माता-पिता के स्नेह और प्यार की जगह नहीं ले सकते नाना-नानी: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि पिता हर पहले और तीसरे शनिवार को कड़कड़डूमा अदालत स्थित परिवार न्यायालय के चिल्ड्रन रूम में दोपहर से पांच बजे के बीच बच्चे से मिल सकेगा। लड़के के नाना-नानी ने पारिवारिक अदालत के उस निर्णय को चुनौती दी थी जिसमें अदालत ने उन्हें उसके अभिभावक के रूप में नियुक्त करने और उसकी स्थायी हिरासत की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी थी।
By Vineet TripathiEdited By: Abhishek TiwariUpdated: Mon, 04 Sep 2023 11:37 AM (IST)
नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। पत्नी की मौत के बाद बच्चे का अभिभावक बनने से जुड़े मामले में महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि नाना-नानी के मन में बच्चे के प्रति अत्यधिक प्यार और स्नेह हो सकता है, लेकिन वे माता-पिता के प्यार और स्नेह का स्थान नहीं ले सकते हैं।
कोर्ट ने पिता के हक में सुनाया फैसला
पिता के हक में निर्णय सुनाते हुए अदालत ने यह भी कहा कि पहली पत्नी को खोने के बाद पिता की दूसरी शादी को उसके बच्चे का स्वाभाविक अभिभावक बने रहने के लिए अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता है।
न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने कहा कि वित्तीय स्थिति में असमानता भी किसी बच्चे की कस्टडी प्राकृतिक माता-पिता को देने से इनकार करने के लिए एक प्रासंगिक कारक नहीं हो सकती है, लेकिन परिस्थितियां और बच्चे की प्राथमिकता कुछ और ही इशारा करती है।
यह बच्चे के हित और कल्याण में नहीं हो सकता है कि उसे उस परिवार से बाहर निकाला जाए जहां वह कम उम्र से खुशी-खुशी रह रहा है।
बच्चे से मिल सकेगा पिता
पीठ ने कहा कि ऐसे में पिता को सीमित मुलाकात का अधिकार देना उचित है। अदालत ने निर्देश दिया कि पिता हर पहले और तीसरे शनिवार को कड़कड़डूमा अदालत स्थित परिवार न्यायालय के चिल्ड्रन रूम में दोपहर से पांच बजे के बीच बच्चे से मिल सकेगा।
यदि बच्चा किसी शनिवार को मुलाकात के लिए आने में असमर्थ है, तो बैठक अगले कार्य शनिवार को आयोजित की जाएगी। अदालत ने कहा कि यह व्यवस्था आगामी तीन माह की अवधि तक जारी रहेगी। इसके बाद समय अपराह्न तीन बजे से शाम सात बजे तक रहेगा।अदालत ने उक्त टिप्पणी व आदेश एक लड़के के नाना-नानी की अपील याचिका पर सुनवाई करते हुए की। लड़के के नाना-नानी ने पारिवारिक अदालत के उस निर्णय को चुनौती दी थी, जिसमें अदालत ने उन्हें उसके अभिभावक के रूप में नियुक्त करने और उसकी स्थायी हिरासत की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी थी।
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