Qudsia Bagh: दिल्ली के कुदसिया बाग का इतिहास, जहां दुर्गा भाभी ने भगत सिंह को लगाया था खून का तिलक
Qudsia Bagh News कुदसिया बाग का इतिहास भगत सिंह से भी जुड़ा हुआ है। असेम्बली में बम डालने से पहले भगत सिंह पहले कुदसिया बाग में ही एकत्र हुए थे जहां पर दुर्गा भाभी ने अपने खून से भगत सिंह का तिलक किया और उनकी पसंद की मिठाई खिलाई।
By JagranEdited By: Prateek KumarUpdated: Wed, 28 Sep 2022 07:52 PM (IST)
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। आजादी की लड़ाई में दिल्ली का वह जगह तब ज्यादा चर्चित हो गया जब भगत सिंह जैसे नामी क्रांतिकारियों के चरण उस जगह पर पड़े। इतना ही नहीं उस जगह की अहमियत और ज्यादा बढ़ जाती है जब उस जगह पर आजादी की लड़ाई से जुड़ी एक खास यादें हो तो। हम बात कर रहे हैं दिल्ली के ऐतिहासिक जगह कुदसिया बाग। ऐतिहासिक कुदसिया बाग का निर्माण आज से लगभग 300 साल पहले यमुना के किनारे निर्माण करवाया गया था। बाग चारदीवारी से घिरा हुआ था और यहां कई ऐतिहासिक इमारतें थी और एक महल था, लेकिन 1857 की क्रांति तथा उसके बाद हुए कई युद्धों के कारण ज़्यादातर इमारतें दशकों पहले गायब हो चुकी हैं। 1857 की क्रांति के बाद इसकी संरचना में कई बदलाव किए गए। वर्तमान में यहां एक प्रवेश द्वार, एक मस्जिद व एक बारादरी या बावड़ी स्थित है।
दुर्गा भाभी ने खून से किया था भगत सिंह का तिलक
कुदसिया बाग का इतिहास भगत सिंह से भी जुड़ा हुआ है। असेम्बली में बम डालने से पहले भगत सिंह पहले कुदसिया बाग में ही एकत्र हुए थे, जहां पर दुर्गा भाभी ने अपने खून से भगत सिंह का तिलक किया और उनकी पसंद की मिठाई खिलाई। इस कारण दिल्ली के इस जगह का इतिहास में और ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है।केजरीवाल सरकार कर रही उस जगह का संरक्षण
केजरीवाल सरकार ने दशकों से उपेक्षित इस बाग के संरक्षण करने का काम किया है। सरकार ने यहां इमारतों के रखरखाव के साथ यहां मौजूदा बाग को भी नया स्वरुप देने का काम किया है, जिससे यहां बड़ी संख्या में पर्यटक आकर्षित होंगे।आज क्यों हो रही चर्चा
यहां पर शहीद-ए-आजम भगत सिंह के जन्मदिवस के अवसर पर कला, संस्कृति व भाषा विभाग द्वारा आयोजित शहीद भगत सिंह जी के जीवन वृतांत पर आधारित ‘मेकिंग ऑफ़ ए रेवोलुशनरी’ नामक प्रदर्शनी का डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने उद्घाटन हुआ। इस अवसर पर सचिव (कला,संस्कृति एवं भाषा) श्री सी.आर. गर्ग, उपसचिव (कला, संस्कृति एवं भाषा) श्रीमती प्रोमिला मित्रा और उपनिदेशक (अभिलेखागार) श्री संजय कुमार गर्ग, प्रो. चमन लाल, प्रो. एस. इरफान हबीब के साथ-साथ स्थानीय नागरिक तथा जवाहरलाल नेहरू व दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र व छात्राएं भी उपस्थित थे।
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