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IGI Airport: माइक्रोसॉफ्ट आउटेज का दिल्ली एयरपोर्ट पर जबरदस्त असर, 47 उड़ानें रद्द; 170 में हुई देरी

माइक्रोसॉफ्ट आउटेज के कारण आईजीआई एयरपोर्ट से अलग-अलग शहरों को जाने वाली करीब 47 घरेलू उड़ानों को रद्द करना पड़ा। साथ ही करीब 170 उड़ानें विलंबित रहीं। इस बीच एयरपोर्ट पर यात्री परेशानी के भंवर में फंसे रहे। सबसे अधिक असर इंडिगो की उड़ानों पर देखने को मिला। रद्द उड़ानों की बात करें या विलंबित की दोनों ही स्थिति में सबसे अधिक संख्या इंडिगो की ही रही।

By Jagran News Edited By: Sonu Suman Updated: Fri, 19 Jul 2024 09:00 PM (IST)
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माइक्रोसॉफ्ट आउटेज का दिल्ली एयरपोर्ट पर सबसे अधिक असर इंडिगो की उड़ानों पर देखने को मिला।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। माइक्रोसॉफ्ट के सर्वर में सामने आई तकनीकी गड़बड़ी का जबरदस्त असर देश के सबसे बड़े एयरपोर्ट आइजीआई पर शुक्रवार को देखने को मिला। अलग-अलग शहरों को जाने वाली करीब 47 घरेलू उड़ानों को रद्द करना पड़ा, साथ ही करीब 170 उड़ानें विलंबित रहीं। इस बीच एयरपोर्ट पर यात्री परेशानी के भंवर में फंसे रहे।

सबसे अधिक असर इंडिगो की उड़ानों पर देखने को मिला। रद्द उड़ानों की बात करें या विलंबित की दोनों ही स्थिति में सबसे अधिक संख्या इंडिगो की ही रही। इंडिगो की मुंबई, पुणे, नागपुर, पटना, सूरत, देहरादून, गुवाहाटी, चेन्नई, लखनऊ, विशाखापट्टनम, वाराणसी, इंदौर, भुवनेश्वर, जम्मू, अहमदाबाद, रायपुर, कोलकाता, अमृतसर, जयपुर, बंगलुरू, उदयपुर, भोपाल, हैदराबाद, कालीकट, चंडीगढ़ सहित अनेक शहरों को जाने वाली कई उड़ानें रद्द हुई। इंडिगो की करीब 40 उड़ानें रद्द हुई। इंडिगो के अलावा एअर इंडिया एक्सप्रेस की गोआ, स्पाइसजेट की दरभंगा, मुंबई, गुवाहाटी, श्रीनगर की उड़ानें रद हुई। एअर इंडिया की मुंबई की दो उड़ानें रद्द हुई।

टर्मिनल बे में खड़े रहे विमान

घरेलू उड़ानों के लिए दिन में 12 बजे का समय काफी अहम होता है। यह समय काफी व्यस्त माना जाता है। इस समय जो विमान प्रस्थान के लिए टर्मिनल बे में खड़े थे, उनमें से अधिकांश केवल इसलिए मिनटों के बजाय घंटों खड़े रहने के लिए मजबूर रहे, क्योंकि उनके पास उड़ान भरने के लिए यात्री थे ही नहीं। यात्रियों की बोर्डिंग की प्रक्रिया काफी धीमी रही।

उड़ान के निर्धारित समय से न्यूनतम एक से डेढ़ घंटे का समय प्रस्थान के लिए विमानों को लग रहा था। बे पर जगह नहीं मिलने का असर धीरे धीरे आगमन पर भी पड़ने लगा। कई विमानों को टर्मिनल बे पर न खड़ा कर टरमैक के आसपास पार्किंग के लिए खड़ा किया गया। यहां से यात्रियों को बस द्वारा टर्मिनल लाया गया।

अंदर कतार ही कतार

सर्वर के काम नहीं करने के कारण चेकइन से लेकर बोर्डिंग व बैगेज टैगिंग की प्रक्रिया मैनुअल शुरू की गई। यात्रियों को हाथ से लिखा बोर्डिंग पास जारी किया गया। इस प्रक्रिया में काफी वक्त लगने के कारण कतार अलग अलग काउंटर पर बढ़ती ही चली गई। टर्मिनल के अंदर जहां चेकइन काउंटर के पास लंबी लंबी कतार थी, वहीं टर्मिनल के प्रवेश द्वार पर भी यात्रियों की काफी संख्या प्रवेश के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रही थी। 

इसका कारण यह था कि प्रवेश के डिजियात्रा के जिन गेटों से यात्री चंद मिनट में प्रवेश कर जाते थे, वह डिजियात्रा माइक्रोसाफ्ट सर्वर के ठप्प होने के कारण काम नहीं कर रही थी। ऐसे में यात्रियों को मैनुअली ही प्रवेश दिया जा रहा था। भीड़ का आलम यह था कि कई गेट पर पांच से 10 मिनट का समय यात्रियों को प्रवेश में लग रहा था। इसके बाद टर्मिनल के भीतर लगी लंबी कतार से यात्रियों का सामना हो रहा था।

जारी होती रही एडवाइजरी

सर्वर से जुड़ी तकनीकी समस्या का असर एकाएक सामने आया। एयरलाइंस वालों ने स्थिति को फौरन भांप लिया और ऐसे यात्री जिनकी उड़ानें 12 बजे के बाद थी, उन्हें संदेश भेजकर परिस्थिति से अवगत कराया। यात्रियों से कहा गया कि घर से प्रस्थान करने के पहले एक बार उड़ान की स्थिति का वेबसाइट पर पता कर लें। यात्रियों से अनुरोध किया गया कि यदि संभव हो तो चार से पांच घंटे पहले आएं ताकि चेकइन में लगने वाले समय का उड़ान पर कम से कम असर हो। यात्री जितना पहले पहुंचेंगे उनकी चेकइन की प्रक्रिया उतनी जल्दी होगी।

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