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कैसे खत्म होगी दिल्ली की सड़कों से धूल! 224 मशीनों की है जरूरत लेकिन 52 से ही चल रहा है काम

दिल्ली की सड़कों से धूल को कैसे खत्म किया जाए यह एक बड़ी चुनौती है। एमसीडी के पास संसाधनों की कमी के कारण केवल 52 मैकेनिकल रोड स्वीपिंग मशीनें हैं जबकि 224 मशीनों की आवश्यकता है। इस लेख में हम दिल्ली में धूल प्रदूषण की समस्या एमसीडी की चुनौतियों और धूल नियंत्रण के लिए किए जा रहे प्रयासों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

By Nihal Singh Edited By: Sonu Suman Updated: Mon, 21 Oct 2024 06:52 PM (IST)
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दिल्ली में वायु प्रदूषण के कारण सांसों पर संकट गहराता जा रहा।

निहाल सिंह, नई दिल्ली। राजधानी में वायु प्रदूषण के कारण सांसों पर संकट गहराता जा रहा है, लेकिन 1397.3 वर्ग किलोमीट क्षेत्र में फैले दिल्ली में एमसीडी के कार्यक्षेत्र में धूल के प्रदूषण को रोकथाम के लिए एमसीडी के पास संसाधनों की भारी कमी है। एमसीडी के पास 55 हजार सफाई कर्मी तो हैं, लेकिन धूल न उड़े इसके लिए एमसीडी के पास सड़कों की सफाई के लिए जरुरी मैकेनिकल रोड स्वीपिंग की संख्या काफी कम है।

दिल्ली में एमसीडी इलाके में 60 फिट से चौड़ी सड़कों पर प्रतिदिन सफाई के लिए 224 मशीनों की जरुरत हैं, लेकिन उसके पास केवल 52 मैकेनिकल रोड स्वीपिंग (एमआरएस) हैं। इन मशीनों की संख्या बढ़ाने के लिए निगम ने डेढ़ साल पहले कोशिश भी की लेकिन स्थायी समिति न होने की वजह से अधर में लटका है।

आखिरी बार मैकेनिकल रोड स्वीपिंग मशीनें खरीदी 

एमसीडी के पूर्वकालिक तीनों निगमों ने आखिरी बार मैकेनिकल रोड स्वीपिंग मशीनें खरीदी थी। इसमें पूर्वी दिल्ली में 10 तो उत्तरी दिल्ली में 18 और दक्षिणी दिल्ली में 24 मशीनें थी। निगम का एकीकरण मई 2022 में हो गया। इसके बाद से कोई मशीनें निगम के बेड़े में शामिल नहीं हुई है। निगम 1,400 किलोमीटर लंबी लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की सड़कों पर वैकल्पिक तौर पर सफाई करता है।

सफाई के लिए 48 और मशीनों की आवश्यकता

इसका रूट प्लान अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक करता है। जहां जीपीएस लोकेशन के जरिये नागरिक इसको ट्रेक कर सकते हैं, लेकिन बीते दो माह से वह पोर्टल भी सही ढंग से कार्य नहीं कर रहा है। निगम के एक अधिकारी ने नाम बताया कि हमारे पास 52 मशीनें हैं अगर सभी मार्गों की एक दिन छोड़कर हम सफाई इन मशीनों से करें तो हमें 48 और मशीनों की आवश्यकता है, लेकिन जो मशीनें हैं हम उन्हीं से काम कर रहे हैं।

नियमित तौर पर सफाई के लिए 224 मशीनों की जरूरत

हमारी कोशिश रहती है कि जिन सड़कों से ज्यादा यातायात गुजरता हैं, वहां पर इन मशीनों का उपयोग किया जाए। जिन सड़कों पर यातायात कम रहता है वहां पर हम दो दिन बाद भी सफाई करते हैं। इन मशीनों का उपयोग इसलिए भी होता है कि वाहनों के टायरों के जरिये सड़क पर जो धूंल आती है, वह साफ हो जाए। अगर, हमें नियमित तौर पर सफाई करनी है तो 224 मशीनों की आवश्यकता है।

सूत्र बताते हैं कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) की बीते दिनों हुई बैठक में भी यह मुद्दा उठा साथ ही एमसीडी से इस पर जवाब मांगा गया है कि उसके पास पर्याप्त मशीनें क्यों नहीं है।

ठंडे बस्ते में पढ़ा है सड़कों की धुलाई और सफाई का कार्य

एमसीडी में जब आप की सरकार आ गई तो निगम की फंड की समस्या को खत्म करने के लिए दिल्ली सरकार ने 60 फिट से चौड़ी सड़कों की न केवल सफाई और धुलाई का कार्य भी अपने अधीन करने का निर्णय लिया था। दिल्ली सरकार की कैबिनेट ने इस संबंध में मंजूरी भी दी थी। इसमें 70 मैकेनिकल रोड स्वीपिंग मशीनों की खरीदने के साथ एंटी स्माग गन व वाटर स्प्रंकिलर खरीदने की बात थी। चूंकि यह कार्य निगम से जुड़ा हुआ था तो निगम से इसकी मंजूरी मांगी गई। इस पर निगम ने अपनी आपत्ति जता दी थी।

निगम ने अपने प्रस्ताव में कहा था कि दिल्ली में सफाई का कार्य उसके मूल कार्यों से जुड़ा हुआ है। बावजूद इसके प्रस्ताव पास भी हो गया था। पर तकनीकी खामी की वजह से पीडब्ल्यूडी ने यह प्रस्ताव वापस ले लिया और एमसीडी को ही यह कार्य कराने की बात कही। एमसीडी ने पुन: यह प्रस्ताव पास कर दिया। इसमें 1230 करोड़ की लागत से 10 वर्ष का कार्य सफाई और धुलाई का था। इसमें 61.5 करोड़ की लागत से सलाहकार की नियुक्ति की जानी थी। जो यह पूरा प्लान बनाकर देगा कि कैसे सफाई होगी और क्या क्या मशीनरी की जरुरत हैं। इसका सारा खर्च दिल्ली सरकार ने उठाने की सहमति दी थी।

पैसे की नहीं है कमी लेकिन प्रस्ताव को है मंजूरी का इंतजार

एमसीडी के पास मैकेनिकल रोड स्वीपिंग मशीनों की खरीदने के लिए फंड की कमी नहीं है लेकिन प्रशासनिक फेर में यह मशीनें निगम खरीद नहीं पा रहा है। हालांकि निगम के पास इसके लिए फंड की कमी नहीं है। निगम अधिकारियों के अनुसार केंद्र से 35 करोड़ की राशि 2022 में मिली थी। इसमें 11 करोड़ रुपये की राशि निगम ने सड़कों की मरम्मत के लिए खर्च कर दी है। जबकि शेष राशि से 18 मैकेनिकल रोड स्वीपिंग मशीनें खरीदने की निविदा डेढ़ साल से निगम कर चुका है लेकिन पांच करोड़ से अधिक की राशि होने पर स्थायी समिति की मंजूरी की आवश्यकता है। इसलिए यह कार्य नहीं हो पा रहा है।

एक मशीन के संचालन में खर्च होता है चार लाख रुपये माह

एमसीडी के अनुसार एक मशीन प्रतिदिन औसतन 35 किलोमीटर संचालित होती है। एक मशीन के ईधन से लेकर उसकी मरम्मत और ड्राइवर के वेतन समेत अन्य खर्चे चार लाख रुपये प्रतिमाह है। यह मशीन प्रतिदिन 150 मीट्रिक टन मिट्टी सड़कों से साफ करतीं है। इस मिट्टी को ओखला के साथ ही भलस्वा और शास्त्री नगर निर्माण एवं विध्वंस कचरे के निस्तारण साइट पर निस्तारित करता है।

झाड़ू से सड़कों पर उड़ती है धूल, नहीं हैं कोई मशीनरी

दिल्ली में पीडब्ल्यूडी के स्वामित्व वाली सड़कों पर तो एमसीडी सड़कों की सफाई मैकेनिकल रोड स्वीपिंग मशीनों से सफाई करता है लेकिन 60 फिट से छोटी सड़कों से सफाई और कॉलोनियों की सफाई के लिए एमसीडी के पास कोई मशीनरी नहीं है। एमसीडी इन सड़कों और गलियों पर सफाई पर केवल सफाई कर्मचारी ही सहारा है। जो कि झाडू से सड़कों की सफाई करते हैं।

इस दौरान झाडू से धूंल का गुबार सड़कों पर छा जाता है । जो कि वायु प्रदूषण को बढ़ाने में सहायक होता है। निगम अधिकारियों के अनुसार सड़कों पर ख़ड़े वाहनों और फुटपाथ पर कब्जे के साथ मशीनरी का उपयोग बहुत कठिन है। जब-जब सफाई की कोशिश होती है या लंबे समय से खड़े वाहनों को हटाने की कोशिश होती है तो वह भी प्रभावशाली लोगों के चलते में लागू नहीं हो पाता है। जबकि एमसीडी की रिहायशी कालोनियों की सड़कों की लंबाई 15 हजार किलोमीटर से ज्यादा है।

  • 52 मैकेनिकल रोड स्वीपिंग मशीन एमसीडी के पास है।
  • 10 मशीनें पूर्वी दिल्ली में संचालित होती है।
  • 18 मशीनें उत्तरी दिल्ली में संचालित होती है।
  • 24 मशीनें दक्षिणी दिल्ली में संचालित होती है।
  • 18 मशीनों की खरीद की प्रक्रिया स्थायी समिति की मंजूरी न होने की वजह से लंबित है।
  • 35 किलोमीटर औसतन एक मशीन प्रतिदिन संचालित होती है।
  • 52 मशीनों से एक दिन छोड़कर निगम पीडब्ल्यूडी की 1400 किलोमीटर लंबी सड़कों की सफाई करता है।
  • 48 मशीनों की आवश्यकता वैकल्पिक तौर पर पीडब्ल्यूडी सड़कों की सफाई करने के लिए हैं जरुरत।
  • 224 मशीनों से ही संभव है प्रतिदिन पीडब्ल्यूडी रोड की मशीनों से सफाई।
  • 1230 करोड़ की राशि से दस साल तक पीडब्ल्यूडी सड़कों की सफाई और धुंलाई का प्रस्ताव पड़ा है ठंडे बस्ते में।

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