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Independence Day: स्वतंत्रता दिवस पर PM लाल किले से ही क्यों करते हैं राष्ट्र को संबोधित, कहीं और क्यों नहीं?

देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने लाल किले की प्राचीर से पहली बार अंग्रेजी हुकूमत का झंडा उतारकर भारत का राष्ट्रीय ध्वज फहराकर लगाया था जिसके बाद से लाल किला देश में सत्ता का केंद्र बनाया। आखिर स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री लाल किले से ही क्यों राष्ट्र को संबोधित करते हैं कहीं और से क्यों नहीं करते?

By Nitin YadavEdited By: Nitin YadavUpdated: Tue, 15 Aug 2023 01:02 PM (IST)
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Independence Day 2023: पीएम मोदी ने लाल किले पर 10वीं बार फहराया तिरंगा
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। आज देश अपना 77वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के प्रतिष्ठित लाल किले पर झंडा फहराया। दशकों से हिन्दुस्तान की सत्ता का प्रतीक लाल किला वर्चस्व की निशानी है। यह किला मुगलों से लेकर अंग्रेज और आजादी के बाद तक भारतीय राजनीति का केंद्र बना हुआ है।

आजादी के बाद से ही लाल किले से हर वर्ष 15 अगस्त को देश के प्रधानमंत्री राष्ट्रीय ध्वज फहराकर देश को संबोधित करते हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री लाल किले से ही क्यों राष्ट्र को संबोधित करते हैं, कहीं और से क्यों नहीं करते?

कैसे शुरू हुई इस प्रथा की शुरुआत

राजनीति में प्रतीकों का बहुत महत्व होता है। यही वजह है कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने लाल किले की प्राचीर से पहली बार अंग्रेजी हुकूमत का झंडा उतारकर भारत का राष्ट्रीय ध्वज फहराकर लगाया था, जिसके बाद से लाल किला देश में सत्ता का केंद्र बनाया। उसके बाद यह प्रथा बदस्तूर जारी है और हर साल देश के प्रधानमंत्री लाल किले से संबोधित करते हैं।

कब हुआ था लाल किले का निर्माण

लाल किले का निर्माण 17वीं शताब्दी में पांचवें मुगल बादशाह शाहजहां ने कराया था। इस किले को सम्राट की शक्ति और भव्यता के प्रतीक के रूप में बनाया गया था और लगभग 200 वर्षों तक मुगल राजधानी के रूप में कार्य किया। इसे यूनेस्को ने साल 2007 में अपनी वर्ल्ड हेरिटेज साइट की लिस्ट में शामिल किया था।

क्या है लाल किले का असली नाम

शाहजहां ने अपनी राजधानी आगरा की जगह दिल्ली शिफ्ट करने के लिए 29 अप्रैल 1638 में लाल किले का निर्माण शुरू करवाया, जो 1648 में पूरा हुआ। लाल किला को बनने में 10 साल का समय लगा।

लाल किले का असली नाम किला-ए-मुबारक है। लाल किला ने 1857 तक मुगल साम्राज्य की राजधानी रूप में कार्य किया। लाल किला ने 1857 तक मुगल साम्राज्य की राजधानी रूप में कार्य किया। इसके बाद, अंग्रेजों ने इस पर कब्जा कर लिया और किले पर अपना झंडा लगा दिया।

कैसा है लाल किले का असली रंग

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अनुसार, इस इमारत के कई हिस्से चूना पत्थर से बनाए गए थे, जिसकी वजह से इसका असली रंग अलग था। पर गुजरते हुए वक्त के साथ जब किले के कई हिस्से खराब होकर गिरने लगे तो ब्रिटिश सरकार ने किले को लाल रंग से रंगवा दिया। इसी वजह से बाद में इसे 'लाल किला' कहा जाने लगा।

लाल किले की वास्तुकला

लाल किला एक वास्तुशिल्प कृति है, जिसमें मुगल,फारसी और हिंदू शैलियों का मिश्रण है। किले की दीवारें लाल बलुआ पत्थर से बनी हैं, और परिसर 255 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है। किला एक खंदक (एक गहरी और चौड़ी खाई) से घिरा हुआ है और मुख्य प्रवेश द्वार लाहौरी गेट के माध्यम से होता है। यह कभी शाही व्यापारियों का घर हुआ करता था।

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