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दिल्ली में ऐतिहासिक गेट और पुल बन रहे ASI के लिए चुनौती, पहले चरण में इन दो गेटों को बचाने का काम शुरू

राजधानी में ऐतिहासिक गेट और पुल बन रहे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के लिए चुनौती बन रहे हैं। आए दिन ऊंचे वाहन इनके निचने हिस्से में टक्कर मारते हैं और ये क्षतिगस्त हो जाते हैं।इसे देखते हुए इनका संरक्षण के साथ साथ इनके नीचे की सड़कों का तल नीचा किए जाने की भी योजना बनाई जा रही है जिससे इनके नीचे से वाहन गुजरने पर वे इससे न टकराएं।

By V K Shukla Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Tue, 16 Jan 2024 12:16 PM (IST)
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दिल्ली में ऐतिहासिक गेट और पुल बन रहे ASI के लिए चुनौती
वीके शुक्ला, नई दिल्ली। दिल्ली में ऐतिहासिक गेट और पुल बन रहे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के लिए चुनौती बन रहे हैं। मुख्य समस्या दो गेटों त्रिपोलिया गेट और मंगी ब्रिज को लेकर है।

इनके नीचे से यातायात गुजरने से ये क्षतिग्रस्त हो रहे हैं । दो माह पहले एएसआइ की बैठक में इन दोनाें को बचाने के लिए जरूरी कदम उठाए जाने का फैसला लिया गया है। पहले चरण में उत्तरी दिल्ली के ऐतिहासिक त्रिपोलिया गेट के संरक्षण का काम शुरू किया गया है, जल्द ही मंगी ब्रिज का शुरू होगा।

दिल्ली के बचे हुए ऐतिहासिक गेटों की बात करें तो ध्यान शाहजहांनाबाद के बचे हुए गेटों की ओर ही जाता है।इनमें दिल्ली गेट, अजमेरी गेट, तुर्कमान गेट, लाहौरी गेट (अब सिर्फ नाम का दरवाजा) हैं। इनके अलावा खूनी दरवाजा, शेरशाह गेट,कश्मीरी गेट के साथ साथ त्रिपोलिया गेट वर्तमान में दिल्ली के दरवाजों का अस्तित बचाए हुए हैं।

त्रिपोलिया गेट और मंगी पुल के अस्तित्व को खतरा

शाहजहाबाद के गेटों को अलग कर दें तो अन्य सभी को अलग अलग समय बनवाया गया और सभी का अलग अलग इतिहास है। त्रिपालिया गेट को अलग कर दें तो इन सभी को बचा पाने का बहुत खतरा नहीं है। इसीलिए हम यहां बात कर रहे हैं उस त्रिपोलिया गेट और मंगी पुल की जिनके अस्तित्व को अधिक खतरा है। दोनों के साथ एक ही तरह का खतरा है कि दोनों के नीचे से यातायात गुजरता है।

आए दिन ऊंचे वाहन इनके निचने हिस्से में टक्कर मारते हैं और ये क्षतिगस्त हो जाते हैं।इसे देखते हुए इनका संरक्षण के साथ साथ इनके नीचे की सड़कों का तल नीचा किए जाने की भी योजना बनाई जा रही है, जिससे इनके नीचे से वाहन गुजरने पर वे इससे न टकराएं।

एएसआइ ने इसके लिए लोक निर्माण विभाग को पत्र लिखा है।हालांकि मगी ब्रिज के जिस भाग में सड़क को नीचा किया जाना है वहां से पानी की पाइन लाइन गुजर रही है ऐसे में इस स्थान को नीचा किया जाने में समस्या है।इस समस्या के समाधान के लिए विचार किया जा रहा है।

त्रिपोलिया गेट

मुगलकालीन त्रिपोलिया गेट की हालत बेहद जर्जर हो चुकी है।एएसआइ की तीन आर्च में से एक के अंदर से 2019 में वाहनों के आवागमन पर प्रतिबंध लगा दिया था।उसके बाद संरक्षण कार्य शुरू किया था, एक काम हो गया था कि 2020 में काेरोना महामारी के चलते यह कार्य बीच में ही रुक गया था।

यहां पर बता दें कि ग्रैंड ट्रंक (जीटी) करनाल रोड पर स्थित दो त्रिपोलिया गेटों का निर्माण नाजीर महलदार खां ने कराया था। इनमें से एक गेट जो महाराणा प्रताप बाग के पास स्थित है।उसका संरक्षण कार्य 2017 में हो चुका है।वहीं गुड़ मंडी के पास वाला दूसरा गेट खतरनाक रूप से जर्जर हो चुका है।इसका काम अब चल रहा है।

क्या है इतिहास?

दिल्ली करनाल रोड से सब्जी मंडी को जोड़ने वाली सड़क पर एक सराय थी, जो गुड़ की सराय कहलाती थी। इसे मुगल काल में बनवाया गया था। यह ज्यादातर ईटों से निर्मित है।

इन द्वारों पर लिखे अभिलेख से पता चलता है कि इन्हें नाजिर महलदार खां द्वारा 1728-29 में बनवाया गया था।मुहम्मद शाह के कार्यकाल में वह वजीर था।

त्रिपोलिया गेट दिल्ली के सात ऐतिहासिक द्वारों में से एक है।इससे सटे क्षतिग्रस्त स्मारक को सैनिकों व घोड़ों के विश्राम के लिए बनवाया गया था।

मंगी ब्रिज

जर्जर हालत में पहुंच चुके मंगी ब्रिज को बचाने की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने तैयारी कर ली है।जल्द ही ब्रिज का संरक्षण का काम शुरू कर देने की एएसआइ की योजना है। जिसके तहत ब्रिज के नीचे के भाग में मजबूती दी जाएगी, इसके लिए आधुुनिक तकनीक का सहारा लिया जाएगा।

ब्रिज के नीचे की तरफ क्षतिग्रस्त भाग को तैयार करने में स्टील के अर्ध चंद्राकार गार्डर डाले जाएंगे। इसी तकनीक पर 2010 में इसी ब्रिज के ढह चुके आधे हिस्से काे बचाया गया था।एएसआइ की याेजना ब्रिज के इस लेन से ऊंचे वाहनों के गुजरने पर प्रतिबंध लगाने की भी है।जिससे ऊंचे वाहन इससे न टकरा सकें।यह ब्रिज लालकिला और सलीमगढ़ किले को जोड़ता है।

इतिहास

लालकिला के पीछे स्थित इस ब्रिज का निर्माण 150 वर्ष पूर्व किया गया था।इसका प्रयोग लालकिला से सलीमगढ़ किले में जाने के लिए किया जाता था। वर्तमान में इस ऐतिहासिक ब्रिज के नीचे से रिंग रोड गुजरता है। पुराना हो जाने से इस ब्रिज के ऊपर से कुछ साल से वाहनों का आवागमन बंद है।

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