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Delhi: स्वास्थ्य मंत्री के सचिव ने तिहाड़ जेल में दिया VIP ट्रीटमेंट, बदले में लग्जरी फ्लैट लेने का लगा आरोप

सतर्कता निदेशालय ने स्वास्थ्य मंत्री के सचिव पर तिहाड़ जेल में तैनाती के दौरान आरोपितों को वीआईटी ट्रीटमेंट देने के लगे आरोपों की जांच के लिए रिपोर्ट मांगी है। सतर्कता निदेशालय ने अब ओपी मिश्रा के खिलाफ 2002 से जुड़े एक मामले में जांच पड़ताल शुरू की है यह उस समय का मामला है कि जब वह तिहाड़ जेल में अधीक्षक थे।

By V K Shukla Edited By: Geetarjun Updated: Sat, 03 Aug 2024 01:10 PM (IST)
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आराेपितों को जेल में वीआइपी ट्रीटमेंट देने के बदले सस्ते में लग्जरी फ्लैट लेने का लगा आरोप।

वीके शुक्ला, नई दिल्ली। दिल्ली सरकार में चल रहे आरोप प्रत्यारोप के बीच दिल्ली सरकार में स्वास्थ्य मंत्री के सचिव पर तिहाड़ जेल में तैनाती के दौरान आरोपियों को रियायत देने के बदले रिश्वत में सस्ते में लग्जरी फ्लैट लेने का आरोप लगा है। यह आरोप लगने पर दिल्ली के सतर्कता निदेशालय ने जेल प्रशासन को पत्र लिखा है और इस मामले में विस्तार से रिपोर्ट मांगी है। उधर स्वास्थ्य मंत्री के सचिव ओ पी मिश्रा ने इस आरोप को झूठा, मनगढंत और उनकी छवि खराब करने वाला बताया है।

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज के सचिव ओम प्रकाश मिश्रा की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। सतर्कता निदेशालय ने अब ओपी मिश्रा के खिलाफ 2002 से जुड़े एक मामले में जांच पड़ताल शुरू की है, यह उस समय का मामला है कि जब वह तिहाड़ जेल में अधीक्षक थे।

सात दिन में मांगी रिपोर्ट

उन पर तिहाड़ जेल के कैदियों को वीआईपी ट्रीटमेंट देने की एवज में कथित तौर पर भ्रष्टाचार कर लग्जरी फ्लैट खरीदने के गंभीर आरोप लगे हैं। इस संबंध में दिल्ली सरकार के सतर्कता निदेशालय ने तिहाड़ के महानिदेशक को एक पत्र लिखकर सात दिन में रिपोर्ट मांगी है।

भ्रष्ट तरीकों से खरीदे दो लग्जरी फ्लैट

सतर्कता निदेशालय के सहायक निदेशक की ओर से सीनियर दानिक्स अधिकारी मिश्रा के खिलाफ मिली शिकायत का हवाला देते हुए तिहाड़ जेल महानिदेशक सतीश गोलचा को पत्र लिखकर ब्यौरा मांगा गया है। मिश्रा पर आरोप है कि तिहाड़ अधीक्षक पद पर रहते हुए कैदियों को वीआईपी ट्रीटमेंट देकर भ्रष्ट तरीकों से दो लग्जरी फ्लैट खरीदे हैं।

जमानत याचिकाओं में भी की गई मदद

आरोप है कि उनके कार्यकाल के दौरान एक कंपनी के कुछ कर्मचारियों को तिहाड़ जेल में विचाराधीन कैदी के रूप में बंद रहने के दौरान वीआईपी ट्रीटमेंट दिया गया था। मिश्रा ने इस कंपनी के कर्मचारियों की जमानत याचिकाओं में भी कथित तौर पर पूरी मदद की थी और जेल में रहते हुए उनको वह सभी सुविधाएं मुहैया करने में सहायता की थी, जो वीआईपी सुविधाएं होती हैं।

इसके बदले अधिकारी को कथित तौर पर गुरुग्राम स्थित एंबिएंस वैली (लग्जरी फ्लैट्स) में कंपनी के दो फ्लैट बहुत ही कम कीमत पर खरीदने में मदद की गई, जो मिश्रा और उनके पिता लक्ष्मण मिश्रा के नाम बताए गए हैं।

क्या हैं आरोप

मिश्रा पर आरोप है कि उनकी तरफ से 23 जनवरी 2002 को तत्कालीन डीआइजी सेंट्रल जेल को एक डिक्लेरेशन दी गई थी जिसमें कहा गया था कि उनका इस कंपनी के साथ न तो वर्तमान और न ही अतीत में कोई आधिकारिक संबंध रहा है।

सतर्कता निदेशालय का मानना है कि इस तरह की डिक्लेरेशन फाइल कर उनकी तरफ से सरकार को दी जाने वाली महत्वपूर्ण जानकारी को छिपाने का काम किया गया है। ऐसा प्रतीत होता है कि इस तरह की कार्रवाई गलत और भ्रष्ट इरादों को पूरा करने के लिए की गई।

सतर्कता निदेशालय के सहायक निदेशक की ओर से डीजी सेंट्रल जेल को भेजे गए पत्र में यह भी कहा गया कि जांच से पता चला कि रमेश शाह पुत्र पी.एन. शाह जो हौज खास ईओडब्ल्यू सेल की एफआइआर नंबर 187/2002 में आरोपी था।वह तिहाड़ जेल में कथित तौर पर न्यायिक हिरासत में था।वह पिछली जिस कंपनी के मामले में हिरासत में था, उस कंपनी का बाद में नाम बदल दिया गया।

उधर ओपी मिश्रा ने कहा है कि एक काल्पनिक शिकायत में मेरे दिवंगत पिता का नाम अनावश्यक रूप से घसीटा गया है, इससे मैं दुखी हैं। उन्होंने कहा कि मैं यहां स्पष्ट कर रहा हूं कि मैं वर्ष 2001-03 में जेल नंबर तीन का अधीक्षक और उसके बाद जेल नंबर दो का अधीक्षक था। मेरे पिता अतिरिक्त पद और वेतनमान से सेवानिवृत्त हुए थे।

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सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों के लिए जमा योजना में उन्होंने अपनी सारी ग्रेच्युटी, जीपीएफ, अवकाश वेतन और पेंशन जमा कर दी थी।उन्होंने इस अपार्टमेंट को खरीदने के लिए आवास ऋण लिया था, उनकी उम्र लगभग 60 वर्ष थी, इसलिए उन्हें सह-ऋणी के रूप में मुझे अपना नाम जोड़ना पड़ा।फ्लैट मेरे पिता द्वारा 2001 में बुक किए गए थे।

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