Earthquake in Delhi: दिल्ली में लगातार आ रहे भूकंप से डरे हुए हैं तो जरूर पढ़ें यह स्टोरी
Earthquake in Delhi एक रिपोर्ट में कहा गया है कि बड़ा भूकंप आने पर दिल्ली में ज्यादा नुकसान की आशंका वाले क्षेत्रों में यमुना के करीबी इलाके शाहदरा मयूर विहार व लक्ष्मी नगर हैं।
By JP YadavEdited By: Updated: Mon, 11 May 2020 09:50 AM (IST)
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। Earthquake in Delhi : भले ही रविवार दोपहर में दिल्ली में आए भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर केवल 3.5 रही हो, लेकिन भविष्य के लिए यह किसी किसी बड़े खतरे का संकेत भी हो सकता है। वजह, एक महीने में भूकंप का अधिकेंद्र तीसरी बार भी जहां पर था, उसी पूर्वी दिल्ली के बारे में 80 भू-वैज्ञानिकों की एक टीम बहुत पहले रिपोर्ट तैयार कर चुकी है। फाइलों में दबी इस रिपोर्ट को गंभीरता से लेने की जरूरत है।
दिल्ली के तीन इलाकों में ज्यादा सतर्कता की जरूरत केंद्र सरकार द्वारा तैयार कराई गई इस रिपोर्ट में साफ बताया गया है कि बड़ा भूकंप आने पर दिल्ली में ज्यादा नुकसान की आशंका वाले क्षेत्रों में यमुना तट के करीबी इलाके शाहदरा, मयूर विहार और लक्ष्मी नगर हैं। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के सेवानिवृत्त निदेशक डॉ. हरि सिंह सैनी कहते हैं कि पूर्वी दिल्ली की मिट्टी बहुत ढीली है। यहां पर यमुना नदी की पास वाली मिट्टी लेकर डाली गई है और इसकी उम्र भी बहुत कम है। यह इलाका यमुना खादर में बसा हुआ है और यहां के ज्यादातर भवनों में भी कोई न कोई कमी है। जब भूकंप आता है तो मकान का भविष्य काफी हद तक जमीन की संरचना पर भी निर्भर करता है। यदि भवन नमी वाली सतह यानी रिज क्षेत्र या किसी ऐसी मिट्टी के ऊपर बना है जो लंबे समय तक पानी सोखती है तो उसे खतरा ज्यादा है। क्योंकि भूकंप आने पर वहां की मिट्टी ढीली हो जाती है। जहां की मिट्टी शुष्क या बालू वाली हो, पत्थर की चट्टानें नीचे हों तो वहां भूकंप के दौरान अलग-अलग प्रभाव होते हैं।
दिल्ली-एनसीआर में तीन फॉल्ट लाइन राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के निदेशक (ऑपरेशन) जे एल गौतम का कहना है कि जहां फॉल्ट लाइन होती है, वहीं पर भूकंप का अधिकेंद्र बनता है। दिल्ली-एनसीआर में जमीन के नीचे दिल्ली-मुरादाबाद फॉल्ट लाइन, मथुरा फाल्ट लाइन और सोहना फाल्ट लाइन मौजूद है। इसलिए बेहतर है कि यहां निर्माण भूकंपरोधी हों।
भू विज्ञानियों ने कहा, नहीं आएगा बड़ा भूकंप
एक माह में तीसरी बार भूकंप आना चर्चा का केंद्र बिंदु है। हालांकि भू विज्ञानियों का मानना है कि डर निराधार है और यहां किसी बड़े भूकंप के आने की संभावना नहीं है। गौतम ने बताया कि तीनों भूकंप फॉल्ट-लाइन प्रेशर की वजह से आए, ऐसा नहीं लगता। उन्होंने कहा, 'इन स्थानीय और कम तीव्रता वाले भूकंपों के लिए फॉल्ट लाइन की जरूरत नहीं है। धरातल के नीचे छोटे-मोटे एडजस्टमेंट होते रहते हैं और इससे कभी-कभी झटके महसूस होते हैं। बड़े भूकंप फॉल्ट लाइन के किनारे आते हैं।' गौतम ने कहा कि दिल्ली ही नहीं, बल्कि हिमालयन बेल्ट को भूकंप से ज्यादा खतरा है। हिंदुकुश से अरुणाचल प्रदेश तक जाने वाले रेंज में ही बड़े भूकंप आते हैं। दिल्ली से तो यह पहाड़ 200-250 किलोमीटर दूर हैं। लिहाजा, दिल्ली का अधिकेंद्र बनना मुश्किल है।
दिल्ली में कहां ज्यादा खतरा पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की एक रिपोर्ट बताती है कि यमुना के मैदानों को भूकंप से ज्यादा खतरा है। पूर्वी दिल्ली, लुटियंस दिल्ली, सरिता विहार, पश्चिम विहार, वजीराबाद, करोलबाग और जनकपुरी जैसे इलाकों में बहुत आबादी रहती है, इसलिए वहां खतरा ज्यादा है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, छतरपुर, नारायणा, वसंत कुंज जैसे इलाके बड़ा भूकंप झेल सकते हैं। इसके अलावा दिल्ली में जो नई इमारतें बनी हैं, वे 6 से 6.6 तीव्रता के भूकंप को झेल सकती हैं। पुरानी इमारतें 5 से 5.5 तीव्रता का भूकंप सह सकती हैं। दिल्ली ने 2008 और 2015 में नेपाल भूकंप के बाद पुरानी इमारतों को ठीक करने की कवायद शुरू की थी। दिल्ली सचिवालय, दिल्ली पुलिस मुख्यालय, विकास भवन, गुरु तेग बहादुर अस्पताल की इमारत को भी मजबूत किया गया था।
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