अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाकर IIT दिल्ली बना भारत में नंबर वन, एशिया में भी रैंकिंग में हुआ सुधार
IIT Delhi आईआईटी दिल्ली ने क्यूएस एशिया रैंकिंग 2025 में भारत में पहला स्थान हासिल किया है। शोध कार्यों और अंतरराष्ट्रीय सहयोग में वृद्धि के कारण संस्थान की रैंकिंग में सुधार हुआ है। आईआईटी दिल्ली के छात्रों की प्रतिष्ठा और फैकल्टी के अनुपात में शोध पत्र प्रकाशन के स्कोर ने भी संस्थान की रैंकिंग को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
उदय जगताप, नई दिल्ली। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) दिल्ली क्यूएस एशिया रैंकिंग 2025 में भारत में पहले पायदान पर रहा है। पहली बार है जब आईआईटी दिल्ली को यह गौरव हासिल हुआ है। यही नहीं एशिया में भी आईआईटी दिल्ली ने अपनी रैंकिंग में दो पायदान का सुधार किया है। 46 वें स्थान से 44वें पर आ गया है। इसके पीछे शोध कार्यों और अंतरराष्ट्रीय सहयोग में बढ़ोतरी बड़ा कारण रहा है।
पिछले वर्ष ही आईआईटी दिल्ली ने आबुधाबी में अपना परिसर स्थापित किया है और इसमें कक्षाएं शुरू हो चुकी हैं। यूरोप, अमेरिका समेत कई देशों के साथ आईआईटी ने शोध कार्यक्रम शुरू किए हैं।
आईआईटी दिल्ली के डीन प्लानिंग प्रो. विवेक बुआ ने बताया कि संस्थान समूचे दक्षिण एशिया में पहले पायदान पर रहा है। यह शोध पत्रों में लगातार हो रहे कार्यों के बाद हो सका है। इसमें 16 अंकों की बढ़त संस्थान को मिली है। पिछले वर्ष संस्थान ने 4202 शोध पत्रों का प्रकाशन किया है।
शोध पत्र छापने से अंकों की गणना नहीं होती, विश्वभर में कितन लोग इनका उपयोग कर रहे हैं, यह भी महत्व रखता है। तकनीकी भाषा में इसे साइटशन कहा जाता है। प्रो. बुआ ने बताया कि आईआईटी दिल्ली के विभिन्न जर्नल में प्रकाशित शोध पत्रों का साइटेशन एक लाख 28 हजार रहा है।
क्यूएस रैंकिंग में संस्थान से पढ़कर निकलने वाले छात्रों प्रतिष्ठा भी देखी जाती है। इसमें संस्थान का स्कोर 99 रहा है। यानी भारत और बाहर आईआईटी के छात्र बेहतर कार्य कर रहे हैं। एम्पलायर उन्हें अच्छी दृष्टि से देखते हैं। फैकल्टी के अनुपात में शोध पत्र प्रकाशन का स्कोर 95.2 रहा है। यानी हर फैकल्टी ने अच्छे जर्नल में शोध पत्रों का प्रकाशन किया है।
यही वजह है कि संस्थान को अकादमिक प्रतिष्ठा में 95 स्कोर हासिल हुआ है। अंतरराष्ट्रीय रिसर्च नेटवर्क में संस्थान का स्कोर 89.2 रहा है। आईआईटी दिल्ली के इंग्लैंड, अमेरिका, ताइवान और यूरोप के अन्य विश्वविद्यालयों के साथ 116 रिसर्च प्राजेक्ट चल रहे हैं। 3200 पीएचडी छात्र संस्थान में शोध कार्यों में लगे हैं।
आईआईटी दिल्ली ने पिछले साल 100 पेटेंट फाइल किए हैं। उससे पहले के सालों के 200 पेटेंट ग्रांट हो चुके हैं। अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के अलावा आईआईटी दिल्ली, एम्स, डीआरडीओ, अटोमिक एनर्जी संस्थान जैसे संस्थानों के साथ काम कर रहा है। एम्स के साथ आईआईटी दिल्ली के 63 प्राेजेक्ट चल रहे हैं।प्रो. विवेक बुआ ने कहा, 2018-19 में संस्थान को एमिनेंस का दर्जा मिला था। इसके बाद उसे एक हजार करोड़ का फंड मिला। इससे शोध कार्यों को बढ़ाने में मदद मिली। नए उपकरण खरीदे गए और नई तकनीकें लाईं गईं। जिसका असर अब दिखना शुरू हुआ है।
उन्होंने कहा, उद्योगों के साथ प्रायोजित शोध को भी बढ़ावा दिया गया है। संस्थान हर पीएचडी छात्र को अपने खर्च पर दो बार अंतरराष्ट्रीय कान्फ्रेंस में शोध पत्र प्रकाशित करने के लिए विदेश भेजता है। ऐसे अंतरराष्ट्रीय एक्सपोजर से फायदा मिलना शुरू हुआ है।
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