केजरीवाल की तस्वीर हटने पर शुरू हुई रैली, लोकसभा चुनाव से पहले दिखी गठबंधन की एकता में छिपी असहमति
आई. एन. डी. आई. गठबंधन (INDI Alliance) में शामिल दल विपक्षी एकजुटता का दावा भले कितना रहें लेकिन हर किसी की कोशिश अपने मुददों को हवा देने की रहती है। रविवार को रामलीला मैदान में हुई महारैली में भी कई बार इसकी झलक दिखाई दी। ऐसा भी साफ नजर आया कि इन नेताओं को इनकी मजबूरियां साथ तो ले आईं लेकिन एक यह अभी भी नहीं हो पाए।
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। आई. एन. डी. आई. गठबंधन (INDI Alliance) में शामिल दल विपक्षी एकजुटता का दावा भले कितना रहें, लेकिन हर किसी की कोशिश अपने मुददों को हवा देने की रहती है। रविवार को रामलीला मैदान में हुई महारैली में भी कई बार इसकी झलक दिखाई दी। ऐसा भी साफ नजर आया कि इन नेताओं को इनकी मजबूरियां साथ तो ले आईं, लेकिन एक यह अभी भी नहीं हो पाए।
लोकतंत्र बचाओ महारैली की शुरुआत में ही गठबंधन की एकता में छिपी असहमति परिलक्षित हो गई। आम आदमी पार्टी (AAP) पोडियम पर सलाखों में बंद सीएम अरविंद केजरीवाल का फ्लैक्स लगाना चाहती थी। गठबंधन के साथ दलों के सलाह किए बगैर पार्टी नेताओं ने ऐसा कर भी दिया। लेकिन अन्य दलों के नेताओं ने इससे नाराज हो गए। आलम यह हो गया कि जब पोडियम से फ्लैक्स हटाया गया, तभी बाकी नेता मंच पर चढ़े।
रामलीला मैदान में आई. एन. डी. आई. ए गठबंधन की महारैली तानाशाही हटाओ, लोकतंत्र बचाओ में एकजुट हुए नेतागण (बाएं से), गोपाल राय, अखिलेश यादव, प्रियंका गांधी वाड्रा, आतिशी, संदीप पाठक, कल्पना सोरेन, सुनीता केजरीवाल, मल्लिकार्जुन खड़गे, शरद पवार, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, भगवंत मान, फारुख अब्दुल्ला, तेजस्वी यादव, केसी वेणुगोपाल, चंपई सोरेन।
सुनती केजरीवाल ने पढ़ दीं छह गारंटियां
मंच पर बैठे नेताओं के बीच ऐसी ही असहज स्थिति तब भी उत्पन्न हो गई जब सुनीता केजरीवाल ने गठबंधन की सहमति के बगैर ही केजरीवाल की ओर छह गारंटियां पढ़ दीं। हैरत की बात यह कि इन गारंटियों में ऐसी बातें भी जो कांग्रेस पर कटाक्ष करती थीं।
देश के लोगों ने 75 वर्ष से अन्याय सहा- सुनीता केजरीवाल
मसलन, अगले पांच साल में देश के कोने कोने में 24 घंटे और मुफ्त बिजली होगी, अच्छे स्कूल बनाएंगे, हर गांव एवं कस्बे में मोहल्ला क्लीनिक बनाएंगे, दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाएंगे तथा किसानों को स्वामीनाथन आयोग के मुताबिक एमएसपी निर्धारित करके उनके फसलों के पूरे दाम दिलवाएंगे। सुनीता ने केजरीवाल का संदेश पढ़ते हुए यहां तक कह दिया कि देश के लोगों ने 75 वर्ष से अन्याय सहा है।
यह सभी बातें और गारंटियां वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं को खासी बुरी लगी। एक पूर्व सांसद ने नाम न छापने के अनुरोध पर कहा कि इस तरह से स्वयं का प्रचार और दूसरे का दुष्प्रचार किसी दृष्टि से सही नहीं कहा जा सकता। बाद में प्रियंका वाड्रा ने भी गठबंधन की ओर से पांच मांगे रखीं, जो मुख्यतया चुनाव आयोग से संबंधित थीं।
झारखंड के मुख्यमंत्री चंपई सोरेन इसलिए नाराज हो गए क्योंकि उन्हें लंबे समय तक बोलने का मौका ही नहीं दिया गया। बहुत से नेताओं ने लंबा भाषण दिया तो कुछ तो थोड़ी ही देर में टोकना भी उनको असहज करने वाला था।