Delhi News: मृतकों के नाम ऑटो परमिट मामले में ACB सख्त, दलालों और फाइनेंसरों पर कस रही शिकंजा; अब गिरेगी गाज
Delhi News नई दिल्ली मृतकों के नाम से जारी ऑटो परमिट मामले में नए-नए मामले सामने आ रहे हैं। परिवहन विभाग में मृतकों के नाम पर ऑटो के परमिट जारी कर देने के तीन और मामले मामले आए हैं। अब तक एसीबी परिवहन विभाग के एक निरीक्षक सहित 15 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। भ्रष्टाचार की बहती नदी में सभी ने जमकर हाथ धोए हैं।
By Jagran NewsEdited By: Prince SharmaUpdated: Sat, 09 Sep 2023 06:41 AM (IST)
नई दिल्ली, वी के शुक्ला। नई दिल्ली मृतकों के नाम से जारी आटो परमिट मामले में नए-नए मामले सामने आ रहे हैं। परिवहन विभाग में मृतकों के नाम पर ऑटो के परमिट जारी कर देने के तीन और मामले मामले आए हैं। जल्द ही इन मामलों में भी कुछ और ऑटो फाइनेंसरों, दलालों और अधिकारियों पर गाज गिरने की संभावना है। भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) इन पर भी शिकंजा कसने जा रही है।
दिल्ली में दलालों और अधिकारियों के बीच लंबे समय से गठजोड़
अब तक एसीबी परिवहन विभाग के एक निरीक्षक सहित 15 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। दिल्ली में दलालों, परिवहन विभाग के निचले स्तर के अधिकारियों और फाइनेंसरों के बीच लंबे समय से गठजोड़ रहा है। भ्रष्टाचार की बहती नदी में सभी ने जमकर हाथ धोए हैं।
विभाग में भ्रष्टाचार का आलम यह है कि सामान्य आदमी या ऑटो चालक अपना जो काम नहीं करा पाता है, वह काम दलाल और ऑटो फाइनेंसर चुटकियों में करा लेते हैं। सीधी-सी बात है कि विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत के बगैर यह काम नहीं हो सकता है।
हैरानी की बात यह है कि कोरोना काल में जब लोग काम कराने के लिए कार्यालयों के चक्कर लगाने से बच रहे थे, उस समय फाइनेंसरों व दलालों की मिलीभगत से विभाग के लोगों ने कारस्तानी कर दी। डीएल 1एन सीआर 2290 की बिक्री एक वर्ष पहले हुई थी।
फाइनेंसर करता रहा गुमराह...
खरीदार ने फाइनेंसर से लगातार इस गाड़ी का परमिट अपने नाम करवाने की गुहार लगाई, लेकिन फाइनेंसर लगातार गुमराह करता रहा। ऑटो खरीदार अशोक कुमार सिंह जब परमिट होल्डर के घर गए तो मकान मालिक ने बताया कि इसका परमिट होल्डर तो चार वर्ष पहले ही मर चुका है और परिवार दिल्ली छोड़कर अन्यत्र चला गया है।हैरानी की बात यह है कि एक वर्ष पहले इस आटो का परमिट नवीनीरण किया गया, जबकि उस वक्त या तो परमिट होल्डर को पेश होना पड़ता है या उसके आधार से लिंक्ड मोबाइल नंबर पर परिवहन विभाग ओटीपी भेजकर उसकी मंजूरी लेता है। लेकिन, इस मामले में ऐसा नहीं हुआ।
डीएल 1आर-डब्ल्यू 1174 नंबर के आटो का 30 नवंबर, 2017 को पंजीकरण हुआ था। पंजीकरण के दिन ही इसके मालिक यंतरी लाल का निधन हो गया। नियमानुसार इस आटो का परमिट यंतरी लाल के नाम से नहीं हो सकता था, लेकिन उनके निधन के एक वर्ष बाद 29 नवंबर, 2018 को इस आटो का परमिट बना दिया गया।सवाल यह है कि इस आटो का परमिट बनाते वक्त परमिट होल्डर यंतरी लाल की पहचान अधिकारी ने कैसे की? इस आटो के स्मार्ट कार्ड परमिट की फोटो कैसे खींची गई और किसकी फोटो लगाई गई? यंतरी लाल तो जिंदा ही नहीं थे तो इस आटो की फिटनेस किस व्यक्ति ने करवाई?
इसके लिए फिटनेस करवाने के लिए ज़रूरी जेंडर सेंसेटाइजेशन क्लास किसने ली? बिना परमिट होल्डर के इस ऑटो का बीमा कैसे हो गया? सवाल यह भी है कि यह सभी कार्य परिवहन विभाग के अधिकारी की बगैर मिलीभगत के कैसे हो सकते हैं?
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