दिल्ली CM आवास रेनोवेशन मामले में छह इंजीनियरों को जारी कारण बताओ नोटिस पर HC सख्त, सरकार से मांगा जवाब
Delhi News मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास के नवीनीकरण का मामला सियासी गलियारों में खूब गूंजा। इसी क्रम में लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के छह अभियंताओं को सतर्कता निदेशालय द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस पर दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार समेत अन्य से जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह की पीठ ने चार सप्ताह के भीतर सरकार समेत अन्यों से जवाब तलब किया है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। नई दिल्ली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास नवीनीकरण से जुड़े विवाद मामले में लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के छह अभियंताओं को सतर्कता निदेशालय द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस पर दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार समेत अन्य से जवाब मांगा है।
अगली सुनवाई 12 अक्टूबर को
न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह की पीठ ने सतर्कता निदेशालय, विशेष सचिव (सतर्कता) और पीडब्ल्यूडी को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के अंदर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। मामले में अगली सुनवाई 12 अक्टूबर को होगी।
साथ ही अदातल ने पीडब्ल्यूडी व सतर्कता निदेशालय की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा व दिल्ली सरकार के स्थायी अधिवक्ता संतोष त्रिपाठी का बयान रिकॉर्ड किया कि अगली सुनवाई तक अधिकारियों के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जाएगी।
छह अभियंताओं को कारण बताओ नोटिस हुआ था जारी
साथ ही अदालत ने मामले में पक्षकार बनाए गए पीडब्ल्यूडी मंत्री कार्यालय व मुख्यमंत्री कार्यालय को प्रतिवादी पक्षकार से हटा दिया। अधिवक्ता कमल मोहन गुप्ता व अजय गुप्ता के माध्यम से छह अभियंताओं ने कारण बताओ नोटिस को चुनौती दी है।
अभियंताओं की तरफ से बृहस्पतिवार को पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने कारण बताओ नोटिस पर सवाल उठाते हुए कहा कि विजलेंस निदेशालय उनके मुवक्किल को कारण बताओ नोटिस जारी करने के लिए न तो अधिकृत है और न ही सक्षम है। उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच चल रहे विवाद के बीच अभियंताओं को बली का बकरा बनाया जा रहा है।
खुर्शीद ने कहा कि नोटिस जारी करने के पीछे के मकसद तब स्पष्ट हो गया जब उन्हें जवाब देने का इन्जार किए बगैर इसे इंटरनेट मीडिया पर लीक कर दिया गया। उन्होंने यह भी कहा कि जारी किया गया नोट कानून का दुरुपयोग होने के सिवा कुछ नहीं है।