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जैन हवाला केस में आरोपी और हवाला कारोबारी मोहम्मद अमीर दीन दोषमुक्त करार, सबूतों के अभाव में किया बरी

जैन हवाला मामले में मुख्य आरोपी मोहम्मद अमीर दीन को अदालत ने बरी कर दिया है। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नेहा प्रिया ने अमीर दीन को विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम (फेरा) के उल्लंघन के आरोपों से मुक्त कर दिया है। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपी के खिलाफ विदेशी मुद्रा में लेन-देन करने का कोई सुबूत नहीं ला सका।

By Ritika Mishra Edited By: Geetarjun Updated: Wed, 11 Sep 2024 08:55 PM (IST)
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जैन हवाला केस में आरोपी और हवाला कारोबारी मोहम्मद अमीर दीन दोषमुक्त करार।

रीतिका मिश्रा, नई दिल्ली। वर्ष 1991 में देश के राजनीतिक गलियारों में तूफान लाने वाले जैन हवाला डायरी मामले में अदालत ने मुख्य आरोपी मोहम्मद अमीर दीन हबीब को दोषमुक्त करार दिया। पटियाला हाउस स्थित अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नेहा प्रिया ने अमीर दीन को विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम (फेरा) के उल्लंघन के आरोपों से बरी कर दिया है।

अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नेहा प्रिया ने कहा कि विदेशी मुद्रा में लेन-देन करने के किसी भी सहायक साक्ष्य के अभाव में आरोपी को केवल किसी तीसरे व्यक्ति की डायरी में की गई प्रविष्टि के आधार पर मुकदमे का सामना करने के लिए आरोपी नहीं किया जा सकता है।

अदालत ने कहा कि आरोपी के खिलाफ फेरा की धारा 8(1) और 14 के तहत अपराध के लिए मुकदमा चलाने के लिए कोई सुबूत नहीं है। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष के पास आरोपी के खिलाफ साक्ष्य प्रस्तुत करने का पर्याप्त अवसर उपलब्ध था, लेकिन विदेशी मुद्रा में लेन-देन करने का कोई सुबूत रिकॉर्ड पर नहीं लाया गया है।

अभियोजन पक्ष के मामले की पूरी संरचना एक डायरी प्रविष्टि पर आधारित है, जो कि अभियुक्त पर उत्तरदायित्व तय करने के लिए अपर्याप्त है। अदालत ने कहा कि मामले में आरोपी एसके जैन को केवल इसी आधार पर बरी किया जा चुका है।

उल्लेखनीय है कि 18 मिलियन अमेरिकी डॉलर के इस रिश्वत कांड में देश के कुछ प्रमुख राजनेता भी शामिल थे। इस मामले में आरोपी व व्यापारी एसके जैन को अदालत पहले ही दोषमुक्त करार कर चुकी है। आरोपी अमीर दीन के खिलाफ 27 सितंबर 1996 को दर्ज की गई थी।

ईडी की दलीलें

ईडी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक कुमार पांडा ने दलील दी कि आरोपी मोहम्मद अमीर दीन हबीब के खिलाफ प्रथम दृष्टया फेरा के तहत अपराध का मामला बनता है। ईडी ने आरोप लगाया का मोहम्मद अमीर दीन हबीब ने वर्ष 1988 से 1993 के दौरान विदेशी मुद्रा को अनधिकृत दरों पर भारतीय रुपये में बदलने के कई लेन-देन किए, जो कि फेरा के प्रविधानों का उल्लंघन है।

ईडी ने दलील दी कि अमीर दीन, सह-आरोपी एसके जैन के साथ अवैध विदेशी मुद्रा लेनदेन में शामिल था। उसने आरबीआइ की अनुमति के बिना एसके जैन से पांच करोड़ रुपये के बराबर विदेशी मुद्रा खरीदी।

ईडी ने दलील दी की व्यापारी व मामले में सह-आरोपी एसके जैन द्वारा एक डायरी में दर्ज की गई प्रविष्टि से इसकी पुष्टि होती है, जिसमें लिखा है पांच करोड़ अमीर भाई।

आरोपी की ओर से दलीलें

मोहम्मद अमीर दीन हबीब की ओर से पेश अधिवक्ता एचएस भुल्लर ने दलील दी कि उनके मुवक्किल के खिलाफ आरोप तय करने के लिए कोई सामग्री नहीं है। मामले में शिकायत वर्ष 1996 में दर्ज की गई थी और अभियोजन पक्ष ने गवाहों की अपनी सूची में से 10 गवाहों में से केवल एक गवाह को पेश करके आरोप-पूर्व साक्ष्य पेश किया था।

अधिवक्ता ने तर्क दिया कि अभियोजन पक्ष आरोपी व्यक्तियों के बीच विदेशी मुद्रा की खरीद या बिक्री को साबित करने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सुबूत लाने में भी विफल रहा।

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