Move to Jagran APP

जागरण सरोकारः बिंदापुर में आए हरे- भरे मेहमान, खूब हो रही खातिरदारी

क्षेत्र के निवासियों का कहना है कि यहां फिलहाल पांच से दस फीट लंबे पेड़ ट्रांसप्लांट किए गए हैं। अभी इन पेड़ों की मोटाई काफी कम है। पांच से दस फीट लंबे पेड़ों के ट्रांसप्लांट के लिए पहले करीब पांच फीट गहरा गड्ढा खोदा जाता है।

By Mangal YadavEdited By: Updated: Thu, 05 Nov 2020 07:03 AM (IST)
Hero Image
पांच से दस फीट लंबे पेड़ ट्रांसप्लांट किए गए हैं।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। द्वारका एक्सप्रेस वे परियोजना के तहत सड़क निर्माण के आड़े आ रहे पेड़ों को ट्रांसप्लांट करने का दौर जारी है। यहां से ट्रांसप्लांट किए गए करीब 125 पेड़ों का नया ठौर अब उपनगरी द्वारका से सटी कॉलोनी बिंदापुर है। बिंदापुर कॉलोनी में आए इन हरे- भरे मेहमानों की लोग खातिरदारी कर रहे हैं। ट्रांसप्लांट के बाद इन पेड़ों की हरियाली अभी भले ही थोड़ी मुरझाई नजर आ रही है, लेकिन इनकी पुरानी रंगत जल्द से जल्द लौटे, इसे लेकर भरपूर प्रयास किए जा रहे हैं। आने वाले समय में ऐसे और मेहमान बिंदापुर की हरियाली में अपना योगदान दें, इसे लेकर प्रयास जारी है।

स्थानीय निवासियों का कहना है कि द्वारका एक्सप्रेस वे परियोजना के तहत जब पेड़ों के ट्रांसप्लांट होने की जानकारी मिली तो क्षेत्र के निवासियों ने परियोजना से जुड़े अधिकारियों से संपर्क कर आग्रह किया कि कुछ पेड़ उनकी कॉलोनी में भी लगाए जाएं। यह कार्य इतना अासान नहीं थी। परियोजना के अधिकारियों ने क्षेत्र के लोग को स्वीकृति के लिए जरूरी कई तरह औपचारिकताएं बताई। इसके अलावा यह भी कहा कि ऐसा तभी संभव होगा जब औपचारिकताओं के साथ साथ वहां की मिट्टी व वहां की स्थिति ट्रांसप्लांट के लिए उपयुक्त होगी। लोग ने कहा कि सभी औपचारिकताओं को पूरा किया जाएगा। लेकिन सबसे पहले आप यह सुनिश्चित कर लें कि ट्रांसप्लांट के लिए कॉलोनी में उपयुक्त जगह है या नहीं।

इसके बाद अधिकारियों के एक दल ने बिंदापुर में विभिन्न स्थानों का दौरा किया और ट्रांसप्लांट के लिए मंजूरी दी। इसके बाद औपचारिकताओं को पूरा करने का दौर शुरू हुआ। सबसे पहले आरडब्ल्यूए ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दी। इसके बाद क्षेत्र के निगम पार्षद व क्षेत्र के विधायक ने भी इनका साथ दिया और इनके प्रस्ताव को मंजूरी दी। तमाम तरह के प्रयास के बाद अक्टूबर महीने के पहले सप्ताह से बिंदापुर में सड़क किनारे पेड़ों के ट्रांसप्लांट का कार्य शुरु किया। पहले चरण में करीब 67 पेड़ लगाए गए। प्रारंभिक सफलता के बाद करीब सात दिन पहले 60 और पेड़ बिंदापुर में लगाए गए। अब यहां के लोग तीसरे दौर की प्रतीक्षा कर रहे हैं। द्वारका एक्सप्रेस वे परियोजना के अधिकारियों ने यहां के लोग को आश्वासन दिया है कि शीघ्र ही तीसरे दौर के पेड़ उपलब्ध कराए जाएंगे।

ट्रांसप्लांट की जटिल है प्रक्रिया

क्षेत्र के निवासियों का कहना है कि यहां फिलहाल पांच से दस फीट लंबे पेड़ ट्रांसप्लांट किए गए हैं। अभी इन पेड़ों की मोटाई काफी कम है। पांच से दस फीट लंबे पेड़ों के ट्रांसप्लांट के लिए पहले करीब पांच फीट गहरा गड्ढा खोदा जाता है। गड्ढे की चौड़ाई भी करीब इतनी ही होती है। द्वारका से एक ट्रक पर पेड़ लाया जाता है। यहां मजदूरों की मदद पेड़ की जड़ को गड्ढे में डाला जाता है। जो पेड़ काफी घने होते हैं, उनकी छंटाई पहले ही कर दी जाती है। जो थोड़ी बहुत हरियाली रहती है, वह ट्रांसप्लांट करने के तकरीबन आठ से दस दिनों में खत्म हो जाती है। इसके तकरीबन एक महीने बाद पेड़ के तनों में कोपलें फूटने का दौर शुरू होता है। एक बार जब कोपलें निकलने शुरु हो जाए तो ट्रांसप्लांट सफल माना जाता है। इस बीच इन पेड़ों की देखभाल अत्यंत जरूरी है। अच्छी बात यह है कि यहां के लोग इन नए पेड़ों की देखभाल की काफी रुचि ले रहे हैं।

ये पेड़ लगाए गए हैं

पीपल - स्वास्थ्य के लिए पीपल को अति उपयोगी माना गया है। पीलिया, रतौंधी, मलेरिया, खाँसी और दमा तथा सर्दी और सिर दर्द में पीपल की टहनी, लकड़ी, पत्तियों, कोपलों और सीकों का प्रयोग का उल्लेख मिलता है।

शीशम - शीशम की लकड़ी काफी उपयोगी मानी जाती है। आमतौर पर इससे फर्नीचर बनाए जाते हैं। आयुर्वेद में शीशम को औषधीय गुणों से युक्त पेड़ माना गया है। शीशम के तेल का इस्तेमाल दर्द निवारक के तौर पर किया जाता है।

अल्सटोनिया- आम बोलचाल की भाषा में इसे सप्तपर्णी या पंचपर्णी पेड़ कहा जाता है। यह साल भर छांव देने वाला पेड़ है। इससे हल्की सी सुगंध आती है।

बिंदापुर डीडीए पॉकेट के आरडब्ल्यूए अध्यक्ष राजेश राय ने बताया कि विकास कार्य जरूरी हैं लेकिन पर्यावरण की देखभाल भी उतनी ही जरूरी है। बिंदापुर आरडब्ल्यूए ने इन पेड़ों को यहां के पर्यावरण में शामिल करने के लिए काफी प्रयास किया है। हमारे यहां इन नए मेहमानों को लेकर लोग काफी उत्साहित हैं। आने वाले समय में ये पेड़ बिंदापुर की पहचान बनेंगे।

बिंदापुर डीडीए पॉकेट आरडब्ल्यूए के महासचिव वीरेंद्र शर्मा ने बताया कि हमलोग इन पेड़ों की देखभाल में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। सप्ताह में दो बार इन पेड़ों में पानी दिया जाता है। अच्छी बात यह है कि अभी तक यहां लगाए गए सभी पेड़ दुरुस्त हैं। ये नए माहौल में जीवित रहें, इसे लेकर पूरे प्रयास चल रहे हैं।

फिलहाल हमारा जोर इन पेड़ों की देखभाल पर है। आने वाले समय में ये पेड़ बिंदापुर की हरियाली को बढ़ाने में अपना भरपूर योगदान देंगे। हमार कार्य अन्य कॉलोनियों के निवासियों को पर्यावरण के प्रति उनके कर्तव्यों की याद दिलाएगा।

Coronavirus: निश्चिंत रहें पूरी तरह सुरक्षित है आपका अखबार, पढ़ें- विशेषज्ञों की राय व देखें- वीडियो

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।