इस दौरान सैंकड़ों फ्लाइट्स देरी (Flights Delay) से उड़ीं और रद्द भी हुईं। साथ ही कई उड़ानों को डाइवर्ट भी करना पड़ा। अंतरराष्ट्रीय से अधिक घरेलू उड़ानों पर सबसे ज्यादा फर्क पड़ा। फ्लाइट्स पर पड़े प्रभाव और एयरपोर्ट पर हुई अव्यवस्था के कई कारण थे।
घंटों की देरी से परेशानी यात्री ने पायलट से की मारपीट
दिल्ली-गोवा इंडिगो फ्लाइट (6ई-2175) के पायलट के साथ एक यात्री साहिल कटारिया ने मारपीट कर दी। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो गाय। यात्री ने विमान के पायलट के साथ उस समय मारपीट की जब वह फ्लाइट की देरी के बारे में यात्रियों के सामने घोषणा कर रहा था। बाद में एयरलाइंस और पायलट की शिकायत के बाद उसे गिरफ्तार किया गया। हालांकि उसे बाद में जमानत दे दी गई थी।
14 और 15 जनवरी सबसे ज्यादा परेशान करने वाले दिन
दिल्ली एयरपोर्ट से यात्रा करने या आने वाले हवाई यात्रियों (Air Flyers) के लिए 14 और 15 जनवरी के दिन सबसे ज्यादा परेशान करने वाले थे। इस दिन हवाई यात्रियों की वजह से एयरपोर्ट के तीनों टर्मिनल भरे हुए थे। हवाई यात्राएं कई घंटों की देरी से उड़ रही थीं, या फिर रद्द हो रही थीं।
24 घंटे से ज्यादा देर तक एयरपोर्ट पर फंसे रहे यात्री
एक तो सर्दी और ऊपर से फ्लाइट्स में देरी। ये दिन हवाई यात्रियों को परेशान करने वाले थे। यात्रियों को फ्लाइट्स का 24 घंटे तक इंतजार करना पड़ा। इस ठिठुरन भरी सर्दी में लोग एयरपोर्ट की टर्मिनल बिल्डिंग (Airport Terminal Building) में कांपते हुए नजर आ रहे थे।
हवाई यात्रा और यात्रियों को लेकर होने वाली परेशानी की ये रहीं वजह
1. पार्किंग
कोहर के कारण हवाई जहाज उड़ान नहीं भर पा रहे थे, लेकिन फ्लाइट्स एयरपोर्ट पर लैंडिंग करती जा रही थीं। इस वजह से पार्किंग में विमानों को खड़ा करना मुश्किल हो रहा था। पार्किंग वे पर जाने के लिए विमानों को टैक्सी वे में काफी घंटों तक इंतजार करना पड़ रहा था। फ्लाइट्स के देरी से उड़ने की वजह से यह समस्या हो रही थी।
2. रनवे
रविवार सुबह पांच बजे से नौ बजे के बीच के चार घंटे की अवधिक में कैट 3 की सुविधा से युक्त रनवे पर 31 विमानों की आवाजाही हुई, जिसमें 30 आगमन व एक प्रस्थान की उड़ान थी। हालांकि दो अन्य काम करने वाले रनवे जिनमें कैट 3 की सुविधा नहीं है, वहां विमानों की आवाजाही न के बराबर रही। एक रनवे पर आवाजाही बिल्कुल नहीं हुई वहीं एक अन्य रनवे से केवल दो उड़ानें भरी जा सकी। घने कोहरे के बीच आईजीआई एयरपोर्ट पर रविवार को 500 से अधिक विमानों में घंटों के विलंब से जुड़े मामले में नागरिक उड्डयन मंत्रालय हरकत में आया।
3. एयरपोर्ट पर विमानों का जाम, पार्किंग को जगह नहीं
एयरपोर्ट पर रविवार सुबह से ही जाम की स्थिति थी। जाम का आलम यह था कि सुबह छह बजे से 10 बजे के बीच यात्रियों से भरे विमान को टैक्सीवे की ओर जाने के लिए करीब दो दो घंटे का इंतजार अपनी बारी के लिए करना पड़ रहा था। करीब 50 विमान कतार में टैक्सीवे व रनवे की ओर जाने के लिए अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रहे थे। कई विमान ऐसे भी थे जिन्हें लैंडिंग के बाद टैक्सीवे से टरमैक की ओर जाने के लिए आधे से एक घंटे की प्रतीक्षा करनी पड़ रही थी। जो विमान लैंडिंग कर चुके थे, वे विमान कहां खडा करें इसके लिए जगह नहीं थी।
4. बोर्डिंग और इमिग्रेशन व्यवस्था खराब हुई
घरेलू यात्रियों को सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ा। कई बार यात्री बोर्डिंग पास के बाद फ्लाइट में जाकर बैठ गए। कई घंटे तक बैठे रहने के बाद उन्हें फ्लाइट के रद्द होने का पता चला, फिर उन्हें विमान से बाहर भेजा गया। जब उन्हें बाहर निकलना था तो उन्हें अपने लगेज (सामान) के लिए इंतजार करना पड़ा। इस वजह से एयरपोर्ट पर यात्रियों से खचाखच भरा रहा।
विदेश जाने वाले यात्रियों को पहले इमिग्रेशन काउंटर से गुजरना पड़ता है। अगर उनकी फ्लाइट रद्द हुई या देरी हुई तो उन्हें उसी कागजी प्रक्रिया से गुजरना पड़ रहा था, जिससे वो फ्लाइट लेने के लिए पहले गुजर रहे थे। इमिग्रेशन वाले यात्रियों को बाहर नहीं निकलने दे रहे थे। एयरलाइंस से उन्हें कोई सहायता नहीं मिल रही थी।
5. केवल एक कैट 3 रनवे
समस्या यह थी कि आईजीआई एयरपोर्ट पर रनवे 29एल रनवे है, जहां कैट 3 सुविधा बहाल है। एक अन्य रनवे 10/28 जिस पर कैट 3 सेवा है, वह फिलहाल बंद है। एकमात्र रनवे पर कैट 3 की पूरी क्षमता के साथ कार्य नहीं करने के कारण पायलट इस सुविधा का लाभ नहीं उठा पा रहे थे। पर्याप्त सिग्नल नहीं मिलने के कारण यहां कैट 3 के बजाय कैट 1 की सुविधा पायलट को मिल रही थी। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।
6. ऊंचे-ऊंचे क्रेन विमान आवागमन में डाल रहे थे वाधा
पिछले कुछ दिनों से रनवे 29एल के आसपास अर्बन एक्सटेंशन रोड निर्माण से जुड़ी गतिविधियों के कारण रेडियो सिग्नल में बाधा हो रही थी। यहां काफी काफी ऊंचे-ऊंचे क्रेन थे, जिसकी वजह से रेडियो सिग्नल के आवागमन में बाधा हो रही थी। अब रनवे के आसपास से ऊंचे ऊंचे क्रेन व अन्य अवरोध हटा दिए गए हैं।
दूसरे रनवे को चालू करने की तैयारी
एयरपोर्ट संचालन से जुड़ी एजेंसी का कहना है कि कैट 3 सुविधा से युक्त दूसरे रनवे 10/28 पर जल्द विमानों की आवाजाही शुरू हो, इसकी कोशिश तेज रफ्तार से हा रही है। जो भी जरूरी कार्य हैं, वह किए जा रहे हैं। कार्य पूरा होने के बाद डीजीसीए की अनुमति के बाद इसे विमानों की आवाजाही के लिए खोल दिया जाएगा। इसके बाद आईजीआई पर दो रनवे कैट 3 की सुविधा पायलट को मिलेगी।
कैट 3 बहाल होने से लैंडिंग में होगी आसानी, टेकऑफ में नहीं होगी उतनी सहूलियत
कैट 3 सुविधा बहाल होने से पायलट न्यूनतम 75 मीटर की दृश्यता में भी लैंडिंग आसानी से करा सकेंगे। इस प्रक्रिया को आप ऑटो लैंडिंग कह सकते हैं। लैंडिंग से जुड़ी अधिकांश प्रक्रिया स्वचालित होती है। पायलट की भूमिका केवल रनवे व टैक्सीवे पर लाइटिंग सिस्टम पर नजर रखने की होती है। साथ ही पायलट विमान की रफ्तार पर भी नजर रखता है। लेकिन यह सुविधा टेकऑफ में उतना कारगर नहीं होता।इसकी वजह यह है कि कैट 3 सुविधा का लाभ लेने के लिए टेकआफ के दौरान न्यूनतम दृश्यता 125 मीटर की होनी ही चाहिए। इससे कम दृश्यता होने पर यह सिस्टम कारगर नहीं होता। एयरपोर्ट सूत्रों का कहना है कि यदि लैंडिंग में भी यदि इस सुविधा का लाभ लिया जाए तो इससे एयर ट्रैफिक पर दबाव कम होगा। दृश्यता सुधरने पर आीजीआई एयरपोर्ट से विमानों का टेकऑफ तेजी से होगा, क्योंकि लैंडिंग को लेकर विमानों को कैट 3 के कारण अधिक देर तक इंतजार नहीं करना होगा।
रविवार (14 जनवरी) को 550 उड़ानें प्रभावित हुईं
दिल्ली एयरपोर्ट पर कोहरे के कारण आने और जाने वाली लगभग 550 फ्लाइट्स उड़ानें प्रबावित हुईं। इसके साथ ही 60 उड़ानों को रद्द करना पड़ा। 11 फ्लाइट्स डाइवर्ट की गईं। विलंब के कारण एयरपोर्ट के तीनों टर्मिनल यात्रियों से खचाखच भरे रहे।
11 घंटे तक उड़ान विलंबित हुई
उस दिन सबसे ज्यादा असर घरेलू उड़ानों पर पड़ा। कुल 400 उड़ानें विलंब के दायरे में आई। इनमें आधे प्रस्थान तो आधे आगमन की रही। प्रस्थान में कोचीन की उड़ान 11 घंटे, बंगलुरु की उड़ान नौ, गोवा की उड़ान आठ, मुंबई की उड़ान सात, कोलकाता की उड़ान छह, पोर्टब्लेयर की उड़ान पांच, कुल्लु की उड़ान चार घंटे की देरी से रवाना हुई।
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15 जनवरी को 350 उड़ानें प्रभावित
आगमन व प्रस्थान जोड़ दें तो कुल 350 उड़ानें विलंबित रहीं। नई दिल्ली से विभिन्न स्थानों को जाने वाली 30 उड़ानों को रद्द भी किया गया। घरेलू उड़ानों में कुल 300 उड़ानें विलंबित रहीं, जिनमें आधी आगमन व आधी प्रस्थान से जुड़ी थी।अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में बैंकाक की उड़ान 17 घंटे, लंदन की उड़ान 13 घंटे, बगदाद की उड़ान 14 विलंब से रवाना हुई। इसी तरह दुबई की उड़ान 21 घंटे विलंब से नई दिल्ली पहुंची।
हर जगह भीड़
रविवार को टर्मिनल 3 के फोरकोर्ट एरिया से लेकर मेट्रो व टर्मिनल के बीच के कारिडोर में हर जगह यात्रियों की भीड़ नजर आ रही थी। यात्रियों की टोली के कुछ सदस्य जहां सो रहे थे। वहीं, कुछ लोग जागकर लगेज की निगरानी कर रहे थे। टोली के कुछ सदस्य रद उड़ान की भरपाई की कोशिश में कभी एयरलाइंस के काउंटर का रुख तो कभी अपने स्वजन को वस्तुस्थिति से अवगत करा रहे थे।
पहले घंटों की देरी, फिर बोर्डिंग लेकिन अंत में उड़ान रद्द
बंगलुरु निवासी इकबाल पाशा रविवार शाम करीब साढ़े सात बजे बंगलुरु से नई दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचे। यहां से उन्हें एयर इंडिया की उड़ान से दोहा की यात्रा करनी थी। यहां इमिग्रेशन की प्रक्रिया पूरी करने के बाद एयर इंडिया ने पहले विमान का समय बढ़ाकर साढ़े दस बजे किया, फिर 11.30 किया। देर रात दो बजे बोर्डिंग कराया गया। उड़ान के इंतजार में करीब एक घंटा विमान में बैठे रहे लेकिन फिर अचानक उड़ान को रद कर दिया गया। अब हम अगली उड़ान के लिए टिकट के इंतजाम में लगे हैं। इकबाल कहते हैं कि अब हमारी कोशिश होगी कि हम सर्दियों में विमान से यात्रा से परहेज करें ताकि ऐसी स्थिति से दोबारा वास्ता नहीं पड़े।
रविवार सुबह सात बजे से एयरपोर्ट पर बैठे रहे
राजस्थान के अलवर निवासी फिरोज, जाकिर, बबलू गुर्जर व लोकेश रविवार सुबह सात बजे से एयरपोर्ट पर थे। फिरोज बताते हैं कि कतर के लिए हमारी उड़ान शाम साढ़े सात बजे थी। हम लोग 12 घंटे पहले इसलिए आ गए कि कहीं कोई दिक्कत नहीं हो। इमिग्रेशन की प्रक्रिया पूरी करने के बाद हमलोग बोर्डिंग का इंतजार करते रहे। पहले 8.30, फिर 9:30, फिर 11.30 इसके बाद 2.20 और अंत में 4.30 में हमारी उड़ान रद हो गई। हमलोग विमान के गेट के पास घंटों बोर्डिंग के लिए खड़े रहे। पांच बजे हमें इमिग्रेशन वालों ने एयरपोर्ट से बाहर निकलने दिया।इस बीच हमलोग परेशान रहे। अब हमारी समस्या है कि यहां सबकुछ महंगा है। पानी हो खाना, यहां चीजें काफी महंगी है। एयर इंडिया वाले हमारी सुन नहीं रहे हैं। हमारी कोशिश है कि हमलोग किसी तरह टिकट का इंतजाम कर लें ताकि कतर पहुंच सकें।