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IITF 2024: भारत मंडपम में साढ़े 6 करोड़ साल पुराने डायनासोर के अंडों को देखने के लिए लग रही भीड़

India International Trade Fair 2024 3वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले (India International Trade Fair) में खान मंत्रालय के मंडप में डायनासोर के अंडे लोगों को खूब भा रहे हैं। मंडप में अंडों को देखने के लिए लोगों की भीड़ लग रही है। स्मॉग द्वारा प्रदर्शित ये अंडे 6.5 करोड़ साल से भी अधिक पुराने हैं। इन अंडों का वजन 5 से 10 किलो तक है।

By sanjeev Gupta Edited By: Geetarjun Updated: Tue, 19 Nov 2024 07:57 PM (IST)
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भारतीय अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले के खान मंत्रालय पवेलियन में डायनासोर के अंडे व अन्य सामान को देखते दर्शक।
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। 43वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले (India International Trade Fair) में खान मंत्रालय के मंडप में जियोलाजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (स्मॉग) द्वारा प्रदर्शित डायनासोर के अंडे व रामलला की मूर्ति का पत्थर भी दर्शकों में आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। फिल्मों और किताबों में डायनासोर देखने वाले बच्चों के लिए यह एक रोमांचक अनुभव है।

यहां पर वे न केवल वास्तविक डायनासोर के अंडे बल्कि उनके पैर और पूंछ की हड्डियां व अन्य अवशेष भी देख पा रहे हैं। ये अंडे शाकाहारी और मांसाहारी डायनासोर दोनों के ही हैं, जो महाराष्ट्र के चंद्रपुर और गुजरात के खेड़ा जिले में खोजे गए हैं।

साढ़े छह साल पुराने 5-10 किलो के अंडे

स्मॉग द्वारा प्रदर्शित ये अंडे 6.5 करोड़ साल से भी अधिक पुराने हैं। इन अंडों का वजन 5 से 10 किलो तक है और इनका व्यास लगभग 15 सेंटीमीटर है। डायनासोर के अलावा ग्रेफाइट, लिथियम और किम्बरलाइट जैसे खनिज भी प्रदर्शित किए गए हैं। साथ ही, डायनासोर के अवशेषों को धरती से बाहर निकालने की प्रक्रिया को भी माडल और प्रायोगिक विधि के जरिए भी समझाया जा रहा है। मेले में वह पत्थर भी दर्शक चाव से देख रहे हैं जिससे अयोध्या के नवनिर्मित मंदिर में स्थापित रामलला की मूर्ति बनाई गई है।

स्मॉग के निदेशक डॉ. प्रवीर पंकज के अनुसार, भारत में भी डायनासोर पाए जाते थे, विशेषकर गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में। इसीलिए जीएसआई ने डायनासोर के अवशेषों पर काफी अनुसंधान किया है।

समोसे-लिट्टी चोखे के शेप वाली सुगंधित मोमबत्तियां

बिहार के स्टार्टअप क्राफ्टेज ने अपनी अनोखी सुगंधित मोमबत्तियों और हस्तशिल्प के जरिए लोगों का ध्यान खींचा है। स्टार्टअप के संस्थापक गगन गौरव ने बताया, "हम अरोमा कैंडल्स और बिहार की लोक कला जैसे मधुबनी और मंजूषा पेंटिंग पर आधारित उत्पाद बनाते हैं। इस बार हमने लकड़ी के बाक्स और ट्रे पर इन पेंटिंग्स का इस्तेमाल किया है।"

गगन ने बताया कि उनके उत्पादों में लिट्टी चोखा, समोसा, चाय बिस्किट और रूम फ्रेशनर कैंडल ज्यादा लोकप्रिय हुई हैं। उनके उत्पादों की कीमत 20 रुपये से लेकर पांच हजार तक है। व्यापार मेले के जरिए नए वितरकों को जोड़ने का यह मंच उनके लिए बेहद उपयोगी साबित हो रहा है।

राजस्थान और झारखंड की कला का फ्यूजन

झारखंड मंडप में जमशेदपुर के धीरज जैन राजस्थान की कला को झारखंड की ज्वेलरी पर उकेर रहे हैं। उन्होंने दोनों राज्यों की कला का फ्यूजन कर दिया है। सीप पर पेंटिंग मोती स्टोन का प्रयोग करते हुए वह एक पीस चार घंटे में बनाते है। कुछ कामों में उनकी मां सहयोग करती है। इस छोटे स्टार्टअप की शुरुआत अब बिज़नेस का रूप लेने लगी है। अपनी इस कला के जरिये वह कण के बुंदे, गले का हार, अंगूठी, ब्रेसलेट भी तैयार करते हैं।

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