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IGI Airport का होगा सिंगापुर एयरपोर्ट की तर्ज पर विकास, लाई जा रही यह खास योजना; ढाई हजार करोड़ का आएगा खर्च

सिंगापुर के चांगी एयरपोर्ट की तरह आईजीआई एयरपोर्ट के तीनों टर्मिनल का विकास किया जाएगा। यहां पर एपीएम (ऑटोमेटेड पैसेंजर मूवर) जैसी सुविधा विकसित करने की योजना बनाई जा रही है। इसे मूर्त रूप देने में करीब ढाई हजार करोड़ रुपये की लागत आएगी। एपीएम के तहत अभी यह तय नहीं हो पा रहा है कि ट्रेन मेट्रो मोनो रेल पॉड टैक्सी में किसका इस्तेमाल सही होगा।

By Gautam Kumar Mishra Edited By: Sonu Suman Updated: Mon, 18 Mar 2024 05:49 PM (IST)
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IGI Airport का होगा सिंगापुर एयरपोर्ट की तर्ज पर विकास, लाई जा रही यह खास योजना।
गौतम कुमार मिश्रा, नई दिल्ली। सिंगापुर के चांगी एयरपोर्ट की तर्ज पर आईजीआई एयरपोर्ट के लिए एपीएम (ऑटोमेटेड पैसेंजर मूवर) जैसी सुविधा विकसित करने की योजना पर कार्य चल रहा है। इसके तहत आईजीआई पर परिवहन के ऐसे ढांचे का विकास किया जाएगा, जो तीनों टर्मिनल के बीच पूरी तरह स्वचालित होगा।

यह योजना अभी शुरुआती चरण में है। एपीएम के तहत अभी यह तय नहीं हो पा रहा है कि ट्रेन, मेट्रो, मोनो रेल, पॉड टैक्सी में किसका इस्तेमाल सही होगा। तीनों टर्मिनल के बीच कितने स्टेशन होंगे, इसे लेकर भी मंथन चल रहा है। योजना को अमलीजामा पहनाया जाए, इसके पूर्व डायल दुनिया के विभिन्न फर्म से सलाह लेने पर विचार कर रहा है। एक बार यह तय करने के बाद इस पूरी योजना को धरातल पर उतारने में कोई दिक्कत नहीं होगी।

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इस मूर्त रूप देने में ढाई हजार करोड़ का आएगा खर्च

एक अनुमान के अनुसार इस योजना को मूर्त रूप देने में करीब ढाई हजार करोड़ रुपये की लागत आएगी। डायल के एक अधिकारी ने बताया कि एपीएम से केवल तीनों टर्मिनल ही नहीं बल्कि कार्गो टर्मिनल व एयरोसिटी को जोड़ा जाना है। एक तरह से एपीएम यह आइजीआइ एयरपोर्ट से जुड़े सभी घटकों को एक करने का कार्य करेगा।

संभावना है कि आने वाले छह महीने के भीतर यह तय कर लिया जाएगा कि तीनों टर्मिनलों को कैसे यात्रियों के आवागमन की दृष्टि से एकीकृत कर लिया जाए, ताकि एक टर्मिनल से दूसरे टर्मिनल के बीच की दूरी को बिना किसी दिक्कत के कम से कम समय में तय कर लिया जाए।

क्यों है जरूरी

आने वाले समय में टर्मिनल तीन को पूरी तरह अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए आरक्षित कर दिया जाएगा। विदेश से यहां उतरने वाले यात्रियों को यदि दिल्ली से देश के किसी भी स्थान के लिए कनेक्टिंग फ्लाइट लेनी है तो उसे या तो टर्मिनल 2 या फिर टर्मिनल 1 जाना होगा। अभी टर्मिनल 3 से टर्मिनल 1 के बीच कम से कम पांच किलोमीटर का फासला है। इस दूरी को तय करने के लिए केवल सड़क मार्ग ही विकल्प है।

टर्मिनल 1 से टर्मिनल 3 जानें के लिए हैं ये विकल्प

मान लीजिए की आप पटना से नई दिल्ली आ रहे हैं और आपका विमान टर्मिनल 1 पर लैंड करता है। लैंडिंग के करीब एक घंटे बाद आपको मुंबई की कनेक्टिंग फ्लाइट लेनी है, जिसके लिए आपको टर्मिनल तीन जाना है। अभी टर्मिनल 1 से टर्मिनल 3 जाने के लिए आपके पास शटल बस सेवा, टैक्सी या कैब का विकल्प उपलब्ध है।

शटल बस सेवा अपने नियत समय से ही चलेगी

टैक्सी वाले आपसे मनमाना किराया लेंगे और शटल बस सेवा अपने नियत समय से ही चलेगी। शटल बस मोटे तौर पर हर 20 मिनट से आधे घंटे के अंतराल पर ही चलती है। यदि आप सोचेंगे कि आपको फौरन शटल बस टर्मिनल के बाहर मिल जाए तो आपको यहां दिक्कत का सामना करना पड़ेगा। टर्मिनल 3 व 2 कहने के लिए एक दूसरे के नजदीक हैं, लेकिन इनके बीच की दूरी तय करने में यात्रियों को काफी दिक्कत होती है।

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