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Delhi Traffic Rules: गाड़ी सीखने का नियम स्पष्ट नहीं, कैसे रुकें हादसे; इन प्वाइंट्स को करें फॉलो

Delhi Traffic Rules दिल्ली की सड़कों पर काफी संख्या में लोग बिना किसी सावधानी के और नियमों को ताख पर रख वाहन चलाना सीखते हैं। गाड़ी सीखने के लिए मोटर ट्रेनिंग स्कूल ही बेहतर है। इनके पास सिखाने के लिए विशेष गाड़ी होती है।

By Dhananjai MishraEdited By: Abhishek TiwariUpdated: Mon, 19 Dec 2022 12:41 PM (IST)
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Delhi Traffic Rules: गाड़ी सीखने का नियम स्पष्ट नहीं, कैसे रुकें हादसे
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। नए मोटर वाहन अधिनियम में गाड़ी सीखने और सिखाने को लेकर नियम बहुत स्पष्ट नहीं है। लिहाजा, जागरूकता के अभाव में लोग दिल्ली की दौड़ती-भागती सड़कों पर जैसे-तैसे गाड़ी चलाना सीख रहे हैं। नतीजतन आए दिन इस तरह के सड़क हादसे हो रहे हैं। जानकारों का मानना है कि गाड़ी सीखने के लिए मोटर ट्रेनिंग स्कूल ही बेहतर है। इनके पास सिखाने के लिए विशेष गाड़ी होती है, जिसमें आगे की दोनों सीट पर ब्रेक और क्लच होता है।

ऐसे में चालक से चूक होने पर बगल की सीट पर बैठे प्रशिक्षक के पास भी कार नियंत्रित करने का विकल्प होता है। ऐसे में इस तरह के हादसों का खतरा बहुत कम हो जाता है। नए मोटर वाहन अधिनियम में, मोटर ट्रेनिंग स्कूल से ही वाहन सीखने जैसा कोई नियम नहीं है।

पक्का ड्राइविंग लाइसेंस होना अनिवार्य

लिहाजा, लोग किसी भी गाड़ी से कहीं भी ड्राइविंग सीखने लगते हैं। कार सीखने के लिए, लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस होना और सिखाने वाले के पास पक्का ड्राइविंग लाइसेंस होना अनिवार्य है। साथ ही कार के आगे व पीछे लाल रंग से बड़ा-बड़ा एल लिखा होना चाहिए। इससे लोग दूर से ही देखकर सावधान रहें कि चालक ड्राइविंग सीख रहा है। परिवहन विशेषज्ञों की मानें तो नए मोटर वाहन अधिनियम में वाहन सीखने के लिए स्पष्ट नियम न होना बेहद खतरनाक है।

ऐसे में लोग अपने जानकार को साथ बिठा गाड़ी सीखने के लिए सड़कों पर निकल जाते हैं। ऐसे में जब चालक गाड़ी से नियंत्रण खो देता है, तो इस तरह के हादसे होते हैं। मोटर ट्रेनिंग स्कूल में गाड़ी सिखाने के साथ ही, उसकी तकनीकी व प्रायोगिक जानकारी और यातायात नियमों की भी जानकारी दी जाती है, जो बेहद जरूरी है। कुछ मोटर ट्रेनिंग स्कूल में चालक को सीधे कार की ड्राइविंग सीट पर बैठाने की जगह, शुरूआती प्रशिक्षण सिम्युलेटर पर होता है।

सिम्युलेटर पर चालक को गाड़ी के क्लच, ब्रेक व एक्सेलेटर में तालमेल बैठाना सिखाया जाता है। साथ ही सड़क पर चलते वक्त वाहन की रफ्तार नियंत्रित रखने, इंडीकेटर का प्रयोग करने और गाड़ी को मोड़ने जैसी अहम बारीकियां सिखाई जाती हैं। तािक, कार चलाना सीख रहा व्यक्ति अचानक कोई वाहन सामने आने पर घबराए नहीं और वाहन को नियंत्रित कर सके।

पुलिस और परिवहन विभाग भी कठघरे में

ऐसे हादसों के लिए पुलिस और परिवहन विभाग भी कम जिम्मेदार नहीं है। दिल्ली की सड़कों पर काफी संख्या में लोग बिना किसी सावधानी के और नियमों को ताख पर रख वाहन चलाना सीखते हैं। मनमाने तरीके से कई मोटर ट्रेनिंग स्कूल चल रहे हैं। बावजूद पुलिस और परिवहन विभाग की तरफ से ऐसे के खिलाफ न तो सख्त कार्रवाई होती है और न ही लोगों को सावधानी के साथ ड्राइविंग सीखने के प्रति जागरूक किया जाता है।

इन बातों का रखें ध्यान-

  • व्यस्त सड़क की जगह, खाली एरिया या ट्रैफिक पार्क में ही ड्राइविंग सीखें।
  • ड्राइविंग सीखने से पहले लर्निंग डीएल जरूर बनवाएं।
  • मोटर ट्रेनिंग स्कूल से ही गाड़ी चलाना सीखना अनिवार्य हो।
  • योग्य प्रशिक्षकों द्वारा ही गाड़ी चलाने का प्रशिक्षण दिया जाए।
  • लोगों को सावधानी से वाहन चलाना सीखने के लिए जागरूक किया जाए।
  • अपनी गाड़ी किसी को देते वक्त सावधान रहें। इस तरह के हादसों में फंस सकते हैं।
परिवहन विशेषज्ञ अनिल छिकारा ने कहा कि लोगों को मोटर ट्रेनिंग स्कूल से ही वाहन चलाना सीखना चाहिए। लोगों को इस मामले में गंभीरता से विचार करना चाहिए कि उनकी एक लापरवाही खुद की और दूसरों की जान ले सकती है।

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