GTB Hospital Firing: दिल्ली सरकार के अस्पतालों में सुरक्षा गार्ड मुहैया कराने वाली एजेंसियों के खिलाफ केस
गुरु तेग बहादुर अस्पताल में घुसकर बदमाशों द्वारा एक मरीज की हत्या किए जाने के बाद सरकार एक्टिव हो गई है। इसी के मद्देनजर दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोध शाखा (एसीबी) ने नियम कानून को ताक पर रखकर दिल्ली सरकार के अस्पतालों में निजी सुरक्षा गार्डों की तैनाती में अनियमितता बरते जाने के मामले में सुरक्षा एजेंसियों के खिलाफ केस दर्ज किया है।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली सरकार के अस्पतालों में निजी सुरक्षा गार्डों की तैनाती के मामले में भी भारी अनियमितता बरते जाने का मामला सामने आया है। अस्पतालों में अधिकतर अयोग्य निजी सुरक्षा गार्डों की तैनाती की जाती है जिनके जिम्मे अस्पतालों में स्वास्थ्यकर्मियों व मरीजों की सुरक्षा संभव नहीं हो सकता है।
हाल के दिनों में गुरु तेग बहादुर अस्पताल में घुसकर बदमाशों द्वारा एक मरीज की हत्या किए जाने का मामला इसी का परिणाम है। इसी के मद्देनजर दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोध शाखा (एसीबी) ने नियम कानून को ताक पर रखकर दिल्ली सरकार के अस्पतालों में निजी सुरक्षा गार्डों की तैनाती में अनियमितता बरते जाने के मामले में सुरक्षा एजेंसियों के खिलाफ केस दर्ज किया है।
फर्जीवाड़े में सरकारी अधिकारी भी शामिल
एसीबी के संयुक्त आयुक्त मधुर वर्मा का कहना है कि दिल्ली सरकार के अस्पतालों में थोड़े समय के लिए सुरक्षा गार्डों की तैनाती, अयोग्य गार्डों की भर्ती, इएसआई और पीएफ कटने के फर्जी दावे, गार्डों से रिश्वत मांगने आदि की अनेक शिकायतें प्राप्त हो रही थीं, जिससे सरकारी फंड का दुरुपयोग व गबन हो रहा है। इस फर्जीवाड़े में निजी एजेंसियों के अलावा सरकारी अधिकारी भी शामिल हैं।मधुर वर्मा का कहना है इसमें कई स्तर पर घोटाला किए जाने व आपराधिक साजिश का पता चला है। दो शिकायतकर्ता कृष्णा व रजनी (बदला हुआ नाम) ने भ्रष्टाचार निरोधक शाखा के कार्यालय में शिकायत कर बताया कि वे कुछ सिक्योरिटी एजेंसी में सिक्योरिटी सुपरवाइजर के तौर पर काम कर रहे हैं।
कदाचारों और उल्लंघनों में शामिल होते हैं अधिकारी
उक्त एजेंसी जीटीबी अस्पताल, शाहदरा, राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, ताहिरपुर, बीआर अम्बेडकर अस्पताल, रोहिणी, एसडीएन अस्पताल, शाहदरा व हिंदू राव अस्पताल समेत दिल्ली सरकार के अन्य अस्पतालों में सुरक्षा गार्ड मुहैया कराती है। जांच से पता चला कि एजेंसी मालिकों की सरकारी अधिकारी के साथ मिलीभगत रहती हैं। ये लोग टेंडर प्रक्रिया के विभिन्न कदाचारों और उल्लंघनों में शामिल होते हैं।ये पाई गईं अनियमितताएं
1. सरकारी अस्पतालों में सुरक्षा कर्मियों की मानक के अनुरूप कम तैनाती। कागजों में सुरक्षा कर्मियों की तैनाती दिखा अस्पताल प्रशासन यानी सरकार से उनके वेतन के अनुरूप भुगतान लेना।2. एक सुरक्षा गार्ड की एक से अधिक स्थानों पर कागजों में तैनाती।3. टेंडर का उल्लंघन कर अयोग्य सुरक्षा कर्मियों की भर्ती4. बिना पुलिस सत्यापन कराए सुरक्षा गार्डों की भर्ती
5. सुरक्षा गार्डों से वेतन का एक हिस्सा लौटाने की अनैतिक मांग6. फर्जी पीएफ, ईएसआई और यूएएन के खिलाफ फर्जी और जाली दावे7. नई भर्ती करने पर सुरक्षा गार्डों से रिश्वत की मांग करना8. सुरक्षा सेवा के लिए आवंटित धन का गबन करनायह भी पढ़ेंः उमर खालिद की याचिका पर सुनवाई से न्यायमूर्ति अमित शर्मा ने खुद को किया अलग, जमानत के लिए दायर की थी पिटीशन
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