CAA: दिल्ली के 10 हजार से अधिक पाक-अफगान से आए हिंदू-सिख शरणार्थियों में खुशी की लहर, फोड़े पटाखे; तिरंगा लहराया
नागरिकता (संशोधन) अधिनियम लागू होने से पाकिस्तानी और अफगानिस्तान से आकर दिल्ली में रहते 10 हजार से अधिक सिख व हिंदू शरणार्थियों में खुशी की लहर है। तिरंगा झंडा लहराने के साथ प्रधानमंत्री मोदी व गृह मंत्री अमित शाह को दिल से धन्यवाद देने का क्रम जारी है। मजनू का टीला स्थित हिंदू शरणार्थी कैंप तथा तिलक नगर स्थित सिख शरणार्थी कैंप में खुशी में मिठाईयां बांटी जा रही है।
नेमिष हेमंत, नई दिल्ली। नागरिकता (संशोधन) अधिनियम लागू होने से पाकिस्तानी और अफगानिस्तान से आकर दिल्ली में रहते 10 हजार से अधिक सिख व हिंदू शरणार्थियों में खुशी की लहर है। तिरंगा झंडा लहराने के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व गृह मंत्री अमित शाह को दिल से धन्यवाद देने का क्रम जारी है। मजनू का टीला स्थित हिंदू शरणार्थी कैंप तथा तिलक नगर स्थित सिख शरणार्थी कैंप में खुशी में मिठाईयां बांटी जा रही है। शरणार्थी कैंपों के घरों में अच्छे पकवानों की खुशबू आ रही है। वे इस बात से खुश हैं कि आखिरकार वे अब भारतीय नागरिक कहलाएंगे।
लोकसभा चुनाव से पहले, केंद्र ने 31 दिसंबर, 2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के बिना दस्तावेज देश में आने वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने के लिए सीएए 2019 के कार्यान्वयन की घोषणा की।
मजनू का टीला में खुशी की लहर
मजनू का टीला स्थित कैंप में पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी समुदाय के वरिष्ठ सोनादास ने बताया कि समुदाय के लगभग 500 लोगों को अब भारत की नागरिकता मिलेगी। वह तथा उनके परिवार जैसे यहां रहते सैकड़ों लोग 10 से अधिक वर्ष से इसका इंतजार कर रहे हैं। क्योंकि, तब से वह एक शरणार्थी के तौर पर थे। अब उन सभी में खुशी है, क्योंकि वह सभी भारतीय नागरिक कहलाएंगे।
उन्होंने बताया कि सीएए (CAA) बनने के बाद उन लोगों ने नागरिकता के लिए आवेदन किया था। अब उन लोगों को फिर से आवेदन करना पड़ेगा। क्योंकि अब व्यवस्था इंटरनेट माध्यम से है।
2011 से आ रहे हैं हिंदू शरणार्थी
मजनू का टीला में वर्ष 2011 से पाकिस्तान से हिंदू शरणार्थियों का आना शुरू हुआ था। इसी तरह तिलक नगर में करीब 40 साल पहले से अफगानिस्तान से सिख शरणार्थियों का आने का क्रम शुरू हुआ, जो अफगानिस्तान में तालिबान का राज आने तक तीन वर्ष पहले तक जारी था।
हालांकि, सिख शरणार्थी, हिंदू शरणार्थियों के मुकाबले अच्छे आर्थिक स्थिति में हैं। तो भी नागरिकता की अनुभूति उखड़े पेड़ को जमीन मिलने जैसी है।
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