Sunanda Pushkar Death Case: थरूर की बढ़ेंगी मुश्किलें, दिल्ली पुलिस की अपील पर हाई कोर्ट ने जारी किया नोटिस
सुनंदा पुष्कर मौत मामले में कांग्रेस सांसद शशि थरूर को आरोपमुक्त किए जाने के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। वहीं अब इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने कांग्रेस सांसद शशि थरूर को नोटिस जारी किया है।
By Versha SinghEdited By: Updated: Thu, 01 Dec 2022 12:22 PM (IST)
नई दिल्ली। सुनंदा पुष्कर मौत मामले में कांग्रेस सांसद शशि थरूर को आरोपमुक्त किए जाने के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। पटियाला हाउस कोर्ट ने 18 अगस्त, 2021 को पारित एक फैसले में शशि थरूर को मौत के मामले में आरोप मुक्त कर दिया था।
वहीं, अब पटियाला हाउस कोर्ट के फैसले के खिलाफ दिल्ली पुलिस की अपील पर दिल्ली हाई कोर्ट ने कांग्रेस सांसद शशि थरूर को नोटिस जारी किया है।
Delhi Police moves High Court against the discharge of Congress MP Shashi Tharoor in Sunanda Pushkar death case.
The Patiala House Court in a judgement passed on August 18, 2021 had discharged Shashi Tharoor in connection with the death case.
— ANI (@ANI) December 1, 2022
Delhi High Court issues notice to Congress MP Shashi Tharoor on Delhi Police's appeal against the Patiala House Court judgement
(File photo) pic.twitter.com/qBSTJALcPN
— ANI (@ANI) December 1, 2022
15 महीने की देरी से याचिका हुई दायर
निचली अदालत द्वारा कांग्रेस सांसद शशि थरूर को आरोप मुक्त करने के निर्णय को चुनौती देते हुए दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। करीब 15 महीने की देरी से याचिका दायर की गई है।न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा की पीठ ने देरी से याचिका दायर करने के पक्ष को माफ करने की पुलिस के अनुरोध पर नोटिस जारी कर सुनवाई 7 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी है। दिल्ली पुलिस ने मामले में देरी से अर्जी दाखिल करने के पक्ष को माफ करने की अदालत से अपील की है। बता दें कि निचली अदालत ने अगस्त 2021 में थरूर को मामले में आरोप मुक्त कर दिया था।
शशि थरूर पर लगे गंभीर आरोप
पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर को कि दिल्ली पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा-498 ए (पति या उसके रिश्तेदार द्वारा अत्याचार) और धारा-306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत आरोपी बनाया है। आरोप साबित होने पर मामले में 3 साल और 10 साल की सजा हो सकती है।
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