि खेती को घाटे का सौदा नहीं, बल्कि संपन्नता की ओर ले जाने का प्रयास करें। हरीश, जौंती।
यह भी पढ़ें: लगता नहीं कि दिल्ली के मुख्यमंत्री के मन में अन्ना को लेकर कोई दर्द है