ग्रीन कॉरिडोर बना पहली बार दिल्ली से जयपुर भेजा गया दिल, एक युवक के अंगदान से चार लोगों को मिला नया जीवन
गंगाराम अस्पताल में युवक के अंगदान से चार लोगों को जीवन मिला। उसके अंगदान से मिला लिवर दोनों किडनी और दिल अलग-अलग अस्पतालों में चार मरीजों को प्रत्यारोपित किया गया। खास बात यह है कि ग्रीन कॉरिडोर बनाकर पहली बार दिल्ली से सड़क मार्ग (दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे) के जरिये दिल जयपुर पहुंचाया गया। तीन राज्यों की पुलिस ने ग्रीन कॉरिडोर बनाकर दिल को जल्दी जयपुर पहुंचाने में मदद की।
By Ranbijay Kumar SinghEdited By: GeetarjunUpdated: Sun, 17 Dec 2023 06:42 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। गंगाराम अस्पताल में एक 37 वर्षीय युवक के अंगदान से चार लोगों को जीवन मिला। उसके अंगदान से मिला लिवर, दोनों किडनी और दिल अलग-अलग अस्पतालों में चार मरीजों को प्रत्यारोपित किया गया। खास बात यह है कि ग्रीन कॉरिडोर बनाकर पहली बार दिल्ली से सड़क मार्ग (दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे) के जरिये दिल जयपुर पहुंचाया गया।
इसमें दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान इन तीन राज्यों की पुलिस ने ग्रीन कॉरिडोर बनाकर दिल को जल्दी जयपुर पहुंचाने में मदद की।
अस्पताल प्रशासन के अनुसार, मूलरूप से हरियाणा के भिवानी जिले के बवानी खेड़ा का रहने वाला वह युवक सुशील कुमार दिल्ली में सब्जी का कारोबार करता था। दस दिसंबर को इंद्रपुरी में मोटरसाइकिल से सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गया।
घटना के बाद उसे इलाज के लिए गंगाराम अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टर्स ने उसे बचाने की पूरी कोशिश की लेकिन 14 दिसंबर को वह ब्रेन डेड हो गया। अस्पताल के डॉक्टर्स द्वारा समझाने पर दुख की इस घड़ी में सुशील की पत्नी ने उसके अंगदान की स्वीकृति दी।
इस वजह से उसके लिवर, दोनों किडनी, दिल और दोनों कार्निया दान हुआ। एक किडनी व लिवर गंगाराम अस्पताल में ही दो पुरुष मरीजों को प्रत्यारोपित हुआ। दूसरी किडनी नोएडा के अस्पताल में एक अन्य पुरुष मरीज को प्रत्यारोपित की गई।
दिल्ली में हृदय प्रत्यारोपण के लिए कोई मरीज उपलब्ध नहीं होने के कारण राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (नोटो) ने जयपुर के अस्पताल में एक मरीज को आवंटित किया। दिल्ली से जयपुरी तक करीब 245 किलोमीटर ग्रीन कारिडोर बनाकर एंबुलेंस से दिल जयपुर ले जाया गया।
अस्पताल के अनुसार, लिवर 70 वर्षीय बुजुर्ग मरीज को प्रत्यारोपित किया गया। हृदय व दोनों किडनी प्रत्यारोपण वाले मरीजों की उम्र करीब 40 वर्ष है। इसके अलावा दृष्टिबाधित दो लोगों को कार्निया प्रत्यारोपण से रोशनी भी मिली। अस्पताल प्रशासन ने पीड़ित परिवार के कार्य की सराहना की है।
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