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Delhi Metro की ट्रेन 12 सितंबर को दूसरे ट्रैक पर चली गई थी, 4 दिन बाद आया DMRC का बड़ा बयान

Delhi Metro To Private Hands दिल्ली मेट्रो की ट्रेन का अचालक गलत ट्रैक पर चले जाना बेहद गंभीर बात है क्योंकि दिल्ली मेट्रो निगम आधुनिक तकनीक के जरिये मेट्रो सेवाओं का संचालन कर रहा है। ऐसे में यह चूक साख पर बट्टा लगाएगी।

By Jp YadavEdited By: Updated: Fri, 16 Sep 2022 11:25 PM (IST)
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दिल्ली मेट्रो का परिचालन निजी हाथों में सौंपना कहीं भारी न पड़ जाए (फाइल फोटो)
नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। Delhi Metro To Private Hands: कई हजार करोड़ रुपये के घाटे में चल रहा दिल्ली मेट्रो रेल निगम क्षतिपूर्ति में लगा हुआ है। इसके तहत डीएमआरसी ने खर्च कम करने के लिए यलो लाइन की मेट्रो का परिचालन निजी हाथों में सौंप दिया है। वहीं, 30 अगस्त को बादली डिपो से यात्री सेवा के लिए निकल रही मेट्रो ट्रेन तकनीकी लापरवाही के कारण डिपो में ही पटरी से उतर गई। इसके बाद डीएमआरसी ने निजी एजेंसी के आपरेटर को हटाया।

पिछले दिनों यलो लाइन पर ही क्रास ओवर पर गलत ट्रैक पर मेट्रो के जाने से साढे़ चार घंटे परिचालन भी प्रभावित रहा था। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि दिल्ली मेट्रो का परिचालन निजी हाथों में देना कहीं भविष्य में डीएमआरसी को भारी न पड़ जाए।

अपनी सेवाओं में लगातार सुधार करता रहता है डीएमआरसी

वहीं, डीएमआरसी अपनी साख को लेकर बेहद चिंतित रहता है और अपनी सेवाओं में सुधार करता रहता है। पिछले कुछ सालों के दौरान डीएमआरसी ने कई नई और आधुनिक सुविधाओं को जोड़ा है, जिनसे लाखों यात्रियों को लाभ हुआ है। 

डीएमआरसी का बयान

  • दिनांक 30 अगस्त 2022 को बादली मेट्रो डिपो में एक घटना रिपोर्ट हुई है जिसमें ट्रेन परिचालन के दौरान मानवीय भूल की वजह से एक ख़ाली ट्रेन की पहली बोगी का एक्सल पटरी से उतर गया। यह ट्रेन मेट्रो के डिपो क्षेत्र में थी और यात्री सेवा में नहीं थी।
  • पूरी ट्रेन को कोई उल्लेखनीय क्षति नहीं पहुंची है और वह सामान्य यात्री सेवाओं के लिए उपलब्ध है।
  • मामले की जांच की जा रही है और प्रथमदृष्टया मानवीय चूक के दोषी पाए गए संबद्ध कर्मचारियों पर यथोचित विभागीय कार्रवाई की जा रही है।
  • उक्त दोनों घटनाएं खाली ट्रेनों में हुईं जब वह यात्री सेवाओं में नहीं थी और जहां ट्रेन ऑपरेटर मैनुअल संचालन में बेहद नियंत्रित गति में केंद्रीय कमान से संपर्क साधते हुए आगे बढ़ता है।
  •  यात्री सेवाओं के परिचालन के दौरान ये ट्रेनें सिग्नलिंग ऑटोमेशन के उच्चतम मानदंडों का पालन करती हैं और पूरी तरह सुरक्षित मोड में आगे बढ़ती हैं जहां किसी तरह की टक्कर या मानवीय भूल की संभावना नहीं रहती।
  •   इस प्रकार की विरल गतिविधि को यात्री सुरक्षा में चूक, डीरेल होने या टकराने जैसे निष्कर्ष निकाल लेना उचित नहीं है। दिल्ली मेट्रो सिस्टम पूरी तरह यात्री सेवाओं के दौरान विश्व के सबसे उच्चतम मानदंडों के तहत सुरक्षित और भरोसेमंद है।
  •   ऐसी घटनाओं के प्रति दिल्ली मेट्रो बेहद गंभीर है और ट्रेन ऑपरेटरों को नॉन रेवेन्यू परिचालन के दौरान भी और सजगता से सुरक्षा मानकों के पालन के प्रति गंभीर रहने को लेकर काउंसलिंग समेत कई स्तरों पर सचेत करने की प्रक्रिया में निरंतर प्रयासरत रहता है।
दरअसल, यलो लाइन पर सोमवार (12 सितंबर) को साढ़े चार घंटे परिचालन बाधित होने के मामले में यह बात सामने आई है कि हुडा सिटी सेंटर की तरफ जा रही मेट्रो ट्रेन घिटोरनी स्टेशन के नजदीक क्रास ओवर (ट्रैक बदलने की जगह) पर रास्ता भटकर दूसरे ट्रैक पर चली गई थी। ऐसे में बड़ा हादसा हो सकता था।

दूसरे ट्रैक पर मेट्रो के जाने की घटना परेशानी की बात

गनीमत है कि मेट्रो में कोई यात्री नहीं थे और घटना सुबह-सुबह ऐसे समय में हुई जब यात्रियों के लिए मेट्रो का परिचालन शुरू नहीं हो पाया था। यदि यह घटना व्यस्त समय में होती तो अप और डाउन ट्रैक की दो मेट्रो आपस में टकरा भी सकती थी। ऐसे में यलो लाइन पर रास्ता भटकर दूसरे ट्रैक पर मेट्रो के जाने की घटना सिस्टम की बड़ी चूक है।

कार्रवाई करते हुए चालक को हटाया

मामले की गंभीरता के मद्देनजर दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) ने मामले की गहना से जांच शुरू कर दी है। प्रथम दृष्टया येलो लाइन पर मेट्रो परिचालन की जिम्मेदारी संभाल रही निजी एजेंसी के आपरेटर (चालक) की लापरवाही सामने आ रही है, इसलिए चालक को हटा दिया गया है।

घटना की जांच जारी

यलो लाइन दिल्ली मेट्रो का पहला कारिडोर है जिस पर परिचालन की जिम्मेदारी निजी एजेंसी के हाथ में है। डीएमआरसी का कहना है कि तकनीकी कारणों से मेट्रो का परिचालन प्रभावित होने की हर घटना की जांच कराई जाती है। इस मामले की भी जांच रही है। बता दें कि पिछले साल जून से यलो लाइन पर परिचालन की जिम्मेदारी एक निजी एजेंसी संभाल रही है, इसलिए निजी एजेंसी के माध्यम से 150 चालक तैनात किए गए हैं।

ट्रैक बदलने के लिए ओसीसी कमांड जरूरी

घटना के वक्त मेट्रो के आपरेशन कंट्रोल सेंटर (ओसीसी) में मौजूद कर्मचारियों से भी पूछताछ होगी कि आखिर यह घटना कैसे हुई? क्योंकि परिचालन के दौरान मेट्रो को ओसीसी से ही कमांड दिया जाता है। मेट्रो आटोमेटिक ट्रेन कंट्रोल (एटीसी) सिग्नल सिस्टम से आपरेट होती है। ओवीसी से कमांड के बगैर मेट्रो ट्रैक नहीं बदल सकती।

डीएमआरसी के सूत्रों के अनुसार रविवार रात परिचालन बंद होने के बाद वह मेट्रो सुल्तानपुर स्टेशन पर खड़ी थी। सोमवार (12 सितंबर) को सुबह हुडा सिटी सेंटर से पहली मेट्रो के रूप में उसे यात्रियों को लेकर समयपुर बादली की ओर रवाना होना था, इसलिए मेट्रो सुबह खाली ही सुल्तानपुर से हुड़ा सेंटर की तरफ रवाना हुई।

नहीं दिया गया था ओसीसी से कमांड

सुल्तानपुर के बाद अभी अगले स्टेशन घिटोरनी ही पहुंची थी कि सिग्नल पार कर क्रास ओवर पर रास्ता बदलकर दूसरे ट्रैक पर पहुंच गई। तब चालक ने मेट्रो को रोका। बताया जा रहा है कि उस मेट्रो को हुडा सिटी सेंटर जाने के लिए ओसीसी से कमांड नहीं दिया गया था।

चालक की गलती से दूसरे ट्रैक पर गई दिल्ली मेट्रो

चालक ही मैनुअली मेट्रो को चलाकर हुडा सिटी सेंटर ले जा रहा था। सुबह में विभिन्न स्टेशनों पर खड़ी मेट्रो को यात्री सेवा में उतारने के लिए सामान्य तौर पर यही प्रक्रिया अपनाई जाती है, इसलिए कहा जा रहा है कि चालक की गलती से मेट्रो दूसरे ट्रैक पर गई। इसके बाद सिग्नल नहीं मिलने और ओसीसी से संपर्क कटने के कारण मेट्रो अप या डाउन किसी भी ट्रैक पर आगे नहीं बढ़ पा रही थी।

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