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हिंदी प्रेमियों के लिए हिंदी साहित्य से जुड़ी सैकड़ों किताबें मौजूद, एक बार तो जरूर पधारें

पुस्‍तक प्रेमियों के लिए हिंदी अकादमी बड़ा तोहफा लेकर आई है। लखनऊ रोड पर एक नई लाइब्रेरी खोली गई है जिसमें हर क्षेत्र से जुड़ी किताबें रखी गई हैं।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Thu, 23 Jan 2020 11:48 AM (IST)
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हिंदी प्रेमियों के लिए हिंदी साहित्य से जुड़ी सैकड़ों किताबें मौजूद, एक बार तो जरूर पधारें
नई दिल्‍ली [रितु राणा]। मातृभाषा दुनिया की हर संस्कृति का वो अभिन्न अंग है जिससे प्रत्येक समुदाय की पहचान जुड़ी है। इसीलिए कहते हैं कि मातृभाषा की उन्नति बिना किसी भी समाज की तरक्की संभव नहीं है। ऐसे में कई भाषाएं सीखना गलत नहीं है लेकिन इस होड़ में अपनी मातृभाषा को पीछे छोड़ देना यकीनन सही भी नहीं है। आज के दौर में एक संस्थान ऐसा भी है जो अधिकाधिक बोली जाने वाली मातृभाषा का संरक्षण करने में जुटा है। इसी उद्देश्य को लेकर हिंदी अकादमी द्वारा लखनऊ रोड पर हिंदी प्रसार केंद्र पुस्तकालय व वाचनालय की शुरुआत की गई। यहां हिंदी प्रेमियों के लिए हिंदी साहित्य से जुड़ी सैकड़ों किताबें मौजूद हैं। प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्र भी यर्हां हिंदी साहित्य पढ़ते हैं। पुस्तकालय प्रभारी कहते हैं कि उनका उद्देश्य हिंदी भाषा के महत्व को पाठकों तक पहुंचाना है। यहां हिंदी साहित्य से जुड़ी कहानी, उपन्यास, कविता व शब्दकोश की पुस्तकों का खजाना है। इसके अलावा प्रतियोगी परीक्षाओं से जुड़ी पुस्तकें भी उपलब्ध हैं।

वर्ष 1983 में हुई थी शुरुआत

छत्रसाल स्टेडियम में हिंदी प्रसार केंद्र पुस्तकालय की नींव तत्कालीन शिक्षा पार्षद व हिंदी अकादमी के कार्यकारी अध्यक्ष कुलानंद भारती वर्ष 1983 में रखी थी। हालांकि वर्ष 2001 में स्टेडियम के पुननिर्माण के कारण पुस्तकालय को लखनऊ रोड स्थित शिक्षा विभाग के मंडल कार्यालय परिसर में विस्थापित कर दिया गया। पुस्तकालय के पास ही दिल्ली विश्वविद्यालय होने की वजह काफी बच्चे आते हैं। दो हजार किताबों से शुरु हुआ पुस्तकालय का सफर उन्नति पर रहा। जैसे-जैसे यहां पाठकों की संख्या बढ़ती गई पुस्तकों की संख्या का भी विस्तार हुआ। आलम यह है कि वर्तमान में यर्हां हिंदी साहित्य से जुड़ी करीब 18 हजार पुस्तकों का भंडार है।

वे किताबें जो हैं आकर्षण का केंद्र

पुस्तकालय में कुछ किताबें ऐसी भी हैं जो खासकर पाठकों को आकर्षित करती हैं। इनमें सचित्र विश्व विज्ञान कोष, संस्कृत हिंदी शब्द कोष, हिंदी पर्यायवाची कोष, माक्र्सवादी सौंदर्यशास्त्र और हिंदी उपन्यास, काम भाव की नई व्याख्या, चरित्र निर्माण, हिंदी पत्रकारिता का आलोचनात्मक इतिहास, साहित्य और कला, अतीत के अवसाद, मैला आंचल, भारत तब से अब तक-भगवान सिंह, आरक्षण का देशअरुण स्वरी, स्त्रीत्व के बंधन- आशा अरोड़ा, सबसे बड़ा सिपहिया- वीरेंद्र जैन, यथा संभवशरद जोशी, तीसरी आंख-अमृता प्रीतम, प्रेमचंद्र का मंगलसूत्र व अन्य रचनाएं, किनारे से किनारे तक- राजेंद्र यादव, अंधे मोड़ से आगे सहित कई रोचक किताबें शामिल हैं।

पहाड़ी संस्कृति का बेहतरीन कोष

इस पुस्तकालय का एक आकर्षण यहां मौजूद उत्तराखंड के साहित्यकारों की पुस्तकें हैं। जिनमें शिवानंद नौटियाल की तपोभूमि गढ़वाल, कुमाऊं भाषा और साहित्य -डॉ. नारायण दत्त पालीवाल, प्राइवेट सेक्टर का व्यंग्यकार, - प्रदीप पंत, निहारिका- गोविंद वल्लभ पंत, अंतिम आवाज- वल्लभ डोभाल, आप मुक्ति तथा अन्य कहानियां-शैलेश मटियानी, बर्फ की चट्टानें, गाए जा- विद्यासागर नौटियाल, थाप - रामशरण जोशी, राष्ट्रीय संस्कृति संपदा- डॉ. जगमोहन जोशी, पर्यावरण और संस्कृति का संकट- डॉ. गोविंद चातक की लिखी किताबें शामिल हैं जो पहाड़ की संस्कृति व जीवन का अद्भुत चित्रण करती हैं। इसके अलावा यहां कुछ किताबें ऐसी भी हैं जो अब आसानी से उपलब्ध नहीं होतीं लेकिन यहां वो भी मिल जाएंगी। इनमें अथर्ववेद संहिता सनातन भाषाएं, अथर्ववेद संहिता मूल पाठ, सारे सुखन हमारे- फैज अहमद फैज, कथा एक प्रांतर की- एस के पोट्टेकाट, भारत के यायावर- डॉ. श्याम सिंह शशि, साहित्य देवता माखन लाल चतुर्वेदी, सतह से उठता आदमी मुक्ति बोध- भारतीय ज्ञानपीठ आदि शामिल हैं।

पत्रिकाओं के साथ उम्दा बाल साहित्य भी 

आजकल बाल साहित्य की किताबें मिलना भी मुश्किल हैं लेकिन इससे संबंधित यहां करीब 500 किताबों का उम्दा संग्रह है। इन किताबों में चिल्ड्रंस लाइब्रेरी ऑफ नॉलेज, चिल्ड्रंस नॉलेज बैंक, संगठन में शक्ति है, गोरा बादल, नन्हें सैनिक बालगीत, छोटा बड़ा, दक्षिण भारत की कहानियां आदि शामिल हैं।

महत्‍वपूर्ण जानकारी 

ऐसे लें सदस्यता

पुस्तकालय में सदस्यता लेने के लिए वार्षिक शुल्क 100 रुपये है। इसके लिए एक पहचान पत्र, पासपोर्ट साइज फोटो और 500 रुपये सुरक्षा निधि जमा की जाती है जो रिफंडेबल है।

ऐसे पहुंचे

नजदीकी मेट्रो स्टेशन दिल्ली विश्वविद्यालय से कुछ कदम की दूरी पर शिक्षा विभाग के परिसर में पुस्तकालय है।

पुस्तकालय खुलनेका समय

सुबह 9.30 से शाम 6 बजे तक यहां पढ़ाई कर सकते हैं। शनिवार व रविवार को पुस्तकालय बंद रहता है। 

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